"सीमा पर गतिरोध के लिए चीन जिम्मेदार"
१५ सितम्बर २०२०भारत और चीन के बीच महीनों से चल रहे सैन्य गतिरोध के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा पर मौजूदा स्थिति के लिए पूरी तरह से चीन को जिम्मेदार ठहराया है. संसद के मानसून सत्र के दौरान "लद्दाख की पूर्वी सीमा पर हाल ही में हुई गतिविधियों पर" लोक सभा में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन दोनों देशों के बीच की पारंपरिक और व्यावहारिक सीमा को नहीं मानता और कहता है कि दोनों पक्षों में सीमा को लेकर अलग अलग समझ है.
उन्होंने कहा कि अप्रैल 2020 में चीन ने 1993 और 1996 में दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षर किए गए समझौतों का उल्लंघन किया, सीमा पर अपनी फौज की तैनाती बढ़ा दी और "भारतीय सिपाहियों की सामान्य पैट्रोलिंग में बाधा उत्पन्न की...मई में चीनी सेना ने पश्चिमी सेक्टर के कई इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार करने की कोशिश की...इन कोशिशों को भारतीय सेना ने पकड़ लिया और इसके खिलाफ पर्याप्त जवाबी कार्रवाई की."
सिंह ने 15 जून को गलवान घाटी में हुई "हिंसक झड़प" के लिए भी चीन को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इसके बाद 29 और 30 अगस्त को भी चीनी सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिण की तरफ यथास्थिति बदलने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि इस समय चीनी सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अंदरूनी इलाकों में भी बड़ी संख्या में सिपाही और हथियार तैनात किए हुए हैं और पूर्वी लद्दाख में इस समय कई स्थानों पर टकराव की स्थिति बनी हुई है.
उन्होंने यह कहा कि इसके बाद भी भारत शांतिपूर्ण समाधान चाहता है, लेकिन सरकार और सेना हर परिस्थिति के लिए तैयार है. उन्होंने यह माना कि लद्दाख में जो स्थिति है वो देश के लिए एक चुनौती है. उन्होंने सभी सांसदों से एक साथ आकर सेना का मनोबल बढ़ाने की अपील भी की. इसके बाद कांग्रेस के सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की लेकिन मांग के ठुकरा दिए जाने पर कांग्रेस के सांसदों ने सदन का बहिष्कार कर दिया और सदन से बाहर चले गए.
जानकारों ने रक्षा मंत्री के बयान को लेकर अलग अलग राय है. वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने ट्विट्टर पर लिखा कि राजनाथ सिंह ने अपने बयान में जानबूझकर जमीन पर वास्तविक स्थिति के बारे में स्पष्ट तरीके से नहीं बताया लेकिन ऐसा उन्होंने क्यों किया यह समझा जा सकता है.
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