डायबिटीजः तीसरा सबसे बड़ा देश
१३ नवम्बर २०१३14 नवंबर को विश्व डायबिटीज दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र की कोशिश है कि लोगों को इस बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जाए, ताकि वे बचाव के रास्ते खोज सकें. पांच साल पहले, 2009 में शुरू हुआ "डायबिटीज की शिक्षा और बचाव" कार्यक्रम भी इस साल मधुमेह दिवस के मौके पर ही खत्म हो रहा है. यह कार्यक्रम पांच साल का था.
अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन की वेबसाइट के मुताबिक, "37 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं, जबकि 28 करोड़ और लोग इसकी चपेट में आते दिख रहे हैं. अगर मधुमेह पर रोक नहीं लगी, तो 2030 तक 50 करोड़ लोग शुगर की बीमारी का शिकार हो जाएंगे." आबादी के लिहाज से सिर्फ चीन और भारत ही 37 करोड़ से ज्यादा हैं. फेडरेशन का दावा है कि इस बीमारी को रोका जा सकता है और यह बात साबित हो चुकी है कि एहतियाती कदम उठाए जा सकते हैं. इसके मुताबिक, "हर किसी को चिंता करने की जरूरत है और उसे अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है ताकि भविष्य को सुरक्षित किया जा सके."
मरीज नहीं जानते
फेडरेशन के मुताबिक लोगों की भागीदारी इसलिए ज्यादा है क्योंकि "डायबिटीज के आधे मरीज इसके बारे में नहीं जानते." इसका कहना है कि शुगर की बीमारी 21वीं सदी के लिए बहुत बड़ी चुनौती है और इससे निपटने के लिए छोटे छोटे कदम भी असरदार साबित हो सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र ने डायबिटीज के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए 2006 में 14 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज दिवस घोषित किया. इसकी पहचान नीले रंग के रिबन को बनाया गया. पांच साल पहले इसके लिए कुछ लक्ष्य तय किए गए.
फेडरेशन के आंकड़ों के मुताबिक भारत में करीब पांच करोड़ शुगर के मरीज हैं. इसने कहा था कि भारत डायबिटीज की राजधानी के तौर पर उभर रहा है और इस दिशा में जल्द ही कदम उठाए जाने की जरूरत है.
डायबिटीज के लक्षण
यह बीमारी मोटे तौर पर दो तरह की होती है, जिसे डायबिटीज टाइप वन और डायबिटीज टाइप टू कहते हैं. पहले तरह में जहां शरीर में इंसुलिन की कमी होती है, वहीं दूसरी तरह में शरीर इंसुलिन का प्रतिरोधी होता है. कुछ बदलाव डायबिटीज के लक्षण होते हैं:
- भूख बढ़ना
- लगातार पेशाब लगना
- बहुत प्यास लगना
- वजन घटना
- बहुत थकान महसूस होना
- लगातार इंफेक्शन होना
- घाव भरने में बहुत वक्त लगना
- पढ़ने में दिक्कत होना या पढ़ते पढ़ते लिखावट धुंधली होना
क्या करें उपाय
अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन के मुताबिक, "डायबिटीज टाइप वन को तो रोक पाना मुमकिन नहीं लगता लेकिन दूसरे तरह के डायबिटीज पर काबू पाया जा सकता है. इसके लिए शारीरिक अभ्यास, फिटनेस और सही वजन जरूरी है. चीन, फिनलैंड और अमेरिका में हुए प्रयोग भी इस बात को साबित करते हैं."
फेडरेशन का कहना है कि इस बात का खास ख्याल रखा जाना चाहिए कि मरीज को बीमारी के खतरे की जानकारी हो और उसके लिए ऐसे लक्ष्य तय किए जाएं, जिन्हें वह पूरा करने की हालत में हो. इसके मुताबिक, "रोजाना 30 मिनट का शारीरिक अभ्यास, साइकिल चलाना, वॉकिंग या तैरना या फिर डांस करना अच्छा है." इसका कहना है कि अगर हर रोज आधा घंटा पैदल चला जाए, तो डायबिटीज 2 पर काबू पाने की संभावना 35-40 फीसदी रहती है.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ
संपादनः आभा मोंढे