सीरिया पर सुरक्षा परिषद में सहमति
२८ सितम्बर २०१३इस प्रस्ताव में मांग की गई है कि सीरिया अपने रासायनिक हथियारों के जखीरे को खत्म करे. रासायनिक हथियारों को खत्म करने के लिए विशेषज्ञों को खुली अनुमति देना जरूरी होगा. अगर सीरिया नहीं मानता है तो परिषद को दूसरा प्रस्ताव स्वीकार करना होगा. जिसके तहत यूएन चार्टर के चैप्टर सात के अनुसार नियम कानून लागू होंगे. इसका मतलब है शांति और सुरक्षा स्थापित करने के लिए सैन्य और असैन्य कार्रवाई.
दो ढाई साल कुछ नहीं करने के बाद सुरक्षा परिषद के लिए यह समझौता एक बड़ा कदम है और रूस के साथ कम ही बन पाने वाली सहमति भी. रूस राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार के साथ है तो अमेरिका विपक्षियों के साथ.
रूस और अमेरिका ने साथ मिल कर परिषद के 10 अस्थाई सदस्यों को समझौते का मसौदा पेश किया. प्रस्ताव पर वोटिंग वोट दो तथ्यों पर निर्भर करेगी. एक तो यह कि पूरी परिषद इस मसौदे पर क्या प्रतिक्रिया देती है और दूसरा रासायनिक हथियारों की वैश्विक संधि पर नजर रखने वाला अंतरराष्ट्रीय ग्रुप कितनी जल्दी सीरिया का रासायनिक भंडार सुरक्षित करने और खत्म करने की योजना लागू कर पाता है.
रूस, अमेरिका और ब्रिटेन के राजनयिकों ने कहा है कि रासायनिक हथियारों पर रोक लगाने वाला संगठन शुक्रवार को नीदरलैंड्स के द हेग में मिल सकता है ताकि तय किया जा सके कि कौन क्या करेगा. इससे सुरक्षा परिषद जल्दी से जल्दी शुक्रवार शाम तक वोटिंग कर सकेगी.
संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में ऑर्गेनाइजेशन फॉर प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वीपन (ओपीसीडबल्यू) की बातें भी होंगी. इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने के लिए पहले ओपीसीडबल्यू को कार्रवाई करनी होगी.
21 अगस्त को सीरिया की राजधानी दमिश्क के आस पास के इलाकों में हुए संदिग्ध गैस हमले में कई सौ लोगों की जान गई थी. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय अचानक हरकत में आया और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जवाबी कार्रवाई के तौर पर हमले की धमकी दी.
इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा कि असद अमेरिकी सैन्य कार्रवाई को रोक सकते हैं बशर्ते वह हर रासायनिक हथियार एक सप्ताह के अंदर अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में दे दे. रूस ने यह बात तुरंत मान ली. केरी और रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने जेनेवा में 13 सितंबर के दिन इससे जुड़े मसौदे पर हस्ताक्षर किए. असद की सरकार ने इसे मान लिया. अमेरिकी राजनयिक सामंथा पॉवर ने सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया, "सिर्फ दो सप्ताह पहले आज का फैसला असंभव लग रहा था. दो सप्ताह पहले तक सीरियाई सरकार मानने को भी तैयार नहीं थी कि उसके पास रासायनिक हथियारों का भंडार है."
उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को स्वीकार करने पर 2011 से जारी सीरिया संकट में ऐसा पहली बार होगा कि परिषद ने सीरिया पर किसी भी तरह के बाध्यकारी शर्तें लगाई हों. पॉवर ने कहा, "अगर इन्हें पूरी तरह से लागू किया जाता है तो इससे दुनिया का सबसे बड़ा रासायनिक हथियारों का भंडार, जो पहले अघोषित था, नष्ट कर दिया जाएगा." ब्रिटेन से संयुक्त राष्ट्र के दूत मार्क लिएल ग्रांट और अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने इस मसौदे को "बाध्यकारी और लागू करने लायक" बताया है.
न्यूज एजेंसी असोसिएटेड प्रेस ने लिखा है कि अगर यह प्रस्ताव सीरिया नहीं मानता तो किसी तरह का बल इस्तेमाल करने की बात नहीं कही गई है. रूस, अमेरिका और ब्रिटेन के राजनयिकों ने पुष्टि की है कि ऐसा होने की स्थिति में दूसरा प्रस्ताव दिया जाएगा. हालांकि लिएल ग्रांट ने कड़े शब्दों में कहा कि परिषद ने "तय किया है" कि अस्वीकृति की स्थिति में सुरक्षा परिषद चैप्टर सात के तहत कार्रवाई करेगी.
प्रस्ताव के कारण सीरिया पर रासायनिक हथियारों की प्रोसेसिंग करने की रोक लग सकती है और सीरिया किसी देश को रासायनिक हथियार, उसकी तकनीक या उपकरण भी नहीं दे सकता.
इससे कारण संयुक्त राष्ट्र एक टीम ओपीसीडब्ल्यू की गतिविधियों की मदद करने के लिए सीरिया भेज सकती है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून को अब दस दिन के अंदर सुरक्षा परिषद को सुझाव भेजना है.
प्रस्ताव में सीरिया में राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव का समर्थन किया गया है. जून 2012 में तय किए गए रोड मैप को लागू करने का यह पहला मौका होगा. इसके तहत आपसी सहमति से अंतरिम सरकार बनाई जाएगी और फिर चुनाव करवाए जाएंगे.
एएम/एनआर (एपी)