सीवीसी मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने जिम्मेदारी ली
४ मार्च २०११प्रधानमंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, "यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि ऐसा फिर नहीं हो. मैं अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं और अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं."
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि यह मामला गठबंधन से जुड़ा हुआ नहीं था."यह गठबंधन से जुड़ी हुई अनिवार्यताओं का मामला नहीं है. और मैं पहले ही कह चुका हूं कि मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आदर करता हूं. मैं निश्चित ही एक नागरिक के तौर पर इसे स्वीकार करता हूं."
जिस समय 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आया था उस समय प्रधानमंत्री ने गठबंधन की अनिवार्यताओं के बारे में बात की थी. यह पूछने पर कि वह आगे क्या कार्रवाई करेंगे, प्रधानमंत्री ने कहा, "पहले तो मुझे संसद में इस बारे में बोलना होगा. मैंने अभी तक इस बारे में सोचा नहीं है. लेकिन आपने जो मुद्दा उठाया है वह अहम है. यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि फिर ऐसा नहीं हो."
पीजे थॉमस की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार समिति को लताड़ लगाई कि उसने थॉमस पर भ्रष्टाचार के पुराने मामले को ध्यान में नहीं रखा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि आगे से केंद्रीय सतर्कता आयोग में सरकारी कर्मचारी ही नहीं रखे जाएं. बल्कि अन्य क्षेत्रों से जुडे़ और बेदाग छवि वाले लोगों पर भी विचार किया जाए.
थॉमस 1973 के आईएएस अधिकारी रहे थे जिन्हें 7 सितंबर को सीवीसी आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया. जबकि विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इसका विरोध किया था. उन पर उस समय पामोलिन तेल के आयात के मामले में केरला की अदालत में भ्रष्टाचार का केस चल रहा था. 1991 में पामोलिन तेल के आयात के दौरान उन पर दो करोड़ के सरकारी घाटा करने के आरोप लगाए गए थे. तब थॉमस केरल सरकार में खाद्य सचिव थे.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एस गौड़