रूस की जेलों में कैदियों का भयानक उत्पीड़न
२ फ़रवरी २०२२दर्जनों पीड़ितों और उनके वकीलों ने रूसी अधिकारियों पर उत्पीड़न के असंख्य मामलों को छिपाने और जेल कर्मचारियों की कार्रवाई से इनकार करने का आरोप लगाया है. रूस के इर्कुत्स्क ओब्लास्ट इलाके में इस साल की शुरुआत में अधिकारियों ने उत्पीड़न के चार मामले बंद करने की घोषणा की. इसके नए आरोप सामने आए हैं. जो लोग इस उत्पीड़न से प्रभावित हुए हैं उनकी संख्या बहुत बड़ी है.
पूर्व कैदी सर्गेइ सावेलेयेव ने अक्टूबर 2021 में करीब 40 गीगाबाइट के वीडियो और फोटो रूसी मानवाधिकार गुट गुलागु डॉट नेट (Gulagu.net) पर जारी किए. रूस की जेलों की इन तस्वीरों और वीडियो में कैदियों के साथ दुर्व्यवहार ना सिर्फ इर्कुत्स्क बल्कि कई और जेलों में होते हुए देखा जा सकता है. रूस की संघीय कारावास सेवाके प्रमुख आलेक्सांद्र कलाश्निकोव को नवंबर में इस्तीफा देना पड़ा. ओब्लास्ट प्रशासनिक क्षेत्र के कुछ जेल अधिकारियों पर आरोप लगे और उन्हें बर्खास्त किया गया लेकिन मोटे तौर पर इस समस्या की अनदेखी की गई है.
इर्कुत्स्क ओब्लास्ट में क्षेत्रीय कारावास प्रशासन के प्रमुख नियोनिड सागालाकोव कई हिंसक वीडियो सामने आने के बाद भी ना सिर्फ अपने पद पर बने हुए हैं बल्कि उन्हें मेजर जनरल के रूप में पदोन्नति भी दी गई है. इर्कुत्स्क की जेलों में उत्पीड़न की खबरें अप्रैल 2020 से ही आ रही हैं. इससे पहले अंगार्स्क शहर की 15 नंबर जेल में दंगा भी हुआ था. आधिकारिक रिपोर्ट कहती है कि यह एक कैदी ने भड़काया था लेकिन गैरआधिरिक रिपोर्ट में इसके लिए सरकारी उत्पीड़न को जिम्मेदार बताया गया है.
हिंसा और दुर्व्यवहार
रूस के "इन डिफेंस ऑफ द राइट्स ऑफ प्रिजनर्स" फाउंडेशन को रूसी अधिकारियों ने विदेशी एजेंट घोषित कर रखा है. इसी फाउंडेशन की मदद से डीडब्ल्यू को कुछ पूर्व कैदियों से बात करने का मौका मिला. ये लोग अंगार्स्क जेल दंगे के समय वहीं मौजूद थे और उन्होंने देखा कि किस तरह अधिकारियों ने इसे दबाया. इन लोगों को कार्रवाई का डर है इसलिए वे नाम छिपाने की शर्त पर ही बात करने के लिए तैयार हुए.
दिमित्रीज और दूसरे कैदियों को आधी रात के सामय उनकी कोठरियों से बाहर निकाला गया. उस पल को याद करते हुए उनकी आवाज कांपने लगी, "हम कंक्रीट पर सुबह 9 बजे तक लेटे हुए थे और हमारे हाथ हमारे सिर के पीछे थे. हमें उसी स्थित में शौच भी करना पड़ा क्योंकि हमें उठने की इजाजत नहीं थी. हमें पीटा गया और हमारी खिल्ली उड़ाई गई." उनकी हड्डियां टूटी और बांह मुड़ गई है.
दूसरे पूर्व कैदी आलेक्सी ने बताया कि दंगे के बाद करीब 600 कैदियों को तीन दूसरी जेलों में भेज दिया गया. आलेक्सी कहते हैं, "पूरे समय हमें प्रताड़ित किया गया." आलेक्सी के मुताबिक नई जेल में एक पूरा विंग इनके आने की तैयारी में जुटा था और जेल के साथ सहयोग करने वाले कैदी पहले से ही इन लोगों का इंतजार कर रहे थे. हर कोठरी में टॉर्चर स्क्वायड के पांच से छह लोग मौजूद थे. आलेक्सी याद करते हैं, "हम लोगों को एक एक कर इन कोठरियों में फेंक दिया गया, हम बंधे हुए थे और हम पर जुल्म हो रहा था. वह भयानक था."
जबरन इकरारनामा और झूठे लांछन
हिरासत केंद्रों और दंगाइयों से जुड़े कई स्रोतों ने नियमित उत्पीड़न की पुष्टि की है. जेल प्रशासन के साथ सहयोग करने वाले कैदियों को नए कैदियों से दूसरे कैदियों पर लांछन लगाने के लिए कहा जाता है. उन्हें अंगार्स्क में दंगा भड़काने की बात कबूलने के लिए भी मजबूर किया गया.
जब सामान्य मार पिटाई से काम नहीं चलता तो कैदियों के नाखूनों में सुइयां चुभोई जाती हैं. उनकी एड़ियों पर केबल और तख्तों से वार किया जाता. कई चीजों से उनका बलात्कार किया जाता. यह कई महीनों तक चलता था. दिमित्रीज का कहना है कि एक सीनियर गार्ड लोगों को सप्ताहांत के अलावा हर सुबह पीटा करता था.
करीब छह महीने तक परिवार के लोग और वकील ये नहीं जान सके कि कैदी कहां हैं. सितंबर 2020 में 15 कैदियों के खिलाफ दंगा भड़काने के आरोप लगाए गए.
'हमेशा के लिए बेकार'
दिसंबर 2020 में केषिक ओंदार को उत्पीड़ने के बाद अस्पताल ले जाया गया और उसके बाद हिंसा रुक गई. केषिक की बहन आसियाना ओंदार ने बताया, "जेल में पहले दिन उसका पांव टूट गया और दूसरे दिन उसके मलद्वार में लोहे की गर्म सलाखें डाल कर घुमाया गया." ओंदार ने यह भी बताया कि जख्म भयंकर थे और दो जटिल ऑपरेशन करने की जरूरत थी. ओंदार के मुताबिक, "वह हमेशा के लिए बेकार हो गया."
ताशिर्षोन बाकीव की बहन ने बताया कि उसके भाई को पटरों से पीटा गया, झाड़ुओं से बलात्कार किया गया और फिर एक बिस्तर पर डाल कर उस पर ढेर सारे बैग रख दिए गए और इसी हाल में दो दिन के लिए छोड़ दिया गया. इर्कुत्स्क के अधिकारियों ने जेल के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू किया है. ये लोग फिलहाल या तो हिरासत में हैं या फिर नजरबंद.
शिकायत की तो दोबारा जेल
प्योत्र कुर्यानोव मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और इन डिफेंस ऑफ द राइट्स ऑफ द प्रिजनर्स फाउंडेशन की मदद करते हैं जो उत्पीड़न के शिकार हुए लोगों की सहायता करता है. इन लोगों ने 40 कथित पीड़ितों की खोज की है और इनमें से कुछ अब भी जेल की सजा काट रहे है लेकिन वे अपने वकीलों से मिल सकते हैं. कुर्यानोव बताते हैं कि बहुत से कैदी अपनी सुरक्षा को लेकर भयभीत हैं.
जो कैदी उस घटना के बाद से रिहा हुए हैं उनमें भी डर बना हुआ है. येवगेनी युर्षेंको ने जब संघीय कारावास सेवा से इर्कुत्स्क में हुए अपने उत्पीड़न की शिकायत की तो दिसंबर 2021 में उन्हें फिर जेल भेज दिया गया. संघीय कारावास सेवा ने ओब्लास्ट के हिरासत केंद्र की जांच का आदेश दिया. हालांकि युर्षेंको पर अब जेल में नशीली दवाओं की तस्करी करने का आरोप है. वह जोर दे कर कहते हैं कि उनके खिलाफ आरोप झूठे हैं और संघीय सेवा उनसे बदला ले रही है.
डेनिस पोकुसायेव की पहचान उत्पीड़न के शिकार हुए कैदी के रूप में है. उन्होंने बताया कि जेल से आजाद होने के बाद दो जांच अधिकारियों ने उनके घर में जबरन घुसने की कोशिश की, उनसे बात करनी चाही और उन्हें दरवाजे के पार देखने वाले छेद से हथकड़ियां दिखाईं.
कुर्यानोव बताते हैं, "वो कई बार घर के सामने रुकते हैं, दरवाजे पर दस्तक देते हैं, आपके साथ दोषियों वाला व्यवहार करते हैं और आपको धमकी देते हैं. आप डर जाते हैं और अधिकारियों की जरूरत के मुताबिक बयान पर दस्तखत कर देते हैं. वो लोग यही चाहते हैं."
आखिर कोई सुधार कैसे होगा?
जेल का वो पूर्व सीनियर गार्ड जो कैदियों को हर दिन पीटा करता था, अकेला ऐसा आदमी है जिस पर हिंसा के आरोप लगाए गए हैं. वह जेल में है और सोमवार को अदालत ने उसे रिहा करने से मना कर दिया. दूसरे मामलों में जेल के कर्मचारियों पर सिर्फ कैदियों के साथ व्यवहार में लापरवाही के आरोप लगे हैं.
पीड़ितों को कोई भरोसा नहीं मिला है और वो अब भी न्याय को लेकर चिंतित हैं. कुख्यात रिमांड प्रिजन नंबर 6 में प्रताड़ित किए गए इवान कहते हैं, "आखिर कैसे कोई सुधार होगा जबकि इर्कुत्स्क ओब्लास के डिटेंशन सेंटर नंबर 15 के नए हेड के रूप में रिमांड प्रिजन 6 के पुराने हेड लाए गए हैं."
वीडियो देखने से पता चलता है कि इर्कुत्स्क कोई अकेला केस नहीं है. मानवाधिकार कार्यकर्ता कहते हैं कि रूस के कई इलाकों में उत्पीड़न के पीड़ितों की संख्या कम करके दिखाई जाती है. जेल अधिकारियों के खिलाफ आरोपों को जान बूझ कर दबाया जाता है जबकि उनके खिलाफ सबूत गुलागु डॉट नेट पर मौजूद हैं.