गिरफ्तारियों पर बंगाल में राजनीतिक तूफान
१७ मई २०२१पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसके खिलाफ सीबीआई दफ्तर में धरने पर बैठ गईं तो उनकी पार्टी टीएमसी ने इसे बदले की भावना से की गई कार्रवाई करार दिया है. इन गिरफ्तारियों के खिलाफ राज्य में टीएमसी समर्थकों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है. सीबीआई दफ्तर के सामने तो पुलिस वालों से उनकी भिड़ंत हुई और स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा.
क्यों मचा है बवाल
दरअसल, राज्य में विधानसभा चुनाव के समय से ही टीएमसी और बीजेपी में टकराव चल रहा है. चुनावी नतीजों के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा में इन दोनों दलों के करीब डेढ़ दर्जन कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. उसके बाद बीजेपी के तमाम नेताओं ने संदिग्ध वीडियो और तस्वीरों के जरिए सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया. हाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी कथित हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और सरकार पर लगातार हमले करते रहे.
उसके बाद सीबीआई ने सोमवार को सुबह अचानक नारदा स्टिंग मामले में ममता बनर्जी सरकार के दो मंत्री और एक विधायक समेत चार नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. अब सीबीआई मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता शोभन चटर्जी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर रही है.
अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट
सीबीआई के अधिकारियों ने कहा है कि जांच एजेंसी को नारदा स्टिंग टेप मामले में अपना आरोपपत्र दाखिल करना था. इसलिए अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है. सीबीआई की एक टीम सुबह भारी तादाद में केंद्रीय बलों के साथ ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी और टीएमसी विधायक मदन मित्र के अलावा टीएमसी नेता व पूर्व मंत्री शोभन चटर्जी के घर पहुंची और उनको अपने दफ्तर ले आई. वहां उन चारों को गिरफ्तार कर लिया गया. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने हाल में इन नेताओं के खिलाफ सीबीआई को चार्जशीट दायर करने की अनुमति दी थी. पार्टी के नेताओं की गिरफ्तारी की खबरें आने के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने नेताओं के साथ सीबीआई कार्यालय पहुंच गईं. ममता की दलील थी कि इन नेताओं की गिरफ्तारी गैरकानूनी है. इसकी वजह यह है कि इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी से अनुमति नहीं ली गई है.
टीएमसी ने भी इन गिरफ्तारियों को गैरकानूनी और राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया है. पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि बिना किसी नोटिस के इनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है. उनका सवाल था कि इसी मामले में अभियुक्त बीजेपी नेता मुकुल राय और शुभेंदु अधिकारी को आखिर गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? घोष के मुताबिक, बीजेपी में शामिल होने की वजह से ही इन दोनों नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
उधर, विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने भी गिरफ्तारियों को अवैध बताते हुए कहा है कि उनसे इसकी अनुमति नहीं ली गई है. विमान बनर्जी कहते हैं, "एक एडवोकेट के तौर पर मैं कह सकता हूं कि यह गिरफ्तारियां गैरकानूनी हैं. किसी विधायक को गिरफ्तार करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति जरूरी है. लेकिन सीबीआई ने इस मामले में महज राज्यपाल से अनुमति ली है.” उनका कहना था कि राज्यपाल को इन नेताओं की गिरफ्तारी को हरी झंडी देने का अधिकार नहीं है. टीएमसी के लोकसभा सदस्य सौगत राय कहते हैं, "यह सीधे तौर पर राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई है. बीजेपी चुनावी हार पचा नहीं पा रही है. इसलिए उसने सीबीआई के जरिए नेताओं और मंत्रियों को गिरफ्तार कराया है.”
क्या है नारदा मामला
पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग टेप सामने आने से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई थी. तब दावा किया गया था कि यह स्टिंग वर्ष 2014 में किया गया था और इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले व्यक्तियों को एक काल्पनिक कंपनी के नुमाइंदों से नकदी लेते दिखाया गया था. उक्त स्टिंग ऑपरेशन कथित तौर पर नारदा न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल ने किया था. इस टेप के सामने आने के बाद राज्य में खूब बवाल मचा. बीजेपी ने इसे पिछले चुनावों में बड़ा मुद्दा बनाया था, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा.
इस बार चुनावों में तो यह मुद्दा गायब ही रहा. अब ममता बनर्जी के तीसरी बार चुनाव जीतकर सत्ता में आते ही यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इस मामले के सामने आने के बाद टीएमसी ने इस टेप को फर्जी बताया था. लेकिन जांच में उसके सही पाए जाने पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक याचिका के आधार पर इसकी जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की थी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी इसे राजनीतिक साजिश करार देती रही हैं. उनका आरोप है कि इस स्टिंग वीडियो को बीजेपी के दफ्तर से जारी किया गया था.
तनातनी बढ़ने का अंदेशा
कलकत्ता हाई कोर्ट ने मार्च, 2017 में कोर्ट ने स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच का आदेश दिया. सीबीआई और ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की थी. नवंबर 2020 में ईडी ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन में पूछताछ के लिए तीन टीएमसी नेताओं को नोटिस भेजकर संबंधित कागजात मांगे थे. इनमें मंत्री फरहाद हाकिम, हावड़ा सांसद प्रसून बंदोपाध्याय और पूर्व मंत्री मदन मित्रा की आय और खर्च का ब्योरा मांगा गया था. ईडी ने सीबीआई की शिकायत के आधार पर कथित मनी लॉन्ड्रिंग में 12 नेताओं और एक आईपीएस के अलावा 14 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि टीएमसी पहले से ही बीजेपी पर केंद्रीय एजेंसियों को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के आरोप लगाती रही है. विधानसभा चुनाव के दौरान भी इन एजेंसियों की सक्रियता जारी रही थी. उसी दौरान ममता के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा से कोयला खनन घोटाले में पूछताछ की गई थी. अब ताजा मामले के बाद टीएमसी और बीजेपी में तनाव बढ़ने का अंदेशा है. राजनीतिक पर्यवेक्षक समीरन पाल कहते हैं, सीबीआई की मंशा भले सही हो, लेकिन जिस तरह मंत्री स्तर के नेताओं को घर से ले आकर गिरफ्तार किया गया उससे पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में है. इसकी टाइमिंग भी कई सवाल खड़े करती है. बंगाल की राजनीति पर इसका दूरगामी असर होने का अंदेशा है.