मैनिंग को सजा के मायने
३१ जुलाई २०१३मैनिंग पर लगभग सभी आरोप साबित हो गए और उन्हें दोषी पाया गया है. हालांकि इस फैसले पर अमेरिका भी दो हिस्सों में बंटा दिखता है. सेना के जज कर्नल डेनिस लिंड के फैसले से पहले 16 घंटे की कार्यवाही हुई और अमेरिकी सैनिक 21 में से 19 आरोपों में दोषी पाया गया. हालांकि "दुश्मन को मदद" वाला आरोप खारिज कर दिया गया, जिसमें मौत की सजा हो सकती थी.
25 साल के मैनिंग नवंबर 2009 से मई 2010 तक इराक में तैनात थे और उन पर करीब 7000 खुफिया दस्तावेज लीक करने का आरोप है. उन्होंने ये दस्तावेज विकिलीक्स को दिए, जिसने इन्हें सार्वजनिक कर दिया. दस्तावेजों में वह खुफिया वीडियो भी शामिल है, जिसमें बगदाद में एक अमेरिकी हेलिकॉप्टर से हमला किया गया है, जिसमें कई निहत्थे नागरिकों की मौत हो गई.
क्या हैं आरोप
रीगन प्रशासन में सुरक्षा सलाहकार लॉरेंस कॉर्ब इस फैसले को न्यायोचित ठहराते हुए डॉयचे वेले से कहते हैं, "इस बात में कोई शक नहीं कि उन्होंने दस्तावेज लीक किए हैं और उन्हें पता था कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. उन्होंने इस बात को मान भी लिया है."
कॉर्ब का कहना है, "सबसे बड़ा सवाल यह है कि उन्होंने जो सूचनाएं सार्वजनिक की हैं क्या उससे दुश्मन को फायदा पहुंचा या अमेरिका के आतंकवाद के खिलाफ युद्ध पर कोई असर पड़ा. मैं नहीं समझता हूं कि ऐसा हुआ. अगर यह कहा जाए कि अल कायदा को यह नहीं पता था कि हम उनके पीछे पड़े हैं, तो बेवकूफाना होगा. उन्हें इस बात की जानकारी है."
बंटी हुई राय
इस सैनिक कार्यवाही ने अमेरिकी जनता और विशेषज्ञों को बांट दिया है. कॉर्ब से अलग जर्मन मार्शल फंड के वरिष्ठ विशेषज्ञ मार्क जैकबसन कहते हैं, "मैं तो दुश्मन को मदद देने का दोषी मानता. जूरी ने इस पर बात भी की लेकिन उन्हें लगा कि शायद वे उसे इसका दोषी नहीं बता पाएंगे."
हालांकि जैकबसन इस फैसले को सकारात्मक देखते हैं, "सबसे जरूरी बात है कि मैनिंग को सभी मामलों में दोषी पाया गया. यह उन लोगों के लिए साफ संदेश है, जो खुफिया जानकारी लीक करना चाहते हों और जो अमेरिका और उसके साथियों के नागरिकों, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को खतरे में डालना चाहते हों."
जून में शुरू हुए इस मुकदमे में खुद मैनिंग ने अपने आप को 21 में से 10 आरोपों का दोषी मान लिया था, इनमें जासूसी और कंप्यूटर धांधली शामिल है. उन्होंने दुश्मन का साथ देने वाले आरोप से इनकार किया था.
मीडिया में मैनिंग को लेकर अलग राय है. अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एएसए पर किताब लिखने वाले पत्रकार जेम्स बैमफोर्ड का कहना है कि मैनिंग की किसी भी हरकत से दुश्मन को मदद नहीं मिली. उनका कहना है कि अलबत्ता मैनिंग ने कई दस्तावेज जारी किए लेकिन वे बहुत संवेदनशील नहीं थे. बैमफोर्ड का कहना है कि मैनिंग ने आम लोगों की सेवा की, "सबसे ज्यादा अहम सूचना थी कि किस तरह ओबामा प्रशासन या खुद ओबामा ने यमन पर हमले को लेकर अमेरिकी लोगों से कई बार झूठ बोला. वहां अमेरिका ने क्रूज मिसाइलों से हमला किया, जो क्लस्टर बमों से लदे थे. इनसे कई लोगों की जान गई."
कैसे कैसे हमले
बैमफोर्ड का कहना है कि खतरनाक नतीजों की वजह से ही क्लस्टर बमों पर 2009 में 109 देशों ने प्रतिबंध लगा दिया, "और जब पता चला कि इसकी वजह से कई महिलाओं और बच्चों की जान गई, और तो और गांव नष्ट हो गया. ओबामा ने इस बात से इनकार किया था कि अमेरिका का इसमें किसी तरह का रोल है."
विकिलीक्स ने इस फैसले की निंदा की है जबकि कई लोगों का मानना है कि इसके बाद दूसरे तरह से खुलासे आने लगेंगे. हाल ही में अमेरिका के एक और पर्दाफाश करने वाले शख्स एडवर्ड स्नोडेन को भागना पड़ा, जो फिलहाल रूस में हैं. मैनिंग से मिलने वाली जानकारी सार्वजनिक करने वाली वेबसाइट विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज लंदन में इक्वाडोर के दूतावास में शरण लेकर रह रहे हैं.
रिपोर्टः गीरो श्लीस/एजेए
संपादनः निखिल रंजन