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ईमानदार जजों की जरूरत हैः चीफ जस्टिस

१७ अप्रैल २०११

भ्रष्टाचार के आरोपों में न्यायपालिका का नाम आने पर भारत के मुख्य न्यायधीश एसएच कपाड़िया बेहद चिंतित हैं. उन्होंने जजों को ईमानदार रहने की नसीहत दी और राजनेताओं से कहा कि भ्रष्ट जजों को संरक्षण न दिया जाए.

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तस्वीर: Wikipedia/LegalEagle

कपाड़िया ने जजों से कहा कि वे राजनीति के चक्कर में न पड़ें. उनके मुताबिक, "हमें मिसालों के साथ जीना है, काले चोगे में ईमानदार लोगों की जरूरत है ताकि वे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सत्यनिष्ठता को बरकरार रख सकें." चीफ जस्टिस ने कहा कि जजों को आत्मसंयमी होना चाहिए और वकीलों, राजनीतिक पार्टियों, उनके नेताओं या मंत्रियों के संपर्क में रहने से बचना चाहिए. साथ ही ऊंची अदालतों के जजों को निचली अदालतों के प्रशासनिक काम में दखल नहीं देना चाहिए.

पांचवें एमसी शीतलवाड़ स्मृति व्याख्यान में अपने भाषण में कपाड़िया ने कहा कि भ्रष्ट जजों को राजनीतिक संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए. वह कहते हैं, "एक जज को एक तरह से समाज से अलग थलग रहना चाहिए. उसे वकीलों, राजनीतिक पार्टियों, उनके नेताओं, मंत्रियों के संपर्क में तब तक नहीं रहना चाहिए जब तक अवसर पूरी तरह से सामाजिक न हो."

हाल में पीडी दिनाकरण और सौमित्र सेन जैसे जजों के नाम भ्रष्टाचार के आरोपों में आए. दोनों के खिलाफ संसद में महाभियोग की कार्यवाही चल रही है. कार्यक्रम में मौजूद अन्य वक्ताओं ने इन दोनों जजों के नामों का उल्लेख किया. वरिष्ठ वकील अनिल दीवान और पीपी राव ने जजों के भ्रष्टाचार में शामिल होने पर गंभीर चिंता जताई.

चीफ जस्टिस ने अपना भाषण इस तरह शुरू किया, "मैं बहुत ही आशावादी हूं और देख सकता हूं कि जहां तक सुप्रीम कोर्ट की अखंडता और विश्वसनीयता का सवाल है तो भविष्य में चीजें सुधरेंगी." उन्होंने कहा कि जज को किसी तरह का संरक्षण नहीं लेना चाहिए और न्यायपालिका के नियमों पर टिके रहना चाहिए. चीफ जस्टिस ने कहा कि अदालती फैसलों की निष्पक्ष रूप से आलोचना होनी चाहिए जबकि गैर जिम्मेदाराना और अवैध आलोचना से बचा जाना चाहिए.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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