कैसे बचेंगे भारत के श्रमिक साहूकारों और गुलामी से
६ अक्टूबर २०२०भारत की 45 करोड़ श्रमिकों की आबादी में अनियमित कामगारों की 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाई गई महीनों लंबी तालाबंदी का सबसे बुरा असर इन्हीं की जीविका पर ही पड़ा है. मंगलवार को प्रधानमंत्री को भेजी गई याचिका पर 15 लाख लोगों ने हस्ताक्षर किए, जिनमें प्रवासी श्रमिक, रेहड़ी-पटरी वाले और घर से काम करने वाले श्रमिक भी शामिल हैं. याचिका में मांग की गई है कि उन्हें कम से कम अगले चार महीनों तक 6000 रुपए नकद दिए जाएं, ताकि वे जोखिम भरे कर्ज, मानव तस्करी और बाल श्रम से बच पाएं.
तमिलनाडु अलायन्स के सदस्य पी बालमुरुगन ने बताया, "इस सहायता से गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले कमजोर परिवारों को नकद रुपए मिल पाएंगे." तमिलनाडु अलायन्स 100 धर्मार्थ संगठनों का एक संघ है जो कपड़ा उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के हालात सुधारने के लिए काम करता है. इस याचिका की पहल इसी संघ ने की थी और आयोजकों ने बताया कि इसमें 23 राज्यों के लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं. याचिका के बारे में पूछे जाने पर सरकार के मुख्य प्रवक्ता के एस धतवालिया ने कहा कि महामारी की शुरुआत से ही "हर श्रेणी के श्रमिकों के लिए कई कदम उठाए गए हैं."
उन्होंने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "इन कदमों में आगे चल कर स्थिति के अनुसार बदलाव भी लाए गए ताकि लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके." मोदी सरकार ने प्रवासी श्रमिकों के लिए खाने के इंतजाम पर 35 अरब रुपए खर्च करने का संकल्प लिया है और ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के तहत स्थानीय रोजगार के कुछ अवसर भी दिए हैं. लेकिन कई अनियमित श्रमिकों को डर है कि चूंकि उनके पास कागजात नहीं हैं और बैंक में खाता भी नहीं है उन्हें सरकारी मदद मिलने में दिक्कत होगी. श्रम अधिकार एक्टिविस्ट कहते हैं कि बड़ी संख्या में श्रमिकों ने अनियमित साहूकारों से मदद ली है जो अक्सर काफी ऊंची दर पर ब्याज वसूलते हैं.
गृह मंत्रालय ने जुलाई में एक एडवाइजरी जारी कर राज्य सरकारों से कहा था कि वो तस्करी के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाएं क्योंकि इस बात का डर था कि काम, खाना और पैसों के अभाव में अनगिनत लोग तस्करों का शिकार बन जाएंगे. प्रधानमंत्री को भेजी गई याचिका में कहा गया है कि यह मदद एक "सेफ्टी नेट" की तरह काम करेगी जो भुखमरी को कम करेगी और मानव तस्करी, बाल विवाह और बाल श्रम की संभावना को घटाएगी. याचिका में कहा गया है कि नकद रुपये मिलने से उन लोगों को आवश्यक खाने पीने का सामान, स्वास्थ्य संबंधी देख-भाल, मकान के किराए का भुगतान और दूसरे खर्चे उठाने में सहायता मिलेगी.
सीके/एमजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
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