भारत-चीन सीमा विवाद ने लिया खतरनाक मोड़
१६ जून २०२०लद्दाख में लगभग 40 दिनों से भारत और चीन की सेनाओं के बीच चल रहे गतिरोध ने एक खतरनाक मोड़ ले लिया है. मीडिया में आई कई खबरों के अनुसार लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच मुठभेड़ हुई है जिसमें भारतीय सेना के दो सिपाही और एक वरिष्ठ अधिकारी मारे गए हैं. ये कम से कम 40 सालों में ऐसा पहला मौका माना जा रहा है जब दोनों देशों के बीच असल नियंत्रण रेखा पर जानें गई हैं.
बताया जा रहा है कि घटना सोमवार रात को हुई. कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि मुठभेड़ में चीनी सेना के सिपाही भी मारे गए. अभी यह पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है कि मौके पर गोलियां चली थीं या सिपाही हाथापाई में ही मारे गए. बताया जा रहा है कि तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तर पर बातचीत चल रही है.
खबरों के अनुसार चीन ने आरोप लगाया है कि भारतीय सिपाही वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर चीन के इलाके में घुस गए थे जिसके बाद दोनों देशों के सिपाहियों के बीच मुठभेड़ हुई. भारत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुखों के साथ बैठक की है, जिसमे स्थिति का आकलन किया गया और आगे की रणनीति पर विचार किया गया.
लद्दाख में दोनों देशों के बीच पांच मई से कम से कम चार अलग अलग इलाकों में गतिरोध चल रहा है. सबसे पहले गतिरोध की खबर पैंगोंग झील से आई थी जहां दोनों सेनाओं के बीच हाथापाई की अनौपचारिक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी. उसके बाद से तना-तनी अभी तक बनी हुई है. पिछले कुछ दिनों से दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर पर बातचीत चल रही थी और कहा जा रहा था कि कम से कम गलवान घाटी में दोनों सेनाएं अपनी अपनी जगहों से पीछे हटने लगी हैं.
लेकिन कई समीक्षक लगातार कह रहे थे कि चीन के सैनिक बड़ी संख्या में भारतीय इलाके में घुस आए हैं और वो पीछे नहीं हट रहे हैं. ताजा हालात पर भी जानकारों का कहना है कि स्थिति अत्यंत संवेदनशील बन चुकी है. भारतीय सेना से सेवानिवृत्त अधिकारी और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ अजय शुक्ला ने ट्वीट कर के कहा कि ये बेहद दुखद इसलिए भी है क्योंकि गलवान वैली वो इलाका है जो 1962 से भारत के नियंत्रण में रहा है.
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने कहा कि पिछले चार सप्ताह से चीन के इरादों को लेकर साफ चेतावनी के बावजूद सीमा पर जवानों की जानें जाना बेहद दर्दनाक है.
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