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बांग्लादेश में टोपी बुर्का जरूरी नहीं

२३ अगस्त २०१०

बांग्लादेश में स्कूल कॉलेजों और दफ्तरों में बुर्का, टोपी या दूसरे मजहबी प्रतीक वाले लिबास पहनने जरूरी नहीं होंगे. इससे पहले रिपोर्टें थीं कि एक कॉलेज के प्रिंसिपल ने छात्राओं पर बुर्का पहनने का दबाव बनाया था.

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तस्वीर: Mustafiz Mamun

बांग्लादेश हाई कोर्ट का फैसला मीडिया में ऐसी खबरें छपने के बाद ही आया है. बैरिस्टर महबूब शरीफ ने बताया, "हाई कोर्ट के जजों ने जो फैसला दिया है, उसके मुताबिक बुर्का, हिजाब, टोपी या दूसरे मजहबी लिबास पहनना या नहीं पहनना व्यक्तिगत फैसला होगा और इसके लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता."

उन्होंने कहा, "हमने देखा है कि कुछ स्कूल वाले पांच पांच साल के छोटे बच्चों को भी टोपी या हिजाब पहनने के लिए मजबूर करते हैं. लेकिन हाई कोर्ट के फैसले के बाद कोई भी स्कूल बच्चों को टोपी बुर्का पहनने पर दबाव नहीं डाल पाएगा."

इससे पहले अप्रैल में हाई कोर्ट ने फैसला दिया था कि शैक्षणिक संस्थान छात्राओं पर बुर्का, हिजाब या स्कार्फ पहनने के लिए दबाव न बनाएं.

इससे पहले एक महिला प्रिसिंपल ने शिकायत दर्ज कराई थी कि बुर्का नहीं पहनने पर सरकारी अधिकारियों ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया. बांग्लादेश में हाल के दिनों में शैक्षणिक संस्थानों में यौन उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं. इसके बाद ऐसी जगहों पर सादी वर्दी में पुलिसवालों को तैनात किया गया है.

दुनिया के कई देशों में बुर्के को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. फ्रांस बुर्के पर बैन लगाने जा रहा है, जबकि बेल्जियम और स्पेन में भी इस तरह की कोशिशें हो रही हैं.

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः वी कुमार

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