जर्मनी में भारतीय पर हमला
२७ दिसम्बर २०१२बॉन पुलिस के प्रवक्ता हारी कोल्बे ने डॉयचे वेले को बताया, "क्रिसमस से पहले वाली शाम हमें करीब 10 बजे अस्पताल से खबर मिली कि एक युवक को अस्पताल में भर्ती किया गया है क्योंकि उसे चोट आई है. हमें पता चला कि 24 साल के इस युवक की जीभ पर चोट आई थी और लगातार खून बह रहा था."
भारतीय युवक ने बॉन पुलिस को बताया है कि वह बॉन के भीड़ भाड़ वाले इलाके पॉपल्सडॉर्फ की तरफ जा रहा था, जब दो लोगों ने उसका रास्ता रोका और उसे अपना धर्म बदलने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि ऐसा न करना गुनाह होगा. उन्होंने उसे धमकी भी दी कि अगर वह मना करता है तो वे उसकी जीभ काट देंगे. धमकी के बावजूद जब युवक आगे बढ़ गया तो दोनों ने उसका पीछा शुरू किया और फिर उस पर हमला किया. कोल्बे ने बताया, "हमें अस्पताल की तरफ से पता चला है कि जीभ पर चोट आई है, लेकिन वह कितनी बड़ी है और यह कैसे हुआ, इस बारे में हम अभी कुछ नहीं कह सकते."
पुलिस की तहकीकात
हमले के बाद दोनों एक कार में भाग गए. कार के बारे में भी पुलिस के पास अब तक कोई जानकारी नहीं है. वहां से गुजर रही एक महिला ने युवक के मुंह से खून बहते देखा और उसकी मदद के लिए एंबुलेंस बुलाई. कोल्बे ने कहा, "हमें जैसे ही मामले के बारे में पता चला हमने तहकीकात शुरू कर दी. हमने चश्मदीदों से बात की है, युवक के कपड़ों को सुरक्षित रखा है और उसके खून की जांच भी की गई है. मामले की जांच की जा रही है ताकि साफ साफ पता चल सके कि क्या हुआ था."
यह मामला भले ही 24 तारीख का हो, लेकिन पुलिस ने इसकी जानकारी बुधवार को दी. तीन दिन निकल जाने के बाद भी अब तक पुलिस हमलावरों के बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं कर पाई है, "हमें हमलावरों के बारे में केवल उतना ही पता है जितना युवक ने बताया. उनमें से एक ने काले रंग के कपड़े पहने थे, वह करीब 35 साल का था और उसने ठोड़ी पर छोटी सी दाढ़ी रखी थी."
युवक के अनुसार उसने इन लोगों को पहले कभी नहीं देखा था और उसे कोई अंदाजा नहीं है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ. पुलिस युवक की पहचान गुप्त रखना चाहती है, "हम आपको बस इतना ही बता सकते हैं कि वह छात्र है और भारत का रहने वाला है."
फैलता इस्लामी कट्टरपंथ
जर्मनी की पूर्व राजधानी बॉन में करीब दो हफ्ते पहले मुख्य रेलवे स्टेशन पर बम पाया गया. पुलिस के अनुसार इसके पीछे कट्टरपंथी मुसलमानों का हाथ था. अब इस घटना में भी ऐसा ही माना जा रहा है. कोल्बे बताते हैं, "जिस तरह से युवक ने उसकी पहचान बताई है ऐसा कहा जा सकता है कि वह सलाफी थे, लेकिन क्या उनके किसी गुट से संबंध हैं, यह अभी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि हमारे पास ऐसे कोई सबूत नहीं हैं."
सलाफी पंथ जर्मनी में तेजी से फैलता इस्लामी कट्टरपंथी समुदाय है. जर्मनी के सबसे बड़े प्रांत नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया की घरेलू खुफिया सेवा के अनुसार 2012 में ही उग्रपंथी सलाफियों की तादाद 500 से बढ़कर 1000 हो गई है. सलाफी संप्रदाय मिस्र में 19वीं सदी में शुरू हुआ था. यह दूसरे धर्मों और समुदायों के प्रति अनुदार हैं. गैर सलाफी मुसलमानों को भी यह संप्रदाय काफिर मानता है.
जर्मन राजनीतिज्ञ धार्मिक हिंसा के खिलाफ कानून को कड़ा करने की मांग कर रहे हैं. संसद में गृह नैतिक आयोग के प्रमुख वोल्फगांग बोसबाख का कहना है कि पिछले महीनों में जर्मनी पहुंचने वाले खतरनाक कट्टरपंथियों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ी है. उनका कहना है कि अफगानिस्तान पाकिस्तान में दबाव बढ़ने के बाद आतंकवाद का प्रशिक्षण माली, लीबिया और सोमालिया जैसे देशों में दी जा रहा है.
इस बीच युवक को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और उसे सुरक्षा मुहैया करा दी गई है. पुलिस का कहना है कि भारतीय युवक के मामले में वह जल्द से जल्द अपनी जांच रिपोर्ट प्रांतीय और केंद्रीय सुरक्षा अधिकारियों के साथ बांटेंगे.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया
संपादन: महेश झा