"पाकिस्तान की यात्रा करें मनमोहन"
२१ जनवरी २०११कसूरी ने कहा कि भारत में लोग समझते हैं कि पाकिस्तानी सेना बातचीत के खिलाफ है जबकि सेना प्रमुख अशफाक परवेज कयानी और आईएसआई महानिदेशक अहमद शुजा पाशा दोनों ही नई दिल्ली के साथ शांति वार्ता चाहते हैं. उन्होंने कहा कि दोनों अफसर बैक चैनल से हो रही कोशिशों का समर्थन करते रहे हैं.
विकीलीक्स में भी हुआ उजागर
नई दिल्ली में इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स में बोलते हुए कसूरी ने कहा कि पर्दे के पीछे हुए बातचीत में पाकिस्तानी सेना को सलीके से प्रतिनिधित्व मिला और ऐसा विकीलीक्स के खुलासों में भी सामने आया है. उन्होंने बताया कि विकीलीक्स द्वारा उजागर किए गए गोपनीय दस्तावेजों में इस बात का खुलासा हुआ है कि जनरल कयानी और पाशा ने पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत ऐन पैटर्सन से कहा था कि वे भारत के साथ शांति चाहते हैं. जब उनसे पूछा गया कि शांति वार्ता को दोबारा शुरू करने के लिए क्या एक कदम उठाया जा सकता है, तो कसूरी ने कहा, "भारतीय प्रधानमंत्री को पाकिस्तान की यात्रा करनी चाहिए."
पर्दे के पीछे से
कसूरी ने बताया कि पर्दे के पीछे से हो रही कोशिशों में काफी प्रगति हो चुकी थी और दोनों पक्ष एक हल के करीब भी पहुंच गए थे. जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पद संभाला था उसके कुछ ही दिन बाद आए उनके बयानों में यह बात साफ झलकती थी. तब उन्होंने कहा था कि जल्दी ही अच्छी खबर मिलेगी.
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री कसूरी ने कहा कि पाकिस्तान साझा आंतकवाद निरोधी तंत्र बनाने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान की सरकार ऐसे किसी भी सुझाव का स्वागत करेगी जो आतंकवाद निरोधी तंत्र को मजबूत करे. दोनों मुल्कों की साझा कोशिशें आतंकवाद के खतरे निपटने में मददगार साबित होंगे."
कसूरी ने कहा कि ऐसे लोग दोनों देशों में हैं जो लोगों की धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार