जयललिता से गठबंधन तोड़ा, चुनाव नहीं लड़ेगी एमडीएमके
२० मार्च २०११चुनाव के बहिष्कार का फैसला रविवार को पार्टी के जिला सचिवों की बैठक में लिया गया. बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसके मुताबिक, "लंबे समय से सहयोगी रही पार्टी के प्रति एआईएडीएमके का घमंडी रुख और सिर्फ आठ सीट दिए जाने से पार्टी की भावनाएं आहत हुई हैं. हम सिर्फ चंद सीटों के लिए अपना स्वाभिमान नहीं बेचना चाहते और इसीलिए चुनाव में हिस्सा न लेने का फैसला किया गया है."
एआईएडीएमके की तरफ से ऐन वक्त पर 13 सीटों की पेशकश भी एमडीएमके को गठबंधन में बनाए रखने के लिए पर्याप्त साबित नहीं हुई. पार्टी प्रमुख वाइको ने एआईएडीएमके से अपने सभी रिश्ते तोड़ने का एलान किया है. एमडीएमके ने तीसरा मोर्चा बनाने की संभावनाओं से भी इनकार किया है.
एमडीएमके के अनुसार पहले उसने 234 में 35 सीटें मांगी थी, जिन्हें बाद में घटाकर 30 कर दिया गया. लेकिन एआईएडीएमके ने सिर्फ छह सीटों की पेशकश की. बाद में पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की पार्टी ने अपनी पेशकश को बढ़ाकर नौ सीटों पर ला दिया जबकि एमडीएमके ने 21 सीटें मांगनी शुरू कर दीं. बाद में एआईएडीएमके ने 10 सहयोगी पार्टियों के लिए 74 सीटें देने का समझौता किया और खुद 160 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का एलान किया.
एमडीएमके के एक नेता ने कहा कि पार्टी को लगा कि एआईएडीएमके वाइको को रखने के मूड में नहीं है. उसे लगता है कि डीएमके के पूर्व नेता और श्रीलंका में तमिल विद्रोहियों के कट्टर समर्थक वाइको में अब कोई दम नहीं रहा है. उनके सभी अहम साथी उन्हें छोड़ कर चले गए हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एमजी