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यौनकर्मियों के अधिकारों की रक्षा

Peter Abs३ दिसम्बर २०१३

जर्मनी में देह वायापार संबंधी कानून बदलने वाले हैं. नई गठबंधन सरकार इन कानूनों को नए साल में लागू करने की बात कर रही है. नए कानून यौनकर्मियों के अधिकारों की रक्षा करेंगे और उनका फायदा उठाने वालों के खिलाफ होंगे.

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तस्वीर: AFP/Getty Images

जर्मनी के संघीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार देह व्यापार से होने वाली वार्षिक आय लगभग 15 अरब यूरो है. इस आधार पर यह काफी फलता फूलता उद्योग लगता है. जर्मनी में यौनकर्मियों की संख्या के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है, लेकिन अनुमान है कि इनकी संख्या 4,00,000 के आस पास है.

यौनकर्मियों के अधिकार

2002 में एसपीडी और ग्रीन पार्टी की मिली जुली सरकार ने यौनकर्मियों की सामाजिक और कानूनी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए. तब उन्होंने देह व्यापार से संबंधित कानून लागू किया था. तब से देह व्यापार को जर्मनी में कानूनी दर्जा मिला हुआ है. इन कानून में यौनकर्मियों को सामाजिक बीमा जैसी सुविधाएं भी दी गई हैं. पैसे न मिलने पर वे ग्राहकों के खिलाफ अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकती हैं.

लेकिन इस क्षेत्र में काम करने वाले कुछ ही लोग खुद को आधिकारिक तौर पर रजिस्टर करा सके हैं. संघीय रोजगार एजेंसी का कहना है कि अब तक केवल 44 यौनकर्मी ही सामाजिक बीमे के लिए पंजीकृत हैं. पुलिस अधिकारी हेल्मुट स्पोरर 20 साल के आउग्सबुर्ग शहर के रेड लाइट एरिया में काम कर रहे हैं. उन्होंने जर्मन टीवी चैनल एआरडी से बातचीत में कहा, "दिक्कत यहहै कि कानून दलालों को फायदा पहुंचाता है."

दलालों की दया पर

यौनकर्मियों के लिए सामाजिक बीमा की बात करने वाले कानून का ही एक हिस्सा यह भी कहता है कि स्वतंत्र रूप से काम ना करने वाले यौनकर्मियों को निर्देश देने के अधिकार कुछ हद तक दलालों के पास हैं. हेल्मुट स्पोरर कहते हैं कि यह मानव गरिमा का अपमान है. वह मानते हैं ये यौनकर्मी कई बार अपने अधिकारों के बारे में नहीं जानते हैं और इन दलालों की दया पर निर्भर करते हैं.

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तस्वीर: imago/EQ Images

उन्होंने बताया कि पूर्वी जर्मनी की लड़कियों की बड़ी तादाद ऐसी है जिनसे जबरदस्ती यह काम कराया जा रहा है. महिला अधिकारों की बात करने वाली जर्मन पत्रिका 'एमा' ने कई बार अपने कई लेखों में मौजूदा कानून की निंदा की है. उनका कहना है कि जर्मनी आधुनिक दौर की गुलामी को बर्दाश्त कर रहा है.

एमा की प्रकाशक आलिस श्वारजेर एक जानी मानी महिला अधिकार कार्यकर्ता भी हैं. वह मानती हैं कि देहव्यापार से संबंधित कानून बदलना चाहिए. उन्होंने कहा, "हमारे दोनों मकसद हैं, महिलाओं को सुरक्षा देना और उनके लिए बाहर आने के बेहतर रास्ते मुहैया कराना. और उन्हें सजा दिलाना जो इनका शोषण करते हैं."

भविष्य की जर्मन सरकार के गठबंधन समझौते में इस कानून को सुधारने में दिलचस्पी दिखाई गई है. खासकर जबरन देहव्यापार के मामलों से संबंधित धारा में. तीसरी बार सत्ता में आई चासंलर मैर्केल की पार्टी सीडीयू-सीएसयू के संसदीय दल में मानवाधिकार और मानवीय मदद ग्रुप की प्रमुख एरिका श्टाइनबाख कहती हैं, "हम दोषियों के खिलाफ मुकदमा चलाएंगे, जो सामान की तरह लोगों को बेचते हैं और यौनकर्मी बनने के लिए मजबूर करते हैं."

गठबंधन समझौते के तहत नई सरकार देह व्यापार के कानून में भारी बदलाव करेगी. इसके अंतर्गत यौनकर्मियों के अधिकारों और कानूनी व्यवस्था तंत्र को सुनियोजित करने पर ध्यान दिया जाएगा. देह व्यापार में धकेली गई और जर्मनी में गैर कानूनी तौर पर रह रही महिलाओं को अदालत में गवाही देने के बाद जर्मनी में रहने का अधिकार भी दिया जाएगा.

ग्राहकों को सजा देगा फ्रांस

फ्रांस में भी सरकार देह व्यापार से निपटने में लगी है. यौनकर्मियों की दलाली पर यहां कई दशकों से प्रतिबंध है. अब सरकार चाहती है कि रंगे हाथों पकड़े जाने वाले ग्राहकों पर 1,500 यूरो का जुर्माना लगाया जाए. दलाली से जुड़े शख्स को 3,750 यूरो का जुर्माना देना होगा. जानकारों का कहना है कि ऐसा करने से देह व्यापार पर रोक नहीं लगेगी लेकिन वे महिलाएं जिनकी कमाई इसी काम से आती है उन्हें ग्राहकों की कमी हो सकती है.

फ्रांस में इस बिल पर चल रही चर्चा ने अच्छा खासा विवाद खड़ा कर दिया है. वहां के कई महिला संगठनों ने भी इस कानून को लाए जाने के समर्थन में मुहिम छेड़ रखी है. लेकिन यौनकर्मी खुद सरकार की योजना का विरोध कर रहे हैं. ग्राहक भी नहीं चाहते कि ऐसा कोई कानून आए.

स्वीडन में बलात्कार के मामले

फ्रांस में प्रस्तावित यह बिल स्वीडन में लागू कानूनों से प्रेरित हैं. वहां 1999 से देह व्यापार के मामलों में ग्राहकों को दोषी माना जाता रहा है. स्वीडन की सरकार ने उसी समय देह व्यापार को कानूनी दर्जा भी दिया था. इसका मतलब है महिलाएं खुद अपने जिस्म की खरीद फरोख्त कर सकती हैं, लेकिन ग्राहकों को कानूनी छूट नहीं है कि वे इसमें हिस्सा लें.

इसका नतीजा यह हुआ कि आज राजधानी का नक्शा पूरी तरह बदल चुका है. स्टॉकहोम की पुलिस का कहना है सड़कों के जिन सिरों पर करीब 80 यौनकर्मी ग्राहकों को लुभाने की कोशिश किया करते थे, आज बमुश्किल 20 दिखाई देते हैं. पुलिस का यह भी दावा है कि यूरोप के कई अन्य देशों में मानव तस्करी की घटनाएं स्वीडन के मुकाबले कहीं कम हैं.

स्वीडन की एक महिला अधिकार संस्था टेरे देस फेमेस की प्रमुख शेवे गेरिक का कहना है, "सरकार ने आंखें मूंद ली हैं इसका यह मतलब नहीं है कि स्वीडन से देह व्यापार खत्म हो गया है." उनके अनुसार हालात काफी बुरी हैं.

उनका कहना है कि यौनकर्मियों की हालत खराब है क्योंकि उनके पास कुछ ही ग्राहक बचे हैं जिनकी दया पर उन्हें निर्भर रहना पड़ता है. स्वीडन के एक अस्पताल की नर्स ने बताया कि वहां यौनकर्मियों के साथ मारपीट और बलात्कार के मामलों में 1999 से बढ़ोतरी हुई है.

रिपोर्ट: क्रिस्टियान इग्नाट्सी/ एसएफ

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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