कैंप में ठिठुरते सीरियाई शरणार्थी
७ दिसम्बर २०१३नवंबर की शुरुआत में जब बारिश हुई तो अमूद मुहम्मद के लिए टेंट को सूखा रखना मुश्किल हो गया. उन्होंने डॉयचे वेले से कहा, "बरसात से टेंट हिल रहा था, आंधी पानी के बीच रात में सोना मुश्किल हो गया." उन्होंने बताया टेंट के नीचे से पानी अंदर तक भर जाता था. अमूद सीरिया वापस नहीं जाना चाहतीं, कहती हैं कि ठंड किसी तरह गुजारनी होगी. परिवार की बुजुर्ग अमूद उत्तरी सीरिया में कमिश्ली से हैं. वह उत्तरी इराक में 3000 अन्य शरणार्थियों के बीच रह रही हैं.
सीरिया से शरणार्थियों का पलायन शुरू होते ही उत्तरी इराक में अर्बात इलाके में उनके लिए कैंप लगाए गए. उत्तर पूर्व में इराक और ईरान को बांटने वाली पहाड़ी के पास कैंप है, जहां खूब बर्फीली हवाएं चलती हैं. अब तक दो लाख से ज्यादा शरणार्थी तो सिर्फ इराक में ही पलायन कर चुके हैं. सहायता एजेंसियां उनकी मदद में जुटी हैं लेकिन ठंड का असर बढ़ने के साथ चुनौतियां भी बढ़ती दिखाई दे रही हैं.
आपदा
सीरिया में संघर्ष शुरू होने से अब तक 21 लाख से ज्यादा लोग देश छोड़ कर जा चुके हैं. इन लोगों ने इराक, जॉर्डन, लेबनान और तुर्की में पनाह ली हुई है. शरणार्थियों में आधे से ज्यादा 18 साल से कम उम्र के हैं. शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त एंटोनियो गुटेरेस ने कहा यह एक बहुत शर्मनाक मानवीय आपदा है. इतनी बड़ी आपत्ति और विस्थापन हाल फिलहाल में दूसरा नहीं देखा गया.
सीरिया में संघर्ष का यह तीसरा साल है. सरकार और विद्रोहियों के बीच चल रहे संघर्ष, जा रही जानों और खाने और बिजली की तंगी के बीच विस्थापन लगातार बढ़ रहा है. सहायता एजेंसियां दो लाख से ज्यादा शरणार्थियों को ठंड से बचने के लिए मदद पहुंचा रही हैं.
अमूद भी जल्द ही दूसरे टेंट में जाने की आस लगाए बैठी हैं. ये कैंप अर्बात के पास में ही तैयार किए जा रहे हैं. 2050 नए कैंपों में कंक्रीट का फर्श और खाना बनाने और नहाने धोने के लिए भी अलग से इंतजाम किए जा रहे हैं. सर्दियों की शुरुआत तक इसे तैयार कर लेने की योजना थी, लेकिन अभी इसमें दो महीने का समय और लगेगा.
इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही यूएनएचसीआर की काहीन इस्माइल ने डॉयचे वेले से कहा, "हम कोशिश कर रहे हैं कि नए टेंट तैयार करने का काम तेज हो, ताकि ठंड खत्म होने से पहले लोगों को वहां पहुंचाया जा सके."
ठंड की तैयारी
यूएनएचसीआर के अधिकारी पेटा बार्न्स 13,000 शरणार्थियों के कावरगोस्क कैंप की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, "हम जहां खड़े हैं यहां अगस्त में कोई कैंप नहीं था. जब आप सारे इंतजाम पर नजर डालते हैं तो अविश्वसनीय लगता है."
उन्होंने बताया कि नवंबर में हम जब यहां आए तो लोगों की खूब मदद की जा रही थी. लोग यहां लाइन लगाकर आते और सहायता कर्मचारी उन्हें खाना, कंबल, प्लास्टिक की चादरें जैसे जरूरी सामान बांटते.
इराक के स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन की भी इस बात पर नजर है कि सांस की बीमारी, निमोनिया और जुकाम दैसे मर्ज का शुरुआत में ही इलाज हो जाए. सर्दी के मौसम में इस तरह की बीमारियां ज्यादा होती हैं.
मुहम्मद मंसूर को भी ठंड की चिंता है. वह कावरगोस्क में अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रह रहे हैं. एक बच्चा तो दो महीने का है. उन्होंने बताया, "हमारे पास ठंड के लिए हीटर है लेकिन समस्या तेल की है. उन्होंने हमें थोड़ा तेल दिया था जो अब खत्म होने वाला है. अगर हमें समय रहते और तेल नहीं मिला तो बहुत ठंड लगेगी."
शहरी शरणार्थियों की समस्या
इराक में करीब 1.2 लाख शरणार्थी अपने दोस्तों, जान पहचान वालों के घर पर या खाली पड़ी इमारतों में रह रहे हैं. 80 फीसदी सीरियाई शरणार्थी वे हैं जो कैंपों में नहीं बल्कि शहरी इमारतों में रह रहे हैं.
सुलैमानिया इलाके में काम कर रहे यूएनएचसीआर की इस्माइल कहती हैं, "जो कैंपों में नहीं रह रहे हैं उनके लिए परिस्थितियां अलग हैं. हमारा ध्यान सबसे ज्यादा उन पर है जो ज्यादा बुरे हाल में रह रहे हैं, ताकि उन्हें भी वे सहूलियतें मिल सकें, जो कैंप में रहने वालों को मिल रही हैं. जैसे हीटिंग, कंबल, तेल और अन्य चीजें. कुछ लोगों को हम आर्थिक मदद भी दे रहे हैं."
अलेप्पो से आए फरीद तारिक एर्बिल के बाहरी इलाके में एक घर में रह रहे हैं. उन्होंने बताया, "हमारे पास कुछ कंबल हैं लेकिन ये काफी नहीं हैं. हम आठ लोग हैं. ये सारी चीजें हमारे लिए पड़ोसी लेकर आए."
तारिक ट्रैफिक लाइट पर लोगों को सिगरेट बेचते हैं. थोड़ा बहुत जो कमा लेते हैं वह उनके परिवार का पेट भरने के लिए काफी है. लेकिन इतने में हीटर और कंबल जुगाड़ना मुमकिन नहीं. परिवार पास के कैंप में भी जाने को तैयार नहीं, उन्हें वहां हिंसा का डर है. तारिक को दिन रात एक ही फिक्र है, सर्दी बढ़ रही है, कंबल और हीटर का इंतजाम जल्द न हुआ तो बहुत मुश्किल होगी.
रिपोर्टः एंड्रियान विलियम्स/एसएफ
संपादनः ए जमाल