हिरोशिमा की बरसी, फुकुशिमा का साया
६ अगस्त २०११इन दिनों दुनिया भर में परमाणु ऊर्जा से पीछा छुडा़ने पर बहस तेज है. हिरोशिमा और नागासाकी में लाखों लोगों की मौत के बाद शुरू हुई इस बहस को तेज करने में फुकुशिमा संकट का योगदान रहा. जर्मनी जैसे देशों ने तो सबक लेते हुए परमाणु ऊर्जा से तौबा करने का मन बना लिया है. हालांकि चीन और भारत समेत कई उभरते देश अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु तकनीक को बड़े विकल्प के तौर पर देखते हैं. लेकिन दुनिया परमाणु हथियारों के फैलते दायरे पर चिंतित भी है.
फुकुशिमा का साया
पिछले दिनों जापान के फुकुशिमा इलाके में सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन कर परमाणु बिजली प्लांटों से भी पीछा छुड़ाने की मांग की. परमाणु बिजली प्लांट से लगभग 50 किलोमीटर दूर फुकुशिमा शहर में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने नारा बुलंद किया, "सभी परमाणु बिजली प्लांटों को बंद करो. हमें फिर से रेडियोधर्मी मुक्त फुकुशिमा लौटाओ." इस रैली में फुकुशिमा दायची प्लांट के आसपास से हटाए गए लोगों ने भी हिस्सा लिया.
यह पहला मौका था जब 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा और नागासाकी में दूसरे विश्व युद्ध की बरसी के मौके पर परमाणु विरोधी संगठनों ने फुकुशिमा में किसी रैली का आयोजन किया. नागासाकी के परमाणु हमलों से जीवित बचे कोइची कानावू ने रैली में कहा, "परमाणु हथियारों के खात्मे पर तो हम बहुत जोर देते हैं लेकिन परमाणु बिजली प्लांटों पर कोई जोर नहीं देता. आइए, क्यों न हम अब और परमाणु हादसे न होने दें. समय आ गया है जब परमाणु बिजली का विकल्प तलाशना होगा."
परमाणु कहर
यह संगठन हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी की 66 वीं वर्षगांठ पर भी इसी तरह की विरोध रैली निकाल रहा है. हिरोशिमा दुनिया का पहला ऐसा शहर बना जहां अमेरिका ने 1945 में यूरेनियम बम गिराए. इसके तीन दिन बाद 9 अगस्त को नागासाकी पर परमाणु बम कहर बन कर टूटा. इस बमबारी के पहले दो से चार महीनों के भीतर हिरोशिमा में 90 हजार से 1 लाख 60 हजार और नागासाकी में 60 हजार से 80 लोग मारे गए. इनमें से आधी मौतें हमले के पहले ही दिन हो गईं.
शहर के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि विस्फोट के पहले जिन लोगों की मौत हुई उनमें 60 प्रतिशत जलने से, 30 प्रतिशत मलबे तले दबने से और 10 प्रतिशत दूसरी वजहों से मारे गए. इसके बाद आने वाले महीनों में बड़ी संख्या में लोग जलन, रेडियोधर्मी बीमारी और अन्य चोटों की वजह से मारे गए. दोनों शहरों में मरने वाले ज्यादातर आम लोग थे.
कब होगा अमन
जापान में 6 अगस्त को शांति दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इस उम्मीद में यह आयोजन होता है कि दुनिया में अब कभी इन हथियारों का इस्तेमाल नहीं होगा. दुनिया भर में परमाणु हथियारों के प्रसार की चिंताओं के बीच अमेरिका और रूस जैसे अपने इन हथियारों में कटौती के लिए काम कर रहे हैं. दोनों के बीच हुई स्टार्ट संधि के तहत परमाणु हथियारों में कमी की जानी है.
इस संधि के बाद भी दोनों देशों के पास तीन हजार के आसपास परमाणु हथियार बच जाएंगे. दूसरी तरह ऐसे देशों की संख्या बढ़ती जा रही है जो चोरी छिपे परमाणु हथियार बनाने की तरफ बढ़ रहे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ए जमाल