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'पीएम बनने की लालसा', यात्रा पर आडवाणी

११ अक्टूबर २०११

बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी देशव्यापी यात्रा पर निकले हैं. यात्रा का मकसद वह भ्रष्टाचार के प्रति लोगों को जागरुक बनाना बताते हैं. लेकिन सब जानते हैं कि उनके मन में प्रधानमंत्री बनने की इच्छा हिलोरे मार रही है.

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बिहार से की यात्रा की शुरुआततस्वीर: AP

उन्होंने अपने इस दौरे को जन चेतना यात्रा का नाम दिया है जिसमें वह एक विशेष बस में हर दिन तीन सौ किलोमीटर यात्रा करेंगे. 12,000 किलोमीटर लंबी यह यात्रा बिहार से शुरू होगी, खास कर बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसे सीताब दियरा गांव से जो जयप्रकाश नारायण का जन्मस्थान है.

यात्रा से पहले आडवाणी ने सोमवार को इस संभावना को बनाए रखा कि वह भी 2014 अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनना चाहते हैं. आडवाणी ने कहा, "कौन प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होगा, यह फैसला चुनाव आने पर पार्टी को करना है. अभी चुनावों को दो साल से ज्यादा का समय है. हालांकि सरकार तो ऐसे काम कर रही है कि लगता है कि कभी भी गिर जाएगी."

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जन चेतना यात्रा के जरिए आडवाणी देश के भीतर भ्रष्टाचार को लेकर जागरुकता फैलाना चाहते हैंतस्वीर: AP

प्रधानमंत्री पद की रेस

माना जाता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चाहता है कि 83 वर्षीय आडवाणी प्रधानमंत्री पद की रेस से हट जाएं, लेकिन वह खुद इसके लिए अभी तैयार नहीं दिखते. बीजपी और विपक्षी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में उसके कुछ सहयोगी आडवाणी के इरादे भांपने के बाद उनके पीछे लामबंद होते दिख रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने आडवाणी की यात्रा को रवाना किया. 

Indian Bhartiya Janta Party candidate for Gujarat state Chief Minister Narendra Modi seen at a party meeting in Gandhinagar, 23 kilometer (14 miles) north of Ahmadabad, India, Monday Dec. 16, 2002. Newly elected Narendra Modi would be sworn in as Gujarat's Chief Minster on December 22 at state capital Gandhinagar. (AP Photo/Siddharth Darshan Kumar)
मोदी खुद को प्रधानमंत्री पद के दमदार उम्मीदवार के तौर पर देखते हैंतस्वीर: AP

लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का दमदार उम्मीदवार माना जा रहा है. उन्होंने पिछले दिनों नई दिल्ली में हुई बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया. वैसे मोदी कहते हैं कि आडवाणी के साथ काम करना सम्मान की बात है. सोमवार को उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा, "आडवाणी के साथ बहुत ही नजदीकी से काम करने का सम्मान मुझे मिला है. यह बहुत दुर्भाग्य और निंदनीय है कि निजी स्वार्थ रखने वाले कुछ उनके बारे में अफवाहें फैला रहे हैं."

कांग्रेस बेफिक्र

वहीं केंद्र में सत्ताधारी कांग्रेस का कहना है कि वह आडवाणी की यात्रा से जरा भी फिक्रमंद नहीं है. कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब तक आडवाणी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने रहेंगे, उनकी पार्टी को चिंता करने की जरूरत ही नहीं है. कांग्रेस के मुताबिक 2014 के चुनावों को 2012 में ही कराने का आवाणी का सपना कभी पूरा नहीं होगा.

दिग्विजय सिंह ने कहा कि आडवाणी की इस यात्रा की कोई अहमियत नहीं है. इस तरह की यात्रा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और योग गुरु रामदेव भी कर रहे हैं. उन्होंने इन सब यात्राओं का आयोजक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बताया. दिग्विजय के मुताबिक, "ऐसी यात्राएं दक्षिणपंथी हिंदू संगठन आरएसएस को मदद करती हैं क्योंकि संघ और बीजेपी इस तरह की यात्राओं के जरिए अपने फायदे के लिए चंदा जमा करने में माहिर हैं."

Wahlkampagne der BJP Bharatiy Janta Partei
भारत में अगले आम चुनाव 2014 में होंगेतस्वीर: UNI

आडवाणी और उनकी यात्राएं

1990 में आडवाणी की रथयात्रा से भारतीय राजनीति का रुख बदल गया. इस यात्रा से बने माहौल की वजह से 1992 में न सिर्फ अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाई गई, जबकि देश में कई जगह सांप्रदायिक दंगे भी हुए. बहुसंख्यक हिंदुओं को अयोध्या में राम मंदिर का ख्वाब दिखाने वाली बीजेपी को जबरदस्त फायदा हुआ.

अपनी मौजूदा यात्रा में आडवाणी काले धन, लोकपाल, न्यायपालिका की जवाबदेही और चुनाव सुधारों पर ध्यान केंद्रित करेंगे. केंद्र की यूपीए सरकार जहां कई घोटालों में फंसी है, वहीं विपक्ष इस बात पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं कि विदेशी बैकों में जमा काले धन को वापस लाया जाए. लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी का कहना है कि यात्रा गोपनीय एजेंडे के साथ की जा रही है. उनके मुताबिक, "इस यात्रा का उद्देश्य 2014 के आम चुनावों को फास्ट फॉर्वर्ड करके 2012 में कराना है, लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा."

रिपोर्टः पीटीआई/रॉयटर्स/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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