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महिलाओं को मिल सकता है बच्चे गोद लेने का समान अधिकार

५ अगस्त २०१०

भारत में महिलाओं को बच्चे गोद लेने और उन्हें अकेले पालने का समान अधिकार मिल सकता है. संसदीय पैनल ने बुधवार को इस बिल को पास करने की एकमत से सिफारिश की है.

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तस्वीर: Ian Spratt

इस बिल के मुताबिक दो अधिनियमों में संशोधन करना होगा. पर्सनल लॉ अमेंडमेंट बिल 2010 राज्य सभा में 22 अप्रैल को पेश किया गया था जिसे कानून और विधि के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजा गया वे लोगों के विचार इस बारे में जाने. ये रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में रखी गई. समिति ने सिफारिश की है कि बिल को बिना किसी बदलाव के पास कर दिया जाए.

रिपोर्ट में कहा गया कि ये बिल एक अहम कानून है जो महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने के लक्ष्य से बनाया गया है. और पर्सनल लॉ को लैंगिक समानता और लैंगिक न्याय अलग नहीं रखा जा सकता. समिति एकमत से मानती है कि बिल में प्रस्तावित संशोधन बच्चों को पालने और उन्हें गोद लेने के मामले में पिता और मां को समान अधिकार देंगे.

प्रस्तावित बिल में गार्डियन एंड वॉर्ड्स एक्ट(जीडबल्यूए) 1980 और हिंदू एडॉप्शन मेंटेनेन्स एक्ट 1956 में संशोधन की मांग की गई है. उम्मीद है कि इस मॉनसून सत्र में ये संशोधन का प्रस्ताव संसद में रखा जाए.

Erdbeben in Pakistan Mutter und Kind
तस्वीर: AP

जीडबल्यूए के मुताबिक अगर एक दंपत्ति बच्चा गोद लेता है तो पिता स्वाभाविक पालक है. ये अधिनियम ईसाई, मुस्लिम, पारसी, यहूदी पर लागू होता है. 120 साल पुराने इस अधिनियम में संशोधन के साथ मां को भी पालक के समान अधिकार मिल सकेगा ताकि पिता की मृत्यु की स्थिति में किसी और को बच्चे का गार्डियन नहीं बनाया जाए.

हिंदू अडॉप्शन मेन्टेनेन्स एक्ट में संशोधन का लक्ष्य है कि शादीशुदा महिलाओं को भी बच्चे गोद लेने का अधिकार और बच्चे गोद देने का समान अधिकार दिया जाए. ये अधिनियम हिंदू, जैन, बौद्ध और सिखों पर लागू होता है. फिलहाल बिना शादी किए, तलाकशुदा, विधवा महिलाएं बच्चा गोद ले सकती हैं लेकिन अगर कोई महिला तलाक का मुकदमा लड़ रही है तो उसे बच्चा गोद लेने का अधिकार नहीं है.

रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम

संपादनः एस गौड़

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