चांसलर उम्मीदवारों के बीच कोविड, जलवायु व अफगानिस्तान पर बहस
३० अगस्त २०२१इस निर्णायक मुकाबले का लोगों को उत्सुकता से इंतजार था. 26 सितंबर को जर्मनी के मतदाता एक ऐसी नई सरकार चुनने के लिए मतदान करेंगे, जिसकी मुखिया अंगेला मैर्केल नहीं होंगी. वे 16 सालों से चांसलर के पद पर रहने के बाद इस बार के चुनावों में हिस्सा नहीं ले रही हैं. इसी क्रम में उनका स्थान लेने के लिए दावेदारी करने वाले तीन उम्मीदवार प्राइम टाइम डिबेट में आमने-सामने आए.
हाल ही में हुए ओपिनियन पोल्स के नतीजों के मुताबिक मैर्केल की सेंटर-राइट क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू/सीएसयू) और जूनियर गठबंधन पार्टनर, सेंटर-लेफ्ट सोशल डेमोक्रेट्स (एसपीडी) के बीच 21 फीसदी और 24 फीसदी के साथ कांटे की टक्कर है, जबकि ग्रीन पार्टी भी ज्यादा पीछे नहीं है. ऐसे में यह भी हो सकता है कि अगली सरकार के गठन के लिए तीनों पार्टियां को साथ आना पड़े और तभी जरूरी बहुमत हासिल किया जा सके.
इस हालात में चांसलर पद के तीनों ही उम्मीदवारों को तेजी से अपनी स्थिति और मजबूत करने की जरूरत है. सीडीयू/सीएसयू के कैंडिडेट आर्मिन लाशेट जर्मनी के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया के मुख्यमंत्री हैं और चुनावों में अपनी स्थिति बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ओलाफ शॉल्त्स (एसपीडी) इस समय देश के वित्त मंत्री और वाइस-चासंलर हैं. उनकी हालिया लोकप्रियता रेटिंग में बढ़त देखी गई है. और अनालेना बेयरबॉक, जो ग्रीन पार्टी की को-चेयर हैं, वे अपने प्रचार अभियान के शुरुआती दिनों के झटकों से उबरने की कोशिश कर रही हैं.
अफगानिस्तान
अभी टीवी बहस शुरु हुए सिर्फ पांच मिनट ही हुए थे कि तीनों राजनेता अफगानिस्तान के मुद्दे पर भिड़ गए. विवाद के केंद्र में थी, जर्मन सैन्य बलों यानी बुंडसवेयर की स्थिति. जिसके बारे में तीनों ही उम्मीदवारों का विचार यह था कि इसके पास फंड और पर्याप्त हथियारों की कमी है.
सबसे पहले लाशेट ने ओलाफ शॉल्त्स के खिलाफ मोर्चा खोला और उनकी एसपीडी पर जर्मन सेना के आधुनिकीकरण के मुख्य तरीके सैन्य ड्रोन को रोकने का आरोप लगाया. शॉल्त्स ने सीडीयू और फ्री मार्केट समर्थक फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (FDP) की 2013 तक सत्ता में रही पूर्व सरकार पर सैन्य बलों के बजट और हथियारों पर इंवेस्ट करने में नाकाम रहने के लिए पलटवार किया.
शॉल्त्स ने दावा किया कि उनके केंद्रीय मंत्री रहने के दौरान उन्होंने बुंडसवेयर के बजट में सबसे बड़ी बढ़ोतरी की है और यह अब करीब 50 बिलियन यूरो या 43 खरब रुपये से ज्यादा हो चुका है.
वहीं ग्रीन पार्टी की अनालेना बेयरबॉक, जो कभी किसी सरकारी पद पर नहीं रही हैं, वे यह बताने को काफी उत्सुक दिखी कि वे अफगानिस्तान के मामले में मौजूदा गठबंधन को विफल क्यों पाती हैं. उन्होंने बताया, जून में उनकी पार्टी के बुंडसवेयर के और स्थानीय सहायकों को अफगानिस्तान से निकालने के प्रस्ताव को सत्ताधारी गठबंधन ने नहीं माना था. "यह एक आपदा थी, जिसे आते हुए देखा जा सकता था."
कोविड महामारी
कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के मुद्दे पर तीनों ही उम्मीदवारों ने वैक्सीनेशन के महत्व पर जोर दिया. हालांकि अनिवार्य वैक्सीनेशन को लागू करने के मुद्दे पर उनमें अंतर दिखा. सिर्फ बेयरबॉक ने इसका समर्थन किया.
तीनों कैंडिडेट से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में कोविड-19 से जुड़े प्रतिबंधों के बारे में सवाल किया गया- "जिनके पास कोविड-19 टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट है, या जो कोविड-19 से छह महीने के अंदर स्वस्थ हुए हैं, या जिन्हें दो हफ्ते या उससे पहले ही वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं, उन्हें ही ट्रेन में यात्रा की अनुमति दी जाए?" शॉल्त्स और बेयरबॉक इस नियम को लागू करने के पक्ष में थे. लाशेट ने खुद को इस सवाल से दूर कर लिया और तर्क दिया कि ऐसे किसी भी नियम को लागू कराना आसान नहीं होगा.
लाशेट ने उन आरोपों को खारिज किया, जिनमें उन पर अपने राज्य में लगातार कोरोना वायरस महामारी से गलत तरह से निपटने की बात कही गई है. जर्मनी भर में महामारी की चौथी लहर फैल रही है, वहीं उनके राज्य में मामले खासकर ज्यादा हैं. उन्होंने जोर दिया कि वे संक्रमण से जुड़ी अलग-अलग स्थितियों से उचित रूप से निपटे हैं.
जलवायु परिवर्तन से लड़ाई
तीनों ही उम्मीदवारों ने रिन्यूएबल एनर्जी और जलवायु संरक्षण कार्यक्रमों को और बढ़ावा देने की शपथ ली लेकिन इससे जुड़े उनके विचारों, तेजी और तरीकों में अंतर रहा. लाशेट और शॉल्त्स ने रोक और प्रतिबंध जैसे तरीकों का स्पष्ट तौर पर विरोध किया. शॉल्त्स ने जर्मनी को 2045 तक कार्बन मुक्त राज्य बनाने की बात कही. उन्होंने तर्क दिया, "कार्बन-मुक्त अर्थव्यवस्था की राह में समय लगता है. हमें यह समझना होगा कि ऐसा रातोंरात नहीं किया जा सकता."
लाशेट ने कहा, "हमें अब शुरु हो जाना चाहिए और गति पकड़ लेनी चाहिए, लालफीताशाही कम कर देनी चाहिए और प्रक्रिया को तेज कर देना चाहिए." उन्होंने कहा, ऐसा करते हुए, सरकार को बैन और प्रतिबंधों पर कम और नये प्रयोगों पर ज्यादा निर्भर रहना चाहिए. लाशेट ने ग्रीन पार्टी पर उद्योग विरोधी नजरिया रखने का आरोप लगाया और चेताया कि कड़े नियम उद्योगों को जर्मनी से बाहर कर देंगे. उन्होंने चेतावनी दी, "स्ट्रील इंडस्ट्री भारत या चीन चली जाएगी."
ग्रीन पार्टी की उम्मीदवार ने अपने विरोधियों पर अक्षम और ईमानदार नहीं होने का आरोप लगाते हुए उनकी आलोचना की. बेयरबॉक ने कहा, "मुझे यह सुनने में बहुत डरावना लगता है. आप किसी चीज को सिर्फ इसलिए बैन नहीं करना चाहते क्योंकि चुनाव अभियान पर इसका बुरा असर होगा." बेयरबॉक ने तेजी से रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देने का सुझाव दिया और 2030 तक इंटरनल कंबशन इंजन पर रोक लगाए जाने का प्रस्ताव रखा, और यह भी कहा कि सभी नई इमारतों की छत पर सोलर पैनल लगाने की बाध्यता होनी चाहिए.
इस मामले पर उन्होंने अंतत: कहा, "अगर हम अगली संघीय सरकार को क्लाइमेट न्यूट्रैलिटी के लिए प्रतिबद्ध नहीं कर सके तो हमारे सामने एक बहुत बड़ी समस्या होगी."
टैक्स
बिजनेस समर्थक कंजरवेटिव उम्मीदवार लाशेट ने अपने सेंटर-लेफ्ट एसपीडी और ग्रीन उम्मीदवारों पर टैक्स बढ़ोतरी की योजना बनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह ऐसे समय में हानिकारक होगा, जब देश कोरोना वायरस महामारी से उबरने की कोशिश कर रहा है.
हालांकि शॉल्त्स ने जोर दिया कि खासकर ज्यादा कमाई करने वालों पर 3 फीसदी की टैक्स की बढ़ोतरी की जा सकती है, जो उपयुक्त होगी. बेयरबॉक ने इस पर सहमति जताई और इस बात पर बल दिया कि इन सबसे बढ़कर कम आय वाले और सिंगल पेरेंट्स के लिए करों में कटौती की जानी चाहिए.
किसे मिले सबसे ज्यादा नंबर?
बेयरबॉक ने लाशेट पर पहले से तैयार तर्क दोहराने का आरोप लगाया, जबकि लाशेट ने बेयरबॉक पर लोकप्रिय जुमले बोलकर नंबर बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. हालांकि शॉल्त्स इससे अलग रहे और अपने आपको किसी गहमागहमी में नहीं फंसने दिया.
इसके बाद जनमत शोध कंपनी फोर्सा ने एक ओपिनियन पोल कराया, जिसमें 2500 लोग शामिल हुए. जिनमें से 36 फीसदी ने शॉल्त्स को सबसे आगे रखा. जबकि 30 फीसदी ने बेयरबॉक और केवल 25 फीसदी ने लाशेट को सबसे आगे बताया.
पिछले दो दशकों से जर्मनी में शीर्ष उम्मीदवारों के बीच लाइव टीवी बहस एक आम बात हो गई है. अक्सर इसमें सरकार के वर्तमान प्रमुख को उसके प्रतिद्वंदी के सामने खड़ा किया जाता है. लेकिन यह साल अलग है क्योंकि युद्ध बाद के जर्मन इतिहास में पहली बार कोई मौजूदा चांसलर फिर से चुने जाने के लिए प्रचार नहीं कर रही हैं. जबकि यह हाई-प्रोफाइल बहसें 'डुअल्स' यानी दो लोगों के बीच होने वाली मानी जाती थी, इस साल पहली बार इसमें तीन उम्मीदवार शामिल रहे, इसलिए इसे 'ट्रिएल' नाम दिया गया है (जो अभी तक शब्दकोश में भी नहीं है).
इस बहस के दो संस्करण अभी होने हैं: एक 12 सितंबर को और दूसरा 19 सितंबर को आयोजित किया जाएगा. ये तीनों राजनेता निर्णायक मुकाबले के दूसरे और तीसरे भाग में फिर से आमने-सामने होंगे.