काहिरा में सेना और ईसाइयों की झड़प, 24 मरे
१० अक्टूबर २०११फरवरी में हुस्नी मुबारक के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद से ये मिस्र में सबसे बड़ी हिंसक घटना है. रविवार को करीब दो हजार कॉप्टिक ईसाई दक्षिण मिस्र के असवान राज्य में एक चर्च पर हुए हमले के विरोध में प्रदर्शन करने सड़कों पर निकले. इस चर्च पर पिछले हफ्ते हमला हुआ और कॉप्टिक ईसाइयों के अनुसार हमला कट्टरपंथी मुस्लिमों ने किया. इस बात से गुस्साए कॉप्टिक ईसाई असवान राज्य के गवर्नर मुस्तफा अल सईद के इस्तीफे और चर्च के पुनर्निर्माण की मांग कर रहे थे.
कैसे भड़की हिंसा?
रिपोर्टों के अनुसार प्रदर्शन शांतिपूर्वक था और हिंसा कैसे भड़की, इस बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं. कुछ रिपोर्टों के अनुसार प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पथराव करना शुरू किया जिसके जवाब में सेना ने कार्रवाई की. अन्य रिपोर्टों के अनुसार सेना ने शांतिपूर्वक तरीके से चल रहे प्रदर्शन पर जोर आजमाइश की. हालांकि अब तक इन रिपोर्टों की पुष्टि नहीं हुई है. सेना के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने सेना के दो टैंक जला दिए और छह कारों और दो बसों में भी आग लगा दी. वहीं प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पहले अन्य नागरिकों ने उन पर हमला किया. रमी कमेल नाम के प्रदर्शनकारी ने कहा, "कुछ लोग प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां बरसाने लगे."
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सेना के दो टैंक भीड़ में घुस गए और प्रदर्शनकारियों को कुचलने लगे. स्वास्थ्य मंत्रालय और स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार 200 से अधिक घायलों को अस्पताल में भर्ती किया गया है. स्थानीय समाचार चैनल के अनुसार मारे गए लोगों में तीन सैनिक हैं.
अस्पताल का मंजर
सेना की कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए करीब दो सौ से तीन सौ लोग अस्पताल भी पहुंचे. एक पादरी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि कम से कम पांच लोगों की टैंक के नीचे कुचले जाने के कारण मौत हुई. एक शव के करीब बैठे पादरी दाउद ने हाथ में प्लास्टिक का थैला दिखाते हुए कहा, "यह इस आदमी का मस्तिष्क है."
स्वास्थ्य मंत्री मगदी एल सेराफी ने ट्विटर पर घटना की निंदा करते हुए लिखा, "यह सेना के इतिहास में एक काला दिन है. यह विश्वासघात है, साजिश है और हत्या है." मानवाधिकार कार्यकर्ता होस्सम बहगत ने अस्पताल से ट्वीट किया, "आज मिस्र में जो हुआ है उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. सेना के टैंकों ने 17 लोगों को कुचल दिया. मैंने बिना हाथ और पैर के शव देखे. उनके सर मुड़े हुए था या पिचक गए थे."
इस मामले पर देश में और हिंसा ना भड़के, इसलिए सोमवार सुबह दो से सात बजे तक काहिरा के तहरीर चौक पर कर्फ्यू लगाया गया है. इस साल की शुरुआत में इसी जगह हुस्नी मुबारक के खिलाफ प्रदर्शन हुए, जिसके बाद उन्हें राष्ट्रपति पद छोड़ना पड़ा.
प्रधानमंत्री की अपील
प्रधानमंत्री एस्सम शरफ ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने सेना और चर्च के अधिकारियों से भी इस बारे में चर्चा की है. अपने फेसबुक पेज पर शरफ ने लिखा, "ऐसी वारदातों और हिंसक घटनाओं का फायदा केवल उन लोगों को मिलता है जो जनवरी में हुए आंदोलन के खिलाफ हैं, वे मिस्र के लोगों के दुश्मन हैं - मुसलामानों के भी और ईसाइयों के भी."
प्रधानमंत्री ने इस बारे में चर्चा करने के लिए सोमवार को काहिरा में मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई है. यह हिंसा ऐसे समय में भड़की है जब मिस्र हुस्नी मुबारक के जाने के बाद देश के पहले चुनाव की तैयारी कर रहा है. मिस्र में अगले महीने चुनाव होने हैं. बुधवार से उम्मीदवार अपने नाम देना शुरू कर सकते हैं.
आठ करोड़ की आबादी वाले मिस्र में 10 फीसदी ईसाई हैं. इस तरह की हिंसा पहले भी कॉप्टिक ईसाइयों और मुस्लिमों के बीच भड़की है और हुस्नी मुबारक के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के बाद से दोनों धर्मों में मतभेद बढ़े हैं. मार्च में भी इस तरह की हिंसा में 13 लोगों की जान गई. लेकिन जानकारों का मानना है कि रविवार को हुई हिंसा सेना की गलत कार्रवाई के कारण भड़की.
रिपोर्ट: एएफपी/डीपीए/रॉयटर्स/ईशा भाटिया
संपादन: ए कुमार