मीडिया कंपनियों पर आयकर छापे
२२ जुलाई २०२१मीडिया में आई खबरों में दावा किया जा रहा है कि कई राज्यों में दैनिक भास्कर से जुड़े कई ठिकानों पर एक साथ छापे मारे गए हैं. इनमें दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 35 ठिकाने शामिल हैं. सरकार ने इन छापों पर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है लेकिन सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि छापे टैक्स चोरी के आरोपों की जांच के उद्देश्य से मारे गए. हालांकि कई पत्रकारों, एक्टिविस्टों और विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार इनकम टैक्स छापों के जरिए दैनिक भास्कर को सरकार की आलोचना वाली खबरें छापने की सजा दे रही है.
अखबार का कहना है कि यह "गंगा में लाशों से लेकर कोरोना से मौतों के सही आंकड़े देश के सामने रखने" के लिए समूह पर "सरकार की दबिश" का सबूत है. अखबार के कुछ वरिष्ठ संपादकों ने इस बारे में ट्वीट भी किया. दैनिक भास्कर डीबी कॉर्प समूह का हिस्सा है जिसे भारत के सबसे बड़े अखबार समूह के रूप में जाना जाता है. इसके चार भाषाओं में 66 संस्करण निकलते हैं. अखबार 12 राज्यों में चार करोड़ पाठकों तक पहुंचता है. समूह मुंबई शेयर बाजार में लिस्टेड है और अधिकांश शेयरों पर भोपाल के अग्रवाल परिवार का स्वामित्व है.
निर्भीक पत्रकारिता
बीते कुछ महीनों में समूह ने देश में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के असर की काफी निर्भीक कवरेज की थी. विशेष रूप से अखबार ने उत्तर प्रदेश के हर जिले में रिपोर्टर भेज कर गंगा नदी में तैर रही और गंगा के किनारे दफनाई गई लाशों का सच निकालने की कोशिश की थी. इन्हीं रिपोर्टों में पहले सामने आया था कि दूसरी लहर के बीच गंगा के किनारे पूरे उत्तर प्रदेश में हजारों शव दफनाए गए हैं, लेकिन यह सब कोरोना पीड़ित थे या नहीं ये कोई नहीं जानता.
बाद में अमेरिकी अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स ने दैनिक भास्कर के मुख्य संपादक ओम गौड़ का लिखा सम्पादकीय छापा. संपादकीय का शीर्षक था, "मृतकों को लौटा रही है गंगा. वो झूठ नहीं बोलती."
इसके बाद दूसरी लहर के दौरान महामारी के प्रबंधन में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से हुई चूकों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई. इसके अलावा अखबार ने मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में भी सरकारी दावों की पोल खोली और हकीकत सामने लाने का काम किया. गुजरात में जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने रेमडेसिवीर दवा की भारी कमी के बीच उसकी 5,000 खुराक मुफ्त बांटने का वादा किया तो इसी समूह के गुजराती अखबार दिव्य भास्कर ने अखबार के पहले पन्ने पर उनका मोबाइल नंबर छाप दिया.
पहला शिकार नहीं
दैनिक भास्कर के अलावा उत्तर प्रदेश में प्रसारित किए जाने वाले समाचार टीवी चैनल भारत समाचार के दफ्तर और उसके संपादक बृजेश मिश्र के घर पर भी आयकर विभाग ने छापे मारे. इन सभी छापों पर जब संसद में हंगामा हुआ तो केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, "एजेंसियां अपना काम करती हैं, हम उसमें हस्तक्षेप नहीं करते हैं." इससे पहले भी कई ऐसे मीडिया संस्थानों पर केंद्रीय एजेंसियां छापे मार चुकी हैं जो गाहे बगाहे केंद्र सरकार से सवाल पूछते रहते हैं.
एनडीटीवी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग 2014 से जांच कर रहा है. 2017 में सीबीआई ने चैनल के मालिकों राधिका रॉय और प्रणय रॉय के निवास पर छापे मारे थे. 2018 में द क्विंट वेबसाइट और उसके मालिक राघव बहल से जुड़े ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापे मारे थे. फरवरी 2021 में ईडी ने न्यूजक्लिक वेबसाइट के दफ्तर पर भी छापा मारा.