पाकिस्तान को सैन्य सहायता जरूरत से ज्यादा- भारत
२६ जुलाई २०१०विकीलीक्स नाम की वेबसाइट पर अमेरिकी सेना के ये दस्तावेज प्रकाशित किए गए हैं. वहीं अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स इन दस्तावेजों को प्रकाशित करने वाले पहले तीन अखबारों में है.
उधर भारत के रक्षा मंत्री एके एंटोनी ने एक बार फिर चिंता जताई है कि अमेरिका से मिलने वाली सैनिक सहायता पाकिस्तान भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है.
रक्षामंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार जेम्स जोन्स और अमेरिकी सेना प्रमुख एडमिरल माइक मुलेन से बातचीत के दौरान भारत ने अपनी चिंता जाहिर की है. रक्षा मंत्री का कहना था कि पाकिस्तान को हर साल अरबों डॉलर की सैन्य सहायता मिलती है. जो कि आतंक के खिलाफ युद्ध की जरूरत के अनुपात में नहीं है.
एंटोनी ने कहा, "हमें ऐसा लगता है कि ऐसा बिलकुल संभव है कि पाकिस्तान इन अत्याधुनिक उपकरणों, हथियारों को भारत के खिलाफ इस्तमाल करे." कारगिल युद्ध के 11 साल पूरे होने के मौके पर उन्होंने अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि दी.
एके एंटोनी ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि हम अपनी सेना को मजबूत करेंगे. भारत की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए उन्हें जो भी मदद चाहिए होगी दी जाएगी.
रक्षा मंत्री एंटोनी ने अमेरिका को सलाह दी है कि सैन्य सहायता पर नजर रखने के लिए अमेरिका को एक प्रणाली तैयार करनी चाहिए. जिससे ये पता लगाया जा सके कि पाकिस्तान इसका सही उपयोग कर रहा है कि नहीं.
अमेरिकी सेना प्रमुख एडमिरल माइक मुलेन ने अफगानिस्तान में नैटो सेना को भारी नुकसान की चेतावनी दी है और कहा है कि गर्मियों में हिंसा बढ़ने के कारण ज़्यादा नैटो सैनिक मारे जा सकते हैं.
ये रिपोर्ट ऐसे समय लीक हुई है जब तालिबान ने कहा है कि उसने एक अमेरिकी सैनिक को पकड़ रखा है और दूसरे की मौत हो गई है. ये दोनों सैनिक तालिबानी लड़ाकों के इलाके में घुसे थे.
व्हाइट हाउस ने इन दस्तावेजों के लीक होने की कड़े शब्दों में निंदा की है और कहा है कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है और अमेरिकी नागरिकों की जिंदगी भी. वहीं पाकिस्तान ने कहा है कि युद्ध क्षेत्र के बारे में अपरिष्कृत रिपोर्टों का इस तरह से लीक होना गैरजिम्मेदाराना है.
विकीलीक्स पर लीक हुई रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रतिनिधि सीधे तालिबानियों से मिले और दोनों के बीच गुप्त रणनीतिक बातचीत होती है कि किस तरह से तालिबान को अमेरिकी सैनिकों के साथ लड़ने के लिए संगठित किया जाए.
अमेरिका बार बार पाकिस्तान से कहता रहा है कि वह चरमपंथियों के नेटवर्क को खत्म करने के लिए कदम उठाए. जबकि कई लोग पहले से ये शंका जाहिर करते रहे हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई तालिबान को रणनीति के तहत पाल पोस रही है ताकि उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा सके. वहीं इस्लामाबाद का दावा है कि वह तालिबान से लड़ने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है. आतंक के खिलाफ लड़ाई नाम पर वह अमेरिका से आर्थिक सहायता भी ले रहा है.
उधर अफगानिस्तान में दो अमेरिकी सैनिक शुक्रवार से लापता हैं. तालिबान ने दावा किया है कि ये दोनों सैनिक उनके कब्जे में हैं. नैटो सेना ने तालिबान के इस दावे का खंडन किया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः महेश झा