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लीबिया प्रस्ताव से गैरहाजिर रहा भारत

१८ मार्च २०११

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लीबिया पर उड़ान निषिद्ध क्षेत्र लागू करने को मंजूरी दे दी है. प्रस्ताव पर हुए मतदान में भाग न लेने वालों में भारत और जर्मनी भी शामिल रहे.

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तस्वीर: AP

सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को 10 देशों ने समर्थन दिया जबकि स्थायी सदस्यों रूस और चीन के अलावा जर्मनी, भारत और ब्राजील सहित पांच देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. रूस और चीन के हिस्सा न लेने के कारण सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पारित हो पाया.

उलझना नहीं चाहता जर्मनी

जर्मनी के राजदूत पेटर विटिष ने मतदान के बाद सुरक्षा परिषद में कहा कि सैनिक विकल्प का समर्थन करना जर्मनी के लिए बहुत मुश्किल है क्योंकि इसकी वजह से संयुक्त राष्ट्र को लीबिया में सैन्य परिस्थितियों का सामना करना होगा. विटिष ने कहा कि प्रतिबंधों और आर्थिक कदमों के जरिए लीबिया में मुअम्मर अल गद्दाफी को सत्ता से हटाने के वही नतीजे पाए जा सकते हैं.

Libyen UN Sicherheitsrat NO FLASH
तस्वीर: picture alliance/dpa

जर्मनी की ही तरह भारत ने भी लीबिया के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों का समर्थन किया है लेकिन वहां उड़ान निषिद्ध क्षेत्र बनाने पर शंका व्यक्त की है. और यह सब ऐसे समय में हुआ है जब अरब लीग ने भी गद्दाफी का समर्थन छोड़ उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र का समर्थन किया है. परंपरागत रूप से भारत पश्चिम एशिया पर अरब लीग के फैसलों का समर्थन करता रहा है.

भारत भी बाहर

लीबियाई तानाशाह मुअम्मर अल गद्दाफी ने भारत का समर्थन खरीदने के लिए भारत के राजदूत एम मणिमेकलई से मुलाकात की और भारतीय कंपनियों को देश की तेल कंपनियों में भागीदारी की पेशकश की. यही पेशकश उन्होंने रूस और चीन के राजदूतों से मिलने के बाद उन देशों को भी दी. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत हर कहीं लोकतंत्र के आगमन का समर्थन करता है लेकिन वह गद्दाफी को मित्र समझता है और फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रहा है.

भारत की हिचकिचाहट की एक वजह लगभग 3000 भारतीयों का लीबिया में होना भी है. वे वहां से हटने को तैयार नहीं हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: वी कुमार

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