दावोस में भारत की भारी भरकम उपस्थिति
२८ जनवरी २०११भारत के प्रतिनिधियों ने देश की आर्थिक प्रगति की वाहवाही की लेकिन चेतावनी दी है कि खराब संरचना और गरीब अमीरों के बीच बढ़ते अंतर से प्रगति जितनी तेजी से होनी चाहिए वह नहीं होगी. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में इस साल भारती एंटरप्राइसेज के सुनील मित्तल, विप्रो के अजीम प्रेमजी सहित सवा सौ प्रतिनिधि मौजूद हैं.
फोरम के उद्घाटन में भाषण के दौरान प्रेमजी ने कहा कि ताकत के संतुलन में भारी बदलाव है. "यह यूरोपीय और अमेरिकी अर्थव्यवस्था से हट कर भारत चीन और दक्षिण अमेरिका की ओर चला गया है. अगले 10 साल में उभरते देशों की अर्थव्यस्था अमेरिका जितनी या उससे बड़ी होगी." वहीं मित्तल ने कहा, "पिछले पांच महीने में पांच बड़े देशों के नेता भारत आए. 20 अरब डॉलर के अनुबंध उस दौरान हुए."
भारत के लिए धमाकेदार प्रगति में सबसे बड़ा रोड़ा उसका कमजोर मूलभूत ढांचा है. वित्तीय सर्विस फर्म प्राइसवॉटरहाउस कूपर के सर्वे में सामने आया है कि अधिकतर लोग भारत की मूलभूत संरचना को एक प्रगति की राह में एक बड़ी अड़चन मानते हैं.
दावोस में आए प्रतिनिधियों का मानना है कि भारत के सामने अमीरी और गरीबी के बीच का अंतर पाटना सबसे बड़ी चुनौती है. वहीं मित्तल का मानना है कि चीन और ब्राजील को हराने का मुद्दा नहीं है. "मेरी नजर में यह सभी साथ चल सकते हैं. जब तक ये अर्थव्यवस्थाएं बढ़ती रहेंगी दुनिया को नए मौके मिलेंगे."
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एमजी