केट और विल की शादी, परीकथा का सच होना
२९ अप्रैल २०११ज्यादातर अखबार एक ही बात कह रहे हैं कि यह शादी दिखाती है कि ब्रिटेन का सामाजिक रंग काफी बदल चुका है. जर्मनी का बिल्ड अखबार लिखता है, "यह शादी परीकथा जैसी है. आज से केट हमारे दिलों की राजकुमारी होगी."
फ्रांस का अखबार लिबरेशन डेली कहता है, "मुझे चुटकी काटो, मैं सपना देख रहा हूं." रूसी टेब्लॉयड कोमोसोमोलस्काया प्रावेदा ने लिखा है, "प्रिंस विलियम की भावी पत्नी उन्हें उनकी मां- राजकुमारी डायना की याद दिलाती है."
ब्रिटेन के द सन, द मिरर और डेली एक्सप्रेस के पहले पेज पर डायना के पसंदीदा फोटोग्राफर मारियो टेस्टिनो के कैमरे से ली गई तस्वीर छापे गए हैं. यह फोटो शाही शादी के कार्यक्रम के साथ रिलीज किया गया था. जिसमें शाही दंपति कह रहे हैं, "हमें खुशी है कि आप हमारे जीवन के सबसे खुशी वाले दिन पर हमारे साथ हैं."
ब्रिटेन के मध्य दक्षिणपंथी टेलिग्राफ अखबार ने डायना की मौत से शाही परिवार के उबरने के बारे में लिखा है, "यह सबसे बड़ा दुख है कि डायना, प्रिंसेस ऑफ वेल्स अपने बेटे की शादी देखने के लिए मौजूद नहीं हैं. जो आज हो रहा है, वह न केवल एक नया अध्याय शुरू करेगा. लेकिन शाही परिवार और देश की कहानी में नया अंक जोड़ेगा. यह संबंध शाही घराने की लंबी का यात्रा का परिचायक है."
द टाइम्स अखबार ने माना है कि यह शादी ब्रिटिश राज घराने में एक नया अध्याय है और लोगों का पैलेस के साथ नया संबंध भी,
ब्रिटेन का डेली मेल कहता है, "इस तथ्य का आनंद लें कि ब्रिटेन अब भी ऐसे समारोह आयोजित कर सकता है जो दुनिया को आश्चर्य में डाल दें. इतनी अलग पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों की शादी हो रही है वह भी बिना किसी के भौंहें चढ़ाए. इस से यह साबित होता है कि ब्रिटेन पिछले कुछ दशक में बदल गया है."
वहीं सन पहले पन्ने पर लिखता है, "मां को कितना गर्व होगा." सिडनी के डेली टेलिग्राफ टेब्लॉयड ने शाही शादी के लिए पांच पन्ने समर्पित किए हैं. यह टेब्लॉयड कहता है, "दुनिया आज ब्रिटेन को खुले मुंह के साथ देखेगी कि वह कुछ ऐसा कर रहा है जो इस धरती पर कोई और देश नहीं कर रहा है. कार्डबोर्ड के ताज को अलग रख देश के झंडे को लहराइए." ऑस्ट्रेलिया दैनिक ने कहा है कि यह एक सिंड्रेला की कहानी है जिसने हॉलीवुड को भी ललचाया है.
वहीं गार्डियन अखबार ने लोगों से अपील की है कि वह शाही तूफान में नहीं बहें क्योंकि देश आर्थिक मुश्किलों से गुजर रहा है. संपादकीय के मुताबिक, "यह लाखों ब्रिटिश नागरिकों के लिए मुश्किल समय है. किसी प्रिंस की पूजा करने का दिन नहीं. यह दिन एक मुस्कान का है. कल और इस साल के किसी और दिन हमें सच की दुनिया में कदम रखना ही होगा."
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एन रंजन