चीनी प्रधानमंत्री से मनमोहन की मुलाकात आज
२९ अक्टूबर २०१०विएतनाम की राजधानी हनोई में मनमोहन की मुलाकात चीनी प्रधानमंत्री से होगी. दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों पर चर्चा होगी. लेकिन बातचीत ज्यादातर विवाद के इर्द गिर्द घूमती रहेगी. भारत ने साफ कर दिया है कि उसके हिस्से वाले कश्मीरियों को अलग से चीनी वीजा दिया जाना गलत है. शुक्रवार को मनमोहन शीर्ष चीनी नेता के सामने खुद यह बात रखेंगे. चीन पहले ही साफ कर चुका है कि वह कश्मीरी को भारतीय पासपोर्ट के बजाए अलग से कागज पर वीजा देता रहेगा. भारत सरकार इसे अपनी संप्रभुता के खिलाफ मानती है.
हाल में दोनों देशों के बीच कई अन्य मुद्दों पर विवाद हुए हैं. इनमें भारतीय सेना के अधिकारी को चीनी वीजा न दिए जाने का मसला भी शामिल है. इन विवादों के चलते जुलाई से ही दोनों देशों के बीच सामरिक मुद्दों पर बातचीत बंद हैं. अब भारतीय अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि मनमोहन बातचीत को सकारात्मक बनाने की कोशिश करेंगे. लेकिन कश्मीरियों के वीजा के मसले पर चीन अब भी अपने रुख पर अड़ा हुआ है.
दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन भी गड़बड़ाया हुआ है. नई दिल्ली और बीजिंग के बीच सालाना 80 अरब डॉलर का व्यापार हो रहा है. लेकिन इसमें चीन को 15 अरब डॉलर का फायदा हो रहा है. भारत चीन से ज्यादा सामान आयात कर रहा है कि जबकि बीजिंग भारत के सामान में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. यही वजह है भारतीय दवा कंपनियां चीनी बाजार में पैठ बना ही नहीं पा रही है. इसकी वजह से व्यापार असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई है. भारतीय अधिकारियों का कहना है कि मनमोहन इस मामले को भी चीनी प्रधानमंत्री के सामने उठाएंगे.
दोनों देशों के संबंधों के लिहाज से शुक्रवार की बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है. भारतीय प्रधानमंत्री का कहना है कि व्यापार के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच अपार संभावनाएं हैं. सिंह पहले ही कह चुके हैं दुनिया में चीन और भारत की साथ साथ तरक्की के लिए काफी जगह है. भारत की कोशिश है कि सिंह और जियाबाओ की बातचीत को मतभेदों की भेंट चढ़ने से रोका जाए. सूत्रों का कहना है कि इस मुलाकात के बाद दोनों देश सीमा विवाद को सुलझाने के लिए द्विपक्षीय बातचीत की तारीखों का एलान कर सकते हैं.
अगले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत यात्रा पर आ रहे हैं. कूटनीतिक हल्कों में कहा जा रहा है कि अगर चीन भारत के साथ किसी मुद्दे पर जिद्दी रुख अपनाता है तो नई दिल्ली और अमेरिका की नजदीकियां और ज्यादा बढ़ेगी. चीन को लेकर अब दुनिया भर में सुगबुगाहट होने लगी है. वह अमेरिका को भी दो टूक जवाब देने लगा है. जापान से भी खुली भिड़ंत हो रही है और भारत के साथ भी विवाद कम करने की कोशिशें कम ही हो रही हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: आभा एम