बिन लादेन पर मिलीजुली अरब प्रतिक्रिया
३ मई २०११यमन ने भी इस खबर का स्वागत किया है, जो ओसामा बिन लादेन का पुश्तैनी मुल्क है. वहां की सरकार ने इसे "आतंक के अंत की शुरुआत" कहा है. हफ्तों से यमनी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले विपक्ष की ओर से हिदायत दी गई है कि कोई भी प्रदर्शनों में बिन लादेन की तस्वीर वाले पोस्टर न लाए. उन्हें डर है कि राष्ट्रपति सालेह की सरकार इसे विपक्ष के खिलाफ और अधिक ताकत के इस्तेमाल के लिए बहाना बना सकती है.
अरब देशों में हाल में शुरु हुए आंदोलन से अधिकतर लोगों के लिए यह साफ हो गया है कि तानाशाहों से निजात पाने के लिए आतंकवाद के बदले दूसरे रास्ते भी हो सकते हैं. यमन के विपक्ष की हिदायत से लगता है कि जनता के बीच अब भी बिन लादेन के लिए सहानुभूति हो सकती है, लेकिन यह समर्थन पिछले दिनों में काफी घट चुका है. यही कारण है कि गजा पट्टी में एक प्रदर्शन के अलावा कहीं भी अल कायदा के सरगना के समर्थन में किसी को सामने आते नहीं देखा गया.
पिछले साल से ही मिस्र की राजधानी काहिरा की सड़कों से बिन लादेन की तस्वीर वाले टी शर्ट्स गायब हो चुके थे. अब वहां लोकतांत्रिक क्रांति के प्रतीकों के टी शर्ट्स बिक रहे हैं. मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता एस्सम अल अरियन कहते हैं कि मध्य पूर्व की क्रांति इस बात का सबूत है कि लोकतंत्र को यहां एक बसेरा मिल चुका है और विदेशी कब्जावरों की कोई जरूरत नहीं है. वह कहते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा को चाहिए कि वह अफगानिस्तान और इराक से अपनी सेना वापस बुलाएं. संगठन की वेबसाइट पर अल कायदा की आलोचना जारी है.
इराक में भी बिन लादेन की मौत पर चैन की सांस ली गई है. "इराक की आवाज" नामक लोकप्रिय वेबसाइट में कहा गया है कि सिर्फ अपराधी ही धर्म के नाम पर हत्या करते हैं. इसमें उम्मीद जाहिर की गई है कि अब इराक और सारी दुनिया में आतंकवाद का अंत शुरू होगा.
लेकिन फलस्तीनी संगठन हमास ने बिन लादेन को मारे जाने की निंदा की है. प्रधानमंत्री इस्माएल हानिए ने इसे अमेरिकी दमन और मुस्लिम व अरब लोगों के खून बहाने की एक मिसाल कहा. वैसे हमास की ओर से कई बार कहा गया है कि अल कायदा के साथ उसके कोई संबंध नहीं हैं. वह इस्राएल से लड़ रहा है, पश्चिम से नहीं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: ए कुमार