ममता पर बढ़ता लोगों का गुस्सा
२६ जून २०१३हाल में कोलकाता से सटे उत्तर 24-परगना जिले के कामदुनी इलाके में एक कालेज छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी हत्या की घटना ने सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कटघरे में खड़ा कर दिया है. सरकार के खिलाफ वही बुद्धिजीवी एक बार फिर सड़कों पर उतरने लगे हैं जो कभी ममता के साथ थे. मौके पर गई ममता को जब स्थानीय लोगों का विरोध झेलना पड़ा तो उन्होंने उन लोगों को माओवादी और सीपीएम समर्थक करार दे दिया. यही नहीं, ममता ने कहा कि टीवी चैनलों पर बलात्कार कांड पर चर्चा करने वाले पोर्नोग्राफी में शामिल हैं. इस कांड से लोगों में उभरा गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है. महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर चौतरफा आलोचना का सामना कर रहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह कहते हुए अपनी सरकार का बचाव किया है कि क्या राज्य में सभी महिलाओं का बलात्कार हो रहा है? नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले में पश्चिम बंगाल अव्वल है.
कामदुनी कांड
उत्तर 24-परगना जिले का कामदुनी एक अनाम-सा कस्बा है जिसका नाम कल तक कोई नहीं जानता था. लेकिन इसी कस्बे की एक कालेज छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ने लगी. लोगों का गुस्सा बेकाबू होते देख कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घटना के दस दिनों बाद मौके का दौरा किया. लेकिन उनको वहां स्थानीय लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. इस विरोध से तिलमिलाई ममता ने उन लोगों को माओवादी और सीपीएम का एजेंट करार दिया. उनकी इस टिप्पणी ने आग में घी डालने का काम किया. लोगों की नाराजगी और बढ़ गई. मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी की चौतरफा आलोचना हो रही है. राज्य में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बढ़ते मामलों ने समाज के विभिन्न तबके के लोगों की नींद भी टूटी. लगभग रोज विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के लोग मौके पर पहुंचने लगे. कामदुनी अचानक सुर्खियों में आ गया. ममता ने राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को कथित तौर पर बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने के लिए मीडिया के एक वर्ग को जम्मेदार ठहराया है. वह कहती हैं, ‘कुछ टीवी चैनल विपक्ष से हाथ मिला कर सरकार की छवि धूमिल करने का अभियान चला रहे हैं.' उन्होंने यहां तक कह दिया है कि कुछ स्थानीय चैनलों पर बलात्कार पर बहस में शामिल लोग खुद पोर्नोग्राफी से जुड़े हैं.
सड़क पर उतरे लोग
राज्य में महिलाओं पर लगातार बढ़ रहे अपराधों के खिलाफ पहली बार बिना किसी राजनीतिक बैनर के लोग सड़कों पर उतर रहे हैं. राज्य में दो साल पहले तृणमूल कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बार राजधानी में उसके खिलाफ इतना बड़ा जुलूस निकला था. जुलूस में शामिल पूर्व नक्सल नेता असीम चटर्जी कहते हैं, ‘महिलाओं से छेड़छाड़ और बलात्कार की घटनाओं की वजह से बंगाल का सिर शर्म से झुक गया है. कामदुनी की घटना बंगाल के माथे पर एक कलंक है. कानून व व्यवस्था की स्थिति काफी बदतर हो गई है.' उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन कामदुनी की घटना के साथ सरकार के भी खिलाफ है. जाने-माने कवि शंख घोष आरोप लगाते हैं, ‘राज्य में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. वो घर या बाहर कहीं भी सुरिक्षत नहीं हैं. लेकिन सरकार ने आंखें मूंद रखी हैं.' वह कहते हैं कि ऐसे मामलों में सरकार अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकती. एक महिला मुख्यमंत्री के राज में महिलाओं की यह स्थिति बेहद दयनीय है. (जब मर्दों के साथ बलात्कार हो)
आम लोग भी नाराज
राज्य में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार के खिलाफ आम लोगों में भी नाराजगी बढ़ रही है. उत्तर 24-परगना जिले के बारासत से आए सब्यसाची घोष कहते हैं, ‘अब तो हालत यह है कि महिलाओं का घर से निकलना असुरक्षित हो गया है.' कोलकाता की एक कालेज शिक्षिका सुहासिनी दासगुप्ता कहती हैं, ‘राज्य में कानून व व्यवस्था नामक कोई चीज नहीं बची है. ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.' वह कहती हैं कि इन घटनाओं पर मुख्यमंत्री की टिप्पणियां हैरतअंगेज हैं. महिला मुख्यमंत्री को महिलाओं के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए.
रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः आभा मोंढे