पाकिस्तान आईएईए बोर्ड का प्रमुख बना
२७ सितम्बर २०१०खासकर पश्चिमी देशों में इस फैसले पर काफी दुविधा व्यक्त की जा रही है, क्योंकि भारत, उत्तर कोरिया और इस्राएल की तरह पाकिस्तान भी परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) में शामिल नहीं है. इसके अलावा पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कदीर खान स्वीकार कर चुके हैं कि वह ईरान और उत्तर कोरिया के लिए परमाणु तस्करी में शामिल थे. वैसे पश्चिमी देशों की ओर से इस फैसले का विरोध नहीं किया गया. अध्यक्ष होने के बावजूद कोई देश संयुक्त राष्ट्र की परमाणु नीति के सिलसिले में फैसला नहीं ले सकता है. इसके अलावा अध्यक्ष का चुनाव क्षेत्रीय मनोनयन के आधार पर किया जाता है. फिलहाल मलेशिया बोर्ड का अध्यक्ष है.
परमाणु अप्रसार संधि के पालन की निगरानी आईएईए का एक प्रमुख काम है. पश्चिम के देश इस सिलसिले में ईरान और उत्तर कोरिया को सबसे अधिक जोखिम वाले देश मानते हैं. सन 2004 में पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम के पूर्व प्रधान अब्दुल कदीर खान ने एक टेलीविजन साक्षात्कार में स्वीकार किया था कि वह ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया को गुप्त परमाणु सामग्री बेच चुके हैं. पाकिस्तान का कहना है कि अब्दुल कदीर खान के तस्कर गिरोह से उसका कोई लेना देना नहीं है. दूसरी ओर, विदेशी जांचकर्ताओं को उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी जाती है. पाकिस्तान में अब्दुल कदीर खान को एक राष्ट्रीय नायक के रूप में देखा जाता है.
भारत और पाकिस्तान के परमाणु अस्त्र आईएईए के लिए गहरी चिंता का विषय है. स्टॉकहोम के शांति शोध संस्थान सिप्री के अनुसार पाकिस्तान के पास लगभग 60 परमाणु वॉरहेड हैं. संस्थान के अनुसार भारत के पास भी 60-70 वॉरहेड होने चाहिए. 1998 में दोनों देशों ने परमाणु परीक्षण किए थे.
शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र की एक उच्चस्तरीय बैठक में अस्त्र बनाने लायक परमाणु ईंधन के उत्पादन पर प्रतिबंध के लिए बातचीत शुरू करने की मांग की गई थी. पाकिस्तान ऐसी एक संधि का विरोधी है, क्योंकि उसका कहना है कि इसके चलते भारत के मुकाबले उसकी स्थिति हमेशा के लिए कमजोर हो जाएगी. इस विवाद के कारण जेनेवा के निरस्त्रीकरण सम्मेलन में काफी समय से गतिरोध बना हुआ है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: ए कुमार