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मानवाधिकार पर सऊदी अरब की आलोचना

२२ अक्टूबर २०१३

मानवाधिकारों के उल्लंघन पर सऊदी अरब को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी. खासतौर से मौत की सजा और महिलाओं के साथ भेदभाव पर. हाल ही में उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जगह लेने से इनकार कर दिया था.

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तस्वीर: Getty Images/AFP

मानवाधिकारों पर सऊदी अरब के रवैये की समीक्षा कर रहे संयु्क्त राष्ट्र के राजनयिकों ने इस देश की कड़ी आलोचना की है. देश से बाहर जाने जैसे कामों के लिए महिलाओं को अपने पुरुष रिश्तेदारों से अनुमति लेनी होती है, इसी तरह की कई और बंदिशें भी हैं जैसे कि वो ड्राइविंग नहीं कर सकतीं. राजनयिकों ने इस तरह की व्यवस्था को खत्म करने में नाकाम रहने के लिए सऊदी सरकार की जम कर आलोचना की. स्विट्जरलैंड के प्रतिनिधि ने कहा कि सऊदी अरब को, "वयस्क महिलाओं के पुरुष अभिभावक वाले तंत्र को खत्म करना चाहिए." जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सामने समीक्षा बैठक में भाग लेने वाले 104 देशों में ज्यादातर की यही राय थी.

सऊदी अरब के मानवाधिकार आयोग के प्रमुख और जिनेवा में सऊदी अरब के प्रतिनिधियों का नेतृत्व कर रहे बांदर बिन मोहम्मद अल ऐबन ने कहा कि देश ने 2009 में हुई इस तरह की पहली समीक्षा के बाद काफी प्रगति की है. उनका कहना है कि सऊदी अरब ने शूरा काउंसिल की कम से कम 20 फीसदी सीटें महिलाओं को दी है. यह एक सलाहकार संस्था है, जो देश के प्रमुख को कानून में बदलाव के लिए मशविरा दे सकती है. उनका कहना है, "रोजमर्रा के स्तर पर बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है." हालांकि मानवाधिकारों के लिए काम कर रहे लोग इससे सहमत नहीं हैं. मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच के मध्य पूर्व निदेशक जो स्टार्क ने एक बयान में कहा है,. "बहुत से देशों में समस्या है लेकिन सऊदी अरब में दमन असाधारण स्तर पर है और वह मानवाधिकार परिषद से किए अपने वादों को पूरा करने में नाकाम रहा है." एमनेस्टी इंटरनेशनल के फिलिप लूथर ने कार्यकर्ताओं को मनमाने तरीके से हिरासत में रखने की निंदा करते हुए कहा, "संयुक्त राष्ट्र में सऊदी अरब के पुराने वादे और कुछ नहीं बस गर्म हवाएं साबित हुई हैं."

राजनयिकों ने कुछ दिशाओं में हुई प्रगति की सराहना भी की. इसमें कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सम्मेलनों में सऊदी अरब का शामिल होना और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उठाए कदम शामिल हैं. हालांकि मौत की सजा जारी रहने पर उन्होंने गहरी चिंता जताई. यहां तक कि नाबालिगों को भी मौत की सजा दी जाती है. नॉर्वे के प्रतिनिधि ने हर तरह की मौत की सजा पर रोक लगा कर उन्हें खत्म करने की मांग की और खासतौर से नाबालिगों को यह सजा देने पर सख्त एतराज जताया. समाचार एजेंसी की गणना के मुताबिक इस साल सऊदी अरब ने अब तक 69 लोगों को मौत की सजा दी है.

राजनयिकों ने प्रवासी मजदूरों के संरक्षण के लिए भी सऊदी अरब से कदम उठाने को कहा. बिना अनुमति लिए एक कंपनी से दूसरी कंपनी में जाने पर पाबंदी की वजह से प्रवासी मजदूर अकसर बंधुआ मजदूरी के जाल में फंस जाते हैं. सोमवार की समीक्षा पर एक रिपोर्ट बुधवार को जारी होगी जिस पर शुक्रवार को परिषद की मुहर लगेगी. सऊदी अरब 47 सदस्य देशों वाले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में जगह पाने में नाकाम रहा है. यह सदस्यता बारी बारी से दी जाती है.

सऊदी अरब ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दो साल के अस्थायी सदस्यता की पेशकश ठुकरा दी. उसने सीरिया के गृह युद्ध और अरब जगत के दूसरे संकट वाले देशों के मामले में "दोहरा मापदंड" अपनाने का आरोप लगाया.

एनआर/एएम (एएफपी)

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