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शिक्षाएशिया

बारहवीं की परीक्षा रद्द छात्रों को हुई भविष्य की चिंता

प्रभाकर मणि तिवारी
३ जून २०२१

सीबीएसई और आईएससी समेत विभिन्न राज्यों की 12वीं परीक्षा रद्द होने से बहुत से छात्रों ने राहत की सांस ली है तो बहुत से परेशान भी हैं. खासकर उच्च शिक्षा के लिए राज्य से बाहर या विदेश जाने की सोचने वाले छात्र संशय में हैं.

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Indien Bildung Symbolbild Universität Dehli
क्या होगा मेरे एडमिशन का?तस्वीर: Mana Vatsyayana/Getty Images/AFP

ऐसे छात्र भी हैं जिन्हें लगता है कि असमंजस में रहने की बजाय परीक्षा रद्द होने के फैसले की वजह से वे फिलहाल तनावमुक्त जरूर हो गए हैं. लेकिन साथ ही आगे की पढ़ाई को लेकर चिंता पैदा हो गई है. हजारों छात्रों ने 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों में जाने की योजना बनाई थी और उसी के अनुरूप दाखिला भी ले लिया था. अब उनको डर है कि कहीं इस वजह से आगे कोई दिक्कत नहीं हो. दूसरी ओर, देश में भी कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया पर नए सिरे से मंथन शुरू हो गया है.

मिली-जुली प्रतिक्रिया

कोलकाता में डीपीएस रूबी पार्क में 12वीं के छात्र अहन कनौजिया कहते हैं, "परीक्षा रद्द करने का फैसला उचित है. हम अधर में लटके थे. मैंने एक अमेरिकी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया है. अब अगर आगे परीक्षा होती भी तो मुझे समय से न तो मार्कशीट मिलती और न ही बाकी प्रमाणपत्र.” अहन को 31 जुलाई तक तमाम प्रमाणपत्र जमा करना है. अब कम से कम उनकी यह चिंता दूर हो गई है. उनका कहना है कि रिजल्ट के लिए चाहे जो कसौटी तय की जाए, महीने भर के भीतर इसका प्रकाशन निश्चित रूप से हो जाएगा. इसी तरह ला मार्टिनियर स्कूल में पढ़ने वाली अनुष्का अग्रवाल ने कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया है. उनका कहना है, "परीक्षा का मामला जितना टल रहा था उतना डर लग रहा था. मुझे लग रहा था कि समय से अपने प्रमाणपत्र नहीं भेज सकूंगी. लेकिन अब यह चिंता दूर हो गई है.”

Indien Westbengalen | Statistisches Institut in Kalkutta
कॉलेज में दाखिले की चिंता में हैं छात्रतस्वीर: Payel Samanta/DW

लेकिन कुछ छात्र ऐसे भी हैं जो परीक्षा रद्द होने से खुश नहीं हैं. यह ऐसे छात्र हैं जिन्होंने बोर्ड की परीक्षा के लिए जम कर तैयारी की थी और 10वीं या 11वीं में उनके नंबर बेहतर नहीं थे. उको लगता है कि अगर उन नंबरों को आधार बनाया गया तो 12वीं के नंबर कम हो जाएंगे. ऐसे छात्रों के लिए हालात सामान्य होने पर परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान भी है. लेकिन प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के इच्छुक मनोजित सेन कहते हैं, "दाखिले में कटऑफ काफी अहम होता है. अगर मेरे नंबर बढ़िया नहीं आए तो दाखिला मिलने में दिक्कत होगी.” दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्र हाशिम फरीद इस बात से चिंतित हैं कि परीक्षा नहीं होने की स्थिति में कहीं ग्रेट ब्रिटेन के एक विश्वविद्यालय में उनका दाखिला रद्द तो नहीं हो जाएगा. वह कहते हैं कि जब तक मार्किंग प्रणाली साफ नहीं होती तब तक चिंता बनी रहेगी. मुझे कटऑफ से ज्यादा नंबर नहीं मिले तो दाखिला रद्द होने का अंदेशा है.

हालांकि अब तक यह साफ नहीं किया गया है कि 12वीं के नंबर किस आधार पर तय किए जाएंगे. कोलकाता के ही एक स्कूल में पढ़ने वाले रुचिका बनर्जी कहती हैं कि जो हुआ अच्छा हुआ. इस महामारी के दौरान परीक्षा देने में काफी खतरा था. अगर हमें संक्रमण हो जाता तो विदेश जाना भी टल जाता.

दूरगामी असर का अंदेशा

उधर, शिक्षाविदों ने महामारी के दौरान परीक्षा रद्द करने के फैसले का तो स्वागत किया है. लेकिन साथ ही कहा है कि शैक्षणिक चक्र पर इसका दूरगामी असर हो सकता है. कोलकाता के एक कॉलेज में प्रोफेसर दिनेश कुमार मंडल कहते हैं, "इस फैसले से छात्रों और उनको परिजनों को फौरी राहत तो जरूर मिली है. लेकिन आगे इसका प्रतिकूल असर हो सकता है. कॉलेजों में दाखिले के मामलों में असमानता पैदा हो सकती है. नतीजतन मेधावी छात्र दाखिले से वंचित रह सकते हैं जबकि सामान्य छात्रों को पहले के प्रदर्शन के आधार पर दाखिला मिल सकता है.”

Weltspiegel 27.04.21 | Indien Coronavirus
कोरोना से बेहाल तस्वीर: Naveen Sharma/ZUMA Wire/imago images

एक कोचिंग संस्थान से जुड़े रंजीत मल्लिक कहते हैं, "जब तक मार्किंग प्रणाली तय नहीं होती तब तक चिंता स्वाभाविक है. हालांकि नंबर से संतुष्ट नहीं होने की स्थिति में इच्छुक छात्र हालत सामान्य होने पर परीक्षा में बैठ सकते हैं. लेकिन इसमें समय लगेगा.”

ज्यादातर शिक्षाविदों की राय में परीक्षाएं रद्द करने का यह फैसला मौजूदा परिस्थितियों में उचित और प्रासंगिक है. लेकिन साथ ही इससे छात्रों में करियर और भविष्य को लेकर नई तरह की चिंता पैदा हो गई है. ऐसे छात्रों की काउंसलिंग की जानी चाहिए. यह समझना होगा कि जीवन रहेगा तो शिक्षा भी हासिल की जा सकेगी.

दाखिले की नई रणनीति

इस बीच, इन परीक्षाओं के रद्द होने के बाद अब तमाम शैक्षणिक संस्थानों ने दाखिले के लिए नई रणनीति पर विचार शुरू कर दिया है. अब ज्यादातर संस्थान मेरिट की बजाय भर्ती परीक्षा के जरिए दाखिले पर विचार कर रहे हैं ताकि सबको बराबर मौके मिल सकें. कोलकाता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता बताते हैं, "जिन पाठ्यक्रमों में नंबरों के आधार पर दाखिला होता था, उनके लिए भी भर्ती परीक्षा आयोजित करने पर विचार चल रहा है.”

महामारी के दौरान भर्ती परीक्षा आयोजित करना भी आसान नहीं होगा. पिछले साल जादवपुर यूनिवर्सिटी और कुछ अन्य कॉलेज ये टेस्ट नहीं करवा पाए थे. पिछले साल कई कॉलेजों को छात्रों की भर्ती में भी मुश्किलें आई थीं. दाखिले अगस्त में शुरू हुए थे और इस साल जनवरी तक चलते रहे, क्योंकि कॉलेजों को सीटें भरने में मुश्किल हो रही थी. ऑनलाइन भर्ती परीक्षा पर भी विचार किया जा रहा है, लेकिन बहुत से छात्रों को हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण यह विकल्प भी विवादों में है.

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