जर्मन जिम्मेदारी पर जोर
१८ दिसम्बर २०१३नई सरकार बनाने के बाद संसद में अपनी पहली घोषणा में मैर्केल ने यूरोपीय संघ के देशों के सुधार के वादों को पूरा करने के प्रयासों को बढ़ाने की मांग की. उन्होंने कहा कि भविष्य में यूरोपीय आयोग और हर सदस्य देशों के बीच बाध्यकारी समझौते किए जाने चाहिए. चांसलर ने कहा कि भविष्य में संकट को टालने के लिए राष्ट्रीय संरचनात्मक सुधारों की मांग होनी चाहिए.
सुधारों की मांग
मैर्केल ने कहा कि गुरुवार और शुक्रवार को ब्रसेल्स में होने वाली शिखर भेंट में यह मुद्दा रहेगा, "हम यहां धीमी प्रगति हासिल करेंगे." लेकिन चांसलर ने मांग की कि 2014 में इसके बारे में बातचीत और बहस होती रहनी चाहिए. मैर्केल ने चेतावनी दी कि यूरोप की विश्वसनीयता को अक्सर इससे नुकसान पहुंचा है कि आश्वासनों और फैसलों पर अमल नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि जो देश प्रतिस्पर्धी क्षमता के विकास के सुझावों पर अमल नहीं करते हैं, उन्हें सब्सिडी की कटौती के लिए तैयार रहना होगा.
लगातार तीसरी बार चुनाव जीत कर राजनीतिक तौर पर मजबूत हुईं चांसलर ने चेतावनी दी कि ईयू के समझौतों में संशोधन किए बिना यूरोपीय एकता का भविष्य सुरक्षित नहीं किया जा सकता, "जो ज्यादा यूरोप चाहता है, उसे खास अधिकारों को फिर से तय करने के लिए तैयार रहना होगा." चांसलर ने कहा कि यूरोप स्थिरता की राह पर है लेकिन साथ ही स्वीकार किया कि राजकोषीय संकट पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि उसे स्थायी रूप से दूर किया जा सकता है.
जिम्मेदारी पर जोर
अपने नए कार्यकाल में चांसलर मैर्केल संकट की वजहों को दूर करने के लिए काम करेंगी. उनकी राय में भारी बजट घाटे के अलावा, प्रतिस्पर्धा की क्षमता की कमी, आर्थिक असंतुलन और वित्तीय क्षेत्र में गलत विकास इसकी वजह है. चांसलर ने कहा कि जर्मनी यूरोप में अपनी जिम्मेदाराना और एकता को बढ़ावा देने वाली भूमिका जारी रखेगा. यूरोपीय शिखर भेंट में यूक्रेन पर भी चर्चा की संभावना है. चांसलर ने कहा कि ईयू के साथ सहयोग समझौते का प्रस्ताव अभी भी मेज पर है, लेकिन यूक्रेन को प्रदर्शन के अधिकार और लोकतांत्रिक नियमों के अमल की गारंटी देनी होगी.
मैर्केल के भाषण पर संसद में हुई बहस में मुख्य विपक्षी दल डी लिंके ने गठबंधन सरकार पर चुनावी वादों में धोखाधड़ी का आरोप लगाया और कहा कि यूरोप में बाजार के समर्थन में गरीब लोगों के खिलाफ नीति चलाई जा रही है. ग्रीन पार्टी की संसदीय दल की नेता कातरीन गोएरिंग एकहार्ड ने मांग की लोकतंत्र और मानवाधिकारों को जर्मनी की यूरोप नीति के केंद्र में होना चाहिए.
एमजे/एजेए (रॉयटर्स, डीपीए)