पाकिस्तान और चीन में फसल की बर्बादी का असर
६ सितम्बर २०२२पाकिस्तान दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धान निर्यातक देश है लेकिन देश में बाढ़ के अभूतपूर्व असर से लाखों एकड़ खेत डूब गए और धान और अन्य फसलें बर्बाद हो गईं. दूसरी तरफ अगस्त के अंत में चीन में भीषण गर्मी की वजह से वहां भी धान की फसल बर्बाद हो गई.
हालांकि जानकारों का कहना है कि इसके बावजूद वैश्विक बाजार में धान का काफी भंडार है. दुनिया की सबसे बड़ी धान निर्यातक कंपनियों में से एक के सिंगापुर स्थित व्यापारी ने बताया कि इसके अलावा भारत में भी अच्छी फसल होने की संभावना है.
इस वजह से आपूर्ति को लेकर जन्मी चिंताओं के शांत होने की और बांग्लादेश से बढ़ी मांग की वजह से दामों में संभावित बढ़त भी सीमित हो सकती है. व्यापारियों का कहना है कि पाकिस्तान में उसके अनुमानित 87 लाख टन चावल के उत्पादन में से करीब 10 प्रतिशत के नष्ट होने जाने का पूर्वानुमान है. चीन के नुकसान की तस्वीर अभी साफ नहीं हुई है.
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राहत का एक कारण
पाकिस्तान में बाजारों में खाद्यान के दाम काफी बढ़ गए हैं और इसे इस बात का शुरूआती संकेत माना जा रहा है कि कैसे वित्तीय संकट के समय बाढ़ की वजह से खाद्यान की कमी हो गई है.
अंतरराष्ट्रीय अनाज परिषद के एक बाजार समीक्षक पीटर क्लब कहते हैं, "पिछले मौसमों में पाकिस्तान में चावल की पैदावार बहुत अच्छी रही है. वैसे तो कभी भी उत्पादन में बड़ी कमी बुरी ही होती है, लेकिन पिछले मौसमों में उत्पादन के सुधार की वजह से थोड़ी सी राहत मिल सकती है."
चीन के बारे में क्लब ने कहा, "वहां पैदावार कितनी खराब होगी अभी यह कहना काफी जल्दबाजी होगी...लेकिन वहां अभी भी काफी भंडार है." चीन के कृषि मंत्री तांग रेनजियां ने चिंता जताई कि ऊंचे तापमान और बाढ़ की वजह से पूर्वी प्रांतों जिआंगसु और अन्हुई में चावल की पैदावार पर असर पड़ा है.
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व्यापारियों ने बताया कि धान उगाने वाले भारत के उत्तरी और पूर्वी इलाकों में मानसून की बारिश के आने में देर हुई थी लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में स्थिति में सुधार हुआ है. उन्होंने बताया कि इससे वहां से आने वाली फसल को लेकर संभावनाएं बढ़ गई हैं.
मानसून ने भारत से पैदावार की संभावना बढ़ाई
भारत कुछ समय पहले चारे के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले 100 प्रतिशत टूटे चावल के निर्यात पर सीमा लगाने की जरूरत का मूल्यांकन कर रहा था. लेकिन सिंगापुर में एक व्यापारी ने बताया कि बारिश में सुधार की वजह से किसी भी तरह के सरकारी प्रतिबंध पर चर्चा खत्म हो गई है.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन का वैश्विक मूल्य सूचकांक अगस्त में लगातार पांचवें महीने गिरा. यूक्रेन के बंदरगाहों से भी खाद्यान्न का निर्यात फिर से शुरू हो चुका है और इसकी वजह से भी आपूर्ति की संभावनाओं में सुधार हुआ है.
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लेकिन बांग्लादेश में मांग के बढ़े होने से हाल के हफ्तों में चावल के दाम थोड़े बढ़े हैं. बांग्लादेश अगले कुछ महीनों में करीब 12 लाख टन चावल आयात करना चाहता है जिससे देश के भंडार भरे जा सकें और देश के अंदर बढ़े हुए दामों को भी नीचे लाया जा सके.
देश के खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार भारत, वियतनाम और म्यांमार की सरकारों से सीधे 5,30,000 टन चावल खरीद रही है. भारतीय चावल के दाम पिछले सप्ताह एक साल में सबसे ऊंचे स्तर पर 383 डॉलर प्रति टन के करीब पहुंच गए थे. हालांकि यह दर 2021 के 405 डॉलर और 2020 के 427.50 डॉलर से काफी नीचे है.
सीके/एए (रॉयटर्स)