लॉकडाउन की बोरियत ने अमीर बनाया
२५ दिसम्बर २०२०जंगलों और खुले इलाकों में मेटल डिटेक्टर के साथ घूमते कुछ लोग. ब्रिटेन में पहले ऐसा नजारा आम था. ऐसे लोगों को ट्रेजर हंटर्स यानि खजाने की खोज करने वाले कहा जाता है.कोरोना वायरस के कारण पहले लॉकडाउन के दौराने खजाने की खोज पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
प्रतिबंध की वजह से लोग घरों में कैद से हो गए. बोरियत मिटाने के लिए कई लोगों ने अपने ही गार्डन और घरों में फावड़े चलाने शुरू कर दिए. अब उनकी सफलता हैरान करने वाली है. ब्रिटिश म्यूजियम के मुताबिक इस दौरान कुल 47,000 पौराणिक चीजें सामने आईं.
क्या क्या मिला?
इन 47,000 चीजों में टुडर का खजाना भी शामिल है. टुडर 16वीं शताब्दी में एक बड़ा कुलीन परिवार था. खजाने में 63 सोने के सिक्के और एक चांदी का सिक्का मिला है. ये सभी 15वीं शताब्दी के आखिरी दौर से 16वीं शताब्दी की शुरुआत के बीच के सिक्के हैं.
बागवानी का काम करने वाले एक शख्स को खर पतवार हटाते समय दक्षिणी इंग्लैंड के न्यू फॉरेस्ट इलाके में यह खजाना मिला. ब्रिटिश म्यूजियम के विशेषज्ञों को भी इस बात का कोई अंदाजा नहीं लग रहा है कि ये खजाना उस गार्डन में कैसे पहुंचा.
पश्चिमोत्तर लंदन के एक बगीचे में भी दक्षिण अफ्रीका की नस्लभेदी सत्ता अपारथाइड के सिक्के मिले हैं. सभी 50 सिक्के सोने के हैं.
इनके अलावा डर्सले और ग्लूकेस्टेर्शर में मध्य काल की मुहरें भी मिली हैं. हालांकि इन पर पुरातत्व विज्ञानियों को नकली होने का शक भी हो रहा है. हैम्पशर में मिश्रित तांबे की मदद बनाया गया रोमनकालीन फर्नीचर मिला है. यह 43 से 2000 ईसवी के बीच का है. इसमें पौराणिक ग्रीक देवता ओशनस का चेहरा साफ देखा जा सकता है.
ब्रिटेन और जर्मनी में मेटल डिटेक्टर की मदद से वीरान इलाकों की खाक छानना आम तौर पर प्रतिबंधित है. इसके लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है. यह इजाजत इसी शर्त पर दी जाती है कि खोज में जो भी मिलेगा, उसे प्रशासन के पास जमा कराया जाएगा. इसके बाद एक समिति इन चीजों का मूल्यांकन करती है और खोजकर्ता को ईनाम के तौर पर एक हिस्सा देती है.
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