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परमाणु कचरा पहुंचा अपनी मंजिल पर

९ नवम्बर २०१०

फ्रांस से जर्मनी लाया गया परमाणु कचरा प्रदर्शनकारियों की अंतिम बाधाओं को दूर करने के बाद पश्चिमोत्तर जर्मनी के गोरलेबेन के भूमिगत गोदाम में पहुंच गया है.

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तस्वीर: AP

जर्मन परमाणु बिजली घरों का कचरा फ्रांस के ला आग के संयंत्र में रिसाइक्लिंग के बाद वापस भेजा गया था और शुक्रवार को वलोनिया रवाना हुई ट्रेन पर लदे विशेष कास्टर कंटेनर 92 घंटे बाद अपनी मंजिल पर पहुंचे.

रात भर परमाणु कचरे की सुरक्षा के लिए तैनात पुलिसकर्मियों ने लगभग 3000 प्रदर्शनकारियों द्वारा डाली जा रही बाधाओं को एक एक करके हटाया. पुलिस जब प्रदर्शनकारियों को हटाकर रास्ता बना रही थी तो मुख्य रूप से युवा प्रदर्शनकारी विरोध का नया तरीका दिखाते हुए मस्ती में नाच गा रहे थे. वे विरोध करो, प्रतिवाद करो के गाने गा रहे थे. एक पुलिसकर्मी ने टिप्पणी की "अगर ये और देर तक यही करते रहेंगे तो मैं भी गाने लगूंगा."

परमाणु कचरे से भरे कंटेनरों को ट्रेन से उतार कर अंतिम 20 किलोमीटर की दूरी ट्रकों पर लाद कर तय की गई. परमाणु कचरे का यह 12वां ट्रांसपोर्ट था और अब तक का सबसे लंबा ट्रांसपोर्ट भी था. इससे पहले 2008 में कंटेनरों को लाने में 79 घंटे लगे थे.

कंटेनरों का ट्रांसपोर्ट हो जाने के बावजूद प्रदर्शनकारी अपने को विजेता के रूप में देख रहे हैं. इस बार सिर्फ नैतिक तौर पर ही नहीं बल्कि राजनीतिक तौर पर भी. लोवर सेक्सनी के वेंडलंड में हुए परमाणु विरोधी प्रदर्शनों में इस बार न सिर्फ पहले से कहीं ज्यादा लोगों ने भाग लिया बल्कि रेल लाइन और सड़कों को जाम करने जैसी नागरिक असहयोग के लिए तैयारी भी पहले से कहीं ज्यादा थी.

परमाणु विरोधी कार्यकर्ता कैर्स्टीन रूदेक ने कहा, "गोरलेबेन में परमाणु कचरे का स्थायी गोदाम बनाने की संभावना इस ट्रांसपोर्ट के साथ समाप्त हो गई है." ट्रांसपोर्ट से ज्यादा जर्मन सरकार की बदली परमाणु नीति के कारण लोगों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया.

जर्मनी की मोर्चा सरकार ने विपक्षी पार्टियों के विरोध और बहुत आबादी की राय को बदलकर परमाणु बिजली घरों को 2021 तक बंद किए जाने के पुराने फैसले को बदल दिया है. अब परमाणु बिजली घरों के लाइसेंसों को औसत 12 साल के लिए और बढ़ाने का फैसला लिया गया है. अब सबसे अंतिम बिजली घर 2036 से पहले बंद नहीं होगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ए कुमार

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