स्टाफ की आत्महत्याओं में फंसे अधिकारी
५ जुलाई २०१२फ्रांस टेलीकॉम के पूर्व प्रमुख डिडिये लोंबार 2005 से 2010 तक कंपनी के टॉप बॉस रहे. 2006 से 2008 के उनके कार्यकाल के दौरान 22,000 नौकरियां गईं. 10,000 कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ी और दूसरी जगह काम करने लगे. कंपनी का बुरा दौर 2008-09 के बीच आया. एक साल के भीतर 35 कर्मचारियों ने खुदकुशी की.
इसके बाद मार्च 2010 में लोंबार को इस्तीफा देना पड़ा. अब उनके खिलाफ न्यायिक जांच शुरू हो रही है. गुरुवार को लोमबार्ड की मजिस्ट्रेट के सामने पेशी हुई. दफ्तर में शोषण करने का आरोप झेल रहे लोंबार इस वक्त 1,00,000 यूरो की जमानत पर हैं.
लोंबार के खिलाफ 2009 में शिकायत करने वाली एसयूडी यूनियन ने मजिस्ट्रेट जांच का स्वागत किया है. यूनियन ने एक बयान जारी कर कहा, "यह पहला मौका है जब फ्रांस में पूर्व मैनेजर के खिलाफ नैतिक और संस्थागत शोषण की जांच चल रही है."
अन्य श्रमिक संघ सीएफई-सीजीसी ने भी फैसले का स्वागत किया है, "यह कर्मचारियों और परिवारों के लिए बहुत जरूरी है." यूनियन के वकील फ्रेडरिक बेनोआ के मुताबिक लोंबार ने कई योजनाओं के जरिए कर्मचारियों पर दबाव डाला. अभियोजन पक्ष को वर्क इंस्पेक्टर की 2010 की एक रिपोर्ट से भी आधार मिला है.
रिपोर्ट में कहा गया कि प्रबंधन ने कर्मचारियों का शोषण किया. कई कर्मचारियों को किनारे कर दिया गया. कई के सामने यह विकल्प रखा गया कि या तो वह भूमिका में बदलाव स्वीकार करें या कंपनी छोड़ दें.
कार्य निरीक्षक ने कहा कि फ्रांस टेलीकॉम के तरीके कर्मचारियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ पर बुरा असर डाल रहे थे. कार्य निरीक्षक सिल्वी कटाला ने एसयूडी को 2005 से 2009 के बीच इस बारे में खत भी लिखे. चिट्ठियों में मैनेजमेंट से लगातार बढ़ते खतरों का जिक्र किया गया था.
अप्रैल 2010 में लोंबार के इस्तीफे के एक महीने बाद मौत के मामलों की आधिकारिक जांच शुरू हुई. पुलिस ने पैरिस में कंपनी के मुख्यालय में छापे मारे और कई दस्तावेज जब्त किये. जांच के आधार पर अब लोंबार समेत कई अन्य अधिकारियों पर आरोप लगाए गए.
वहीं फ्रांस के एक अखबार ले मोंड से बात करते हुए लोंबार ने आरोपों को खारिज किया है. उनका कहना है कि आत्महत्याओं का कारण उनके फैसले नहीं हैं. फ्रांस टेलीकॉम फ्रांस की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है. फ्रांस में उसके 1,05,000 और दुनिया भर में 1,71,000 कर्मचारी हैं.
ओएसजे/एमजे (एएफपी)