यूपी: मुठभेड़ में डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत
३ जुलाई २०२०इस घटना में सात पुलिसकर्मी बुरी तरह से घायल हो गए. मारे गए पुलिसकर्मियों में पुलिस उपाधीक्षक, एक एसएचओ और तीन दारोगा भी शामिल हैं.
कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव विकास दुबे नाम के एक व्यक्ति को पुलिस टीम हत्या के एक मामले में गिरफ्तार करने गई थी. राज्य के पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि पुलिस टीम को पहले जेसीबी लगाकर रोका गया और उसके बाद घर की छतों से ताबड़तोड़ गोलीबारी की गई. पुलिस वालों ने भी जवाबी कार्रवाई में गोलियां चलाईं, लेकिन तब तक हमलावर फरार हो चुके थे.
हालांकि बाद में घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर एक और एनकाउंटर की खबर आई जिसमें दो लोगों के मारे जाने का दावा किया गया है. घटना के तत्काल बाद बिकरू गांव में आसपास के जिलों से बुलाकर भारी मात्रा में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है. घटना के बाद कानपुर रेंज के एडीजी, आईजी और एसएसपी के अलावा अन्य आला अधिकारी और बाद में राज्य के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार भी पहुंच गए. पूरा गांव इस वक्त छावनी में तब्दील हो गया है.
पुलिस कार्रवाई
डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया, "पुलिस बल के अलावा हमलावरों की तलाश में एसटीएफ भी लगा दी गई है और लखनऊ से फोरेंसिक टीम भी भेजी गई है. हमलावरों को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा.”
मुठभेड़ में सात पुलिस कर्मी और कुछ स्थानीय लोग भी घायल हुए हैं जिन्हें कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. एक पुलिसकर्मी की हालत काफी गंभीर बताई जा रही है. डीजीपी अवस्थी ने बताया कि विकास दुबे पर 60 मुकदमे दर्ज हैं और पिछले दिनों कानपुर के राहुल तिवारी नाम के व्यक्ति ने उस पर 307 का एक मुकदमा दर्ज कराया था. उसी सिलसिले में पुलिस विकास दुबे को पकड़ने के लिए उसके गांव बिकरू गई थी जहां पुलिस टीम के साथ मुठभेड़ हुई.
घटना की सूचना मिलते ही कानपुर परिक्षेत्र के अपर पुलिस महानिदेशक जयनारायण सिंह, पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी समेत कई पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए और पुलिस बल ने गांव को चारों ओर से घेर लिया. कानपुर नगर के अलावा कानपुर देहात और कन्नौज जिलों से भी पुलिस बल को बुलाया गया है. इन सबके बावजूद हमलावर न सिर्फ भागने में सफल रहे बल्कि मृत और घायल पुलिस वालों के हथियार भी लूट ले गए.
रिपोर्ट तलब
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को इस घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और तत्काल रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.
घटना के बाद घायल पुलिसकर्मियों को देखने अस्पताल पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो असलहे छीनकर अपराधी भागे हैं उनमें से कुछ को रिकवर किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा, "किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. जिन बहादुर जवानों ने दिन-रात में अंतर न महसूस करते हुए कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए काम किया है उनको मैं कोटि-कोटि नमन करता हूं.”
मुख्यमंत्री ने कहा है कि मुठभेड़ में मारे गए सभी आठ पुलिस जवान के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी और प्रत्येक के परिवार के एक सदस्य को शासकीय सेवा प्रदान की जाएगी. साथ ही मृतक आश्रितों को असाधारण पेंशन का लाभ दिया जाएगा.
कौन है विकास दुबे
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को गिरफ्तार करने पुलिस की यह टीम गई थी, उसका न सिर्फ लंबा आपराधिक इतिहास है और उस पर गंभीर अपराधों में दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं बल्कि राजनीतिक दलों में भी अच्छी-खासी पहुंच बताई जा रही है.
कानपुर के चौबेपुर थाने में विकास दुबे के खिलाफ कुल 60 मुकदमे दर्ज हैं जिनमें हत्या और हत्या के प्रयास जैसे कई गंभीर धाराओं वाले मामले भी शामिल हैं. चौबेपुर थाने में दर्ज मुकदमों के आधार पर कहा जा सकता है कि पिछले करीब तीन दशक से अपराध की दुनिया से विकास दुबे का नाम जुड़ा हुआ है. इस दौरान कई बार उसकी गिरफ्तारी भी हुई लेकिन किसी में सजा नहीं हुई और हर बार वो जमानत पर छूटकर बाहर आता रहा.
कानपुर में नवभारत टाइम्स के पत्रकार प्रवीण मोहता बताते हैं, "साल 2001 में विकास दुबे ने थाने के अंदर घुसकर बीजेपी के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी. संतोष शुक्ला हत्याकांड ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया था लेकिन इतनी बड़ी वारदात होने के बाद भी किसी पुलिस वाले ने विकास के खिलाफ गवाही नहीं दी. कोर्ट में विकास के खिलाफ हत्या का कोई साक्ष्य नहीं मिला जिसकी वजह से उन्हें बरी कर दिया गया.”
घेरे में कानून व्यवस्था
राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अकसर दावा करते हैं कि अपराधी या तो उत्तर प्रदेश से बाहर चले गए हैं या फिर वो जेल में बंद हैं लेकिन कानपुर की घटना ने इन दावों की पोल खोलकर रख दी है. यही नहीं, इस घटना के अलावा भी शुक्रवार के दिन राज्य में हत्या की कई घटनाएं हो चुकी हैं.
इसके अलावा, सवाल इस बात पर भी उठ रहे हैं कि जिस व्यक्ति के खिलाफ साठ से अधिक मामले दर्ज हों, उसे गिरफ्तार करने के लिए क्या पुलिस की तैयारी समुचित थी? उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक रह चुके रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी वीएन राय कहते हैं कि इस घटना से साफ पता चलता है कि पुलिस के पास खुफिया जानकारी नहीं थी और न ही दबिश डालने से पहले समुचित तरीके से जगह की रेकी की गई थी.
घटनास्थल पर पहुंचे एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने भी मीडिया से बातचीत में इस बात को स्वीकार किया है कि पुलिस से चूक हुई है. प्रशांत कुमार ने कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होगी, एसटीएफ के साथ कई टीमें लगी हैं और विकास दुबे को खोजा जा रहा है. उन्होंने बताया कि उसके कई ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है और उसके करीबियों के सैकड़ों फोन सर्विलांस पर लगाए गए हैं.
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