1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

चीन ने इलेक्ट्रिक कारों के बाजार में जर्मनी को पीछे छोड़ा

११ अगस्त २०२३

ऊंची कीमतें, घटती मांग, कड़ी प्रतिस्पर्धा- ऐसी तमाम वजहों से जर्मन कार उद्योग दबाव में है. इन कारों का आकर्षक चीनी बाजार, खासतौर पर, मुश्किल साबित हो रहा है क्योंकि चीनी उपभोक्ता देसी ब्रांडों को पसंद करने लगे हैं.

https://p.dw.com/p/4V1l2
शंघाई ऑटो शो में पेश की गई एक इलेक्ट्रिक कार
इलेक्ट्रिक कारों के मामले में चीन तेजी से आगे बढ़ रहा हैतस्वीर: Ng Han Guan/AP/dpa/picture alliance

कारों की कम होती बुकिंग और बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच उपभोक्ताओं की खरीदने की क्षमता में आती गिरावट से जर्मन अर्थव्यवस्था में संकट का अहसास फैलने लगा है.

देश के कार निर्माता भी मार झेल रहे हैं. एक दौर की ताकतवर इंडस्ट्री में बढ़ती संरचनात्मक समस्याओं की वजह से मुश्किलें विकराल दिख रही हैं. इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और स्वचालित ड्राइविंग की ओर संक्रमण से कारों के दाम बढ़ गए हैं, ईंधन से चलने वाले वाहनों की बिक्री से जुटाए जा रहे अधिकांश जरूरी फंड लगातार ना सिर्फ अनिश्चित बने हुए हैं बल्कि राजनीतिक तौर पर भी अवांछनीय हो चुके हैं.

फॉक्सवागेन, मर्सिडीज बेंज और बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनियों के 2023 के पहले आधे हिस्से के आंकड़े संतोषजनक थे. सभी का राजस्व बढ़ा हुआ था और मुनाफा भी ऊंचा था. हालांकि बाकी साल के लिए उनकी स्थिति ने निवेशकों और शेयरधारकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. मुद्रास्फीति और बढ़ती ब्याज दर से और नुकसान हो रहा रहा है, नई गाड़ियों की मांग भी गिरने लगी है.

यूरोप में पहली बार डीजल कारों से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें बिकीं

जर्मन एसोसिएशन ऑफ द ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के अध्यक्ष हिल्डेगार्ड म्युलर ने चेताया है, "उत्पादन में भले ही हम बढ़त देखते हैं, लेकिन ये हालात सामान्य होने का संकेत नहीं है." जर्मनी में ऑर्डर घट रहे हैं, खासकर बैटरी चालित वाहनों नहीं बिक रहे हैं, पिछले साल के मुकाबले मांग 60 फीसदी ही रह गई.

चीन के जियुजियांग में कार कंपनी में काम करता एक कर्मचारी
चीन कारों का एक बड़ा बाजार है और वहां अब स्थानीय कंपनियों की कारें बड़ा कारोबार कर रही हैंतस्वीर: Hu Guolin/ChinaFotoPress/picture alliance

चीन का बढ़ता बाजार

दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण कार बाजार चीन, इस बीच इलेक्ट्रिक कारों के सेक्टर में तेजी से वृद्धि कर रहा है. नये रजिस्ट्रेशन में ही नहीं बल्कि उत्पादन में भी उसने बाजी मार ली है. फिलहाल दुनिया भर में हर दूसरा इलेक्ट्रिक वाहन चीन में दौड़ रहा है.

चीनी निर्माता तेज गति से प्रौद्योगिकी में तरक्की कर रहे हैं और उद्योग की सरताज कंपनी टेस्ला के करीब पहुंचने को तत्पर हैं. मध्यवर्ग और उच्च वर्ग वाले चीनी कार खरीदारों के बीच घरेलू ब्रांडों का रुझान बढ़ता जा रही है. चाइना पैसेंजर कार एसोसिएशन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक चीन की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी बीवाईडी ने इस साल के पहले आधे हिस्से में टेस्ला से ज्यादा विशुद्ध इलेक्ट्रिक कारें बेच डालीं.

खनिज भंडार बनाएगा यूरोप का ई-कार उत्पादन का बड़ा खिलाड़ी

फॉक्सवागेन चीन के बोर्ड मेंबर राल्फ ब्रांडस्टेटर ने हाल में पत्रकारों से कहा था कि "इस बाजार में खलल पड़ने लगा है." पत्रकारों के बीच ब्रांडस्टेटर यह स्वीकार करने को विवश हो गए कि चीन मे फॉक्सवागेन को पहली तिमाही में बीवाईडी ने पटखनी दी थी. बीवाईडी ने फॉक्सवागेन के मुकाबले करीब 20 गुना ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें, ग्राहकों को डिलीवर की थीं.

चीन की बढ़ती ताकत की लहर को थामने के लिए, फॉक्सवागेन ने इलेक्ट्रोमोबिलिटी, सॉफ्टवेयर और स्वचालित ड्राइविंग के क्षेत्रों में चीनी कार निर्माता कंपनी शीपेंग के साथ साझेदारी का ऐलान किया है. चीनी स्टार्टअप कंपनी के साथ साझेदारी में फॉक्सवागेन ने 70 करोड़ डॉलर लगाए हैं. 2026 तक उसका लक्ष्य बाजार में फॉक्सवागेन के दो इलेक्ट्रिक मॉडल उतारने का है.

बीवाइडी के असेंबली प्लांट में काम करते कर्मचारी
चीन की कारें चीन के लोगों को जर्मन कारों से ज्यादा पसंद आ रही हैं खासतौर से इलेक्ट्रिक कारेंतस्वीर: Liu Xiao/Xinhua/picture alliance

लग्जरी सेगमेंट में सेंध लगाता मास मार्केट

फॉक्सवागेन के हाई-एंड ब्रांड पोर्श और ऑडी भी बढ़ते बाजार दबाव को महसूस कर रहे हैं. यही हाल जर्मनी के दो अन्य लग्जरी कार निर्माता कंपनियों मर्सिडीज बेंज और बीएमडब्लू का है. हाल की एक मार्केट स्टडी में ऑटो इंडस्ट्री की कंसल्टिंग कंपनी बेरिल्स ने दावा किया था कि प्रीमियम सेगमेंट में दुनिया "चीन में बड़ा परिवर्तन देख रही है." अध्ययन के मुताबिक, जर्मनी के पारंपरिक लग्जरी कार निर्माताओं के साथ प्रतिस्पर्धा में चीनी कंपनियां "फास्ट लेन पर ओवरटेक कर रही हैं."

दशकों से जर्मन कार निर्माता ट्रिकल डाउन रणनीति का इस्तेमाल कर चीनी बाजार में पकड़ बनाए रहे. वे ऐसी प्रौद्योगिकी लेकर आए जो उन्होंने उपभोक्ताओं के लिए फालतू विकल्पों के तौर पर विकसित की थी और उसे प्रीमियम कीमत पर बेचना जारी रखा. उनके प्रतिस्पर्धियों ने ये सिलसिला तोड़ा.

इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी के लिए कहां से आए कच्चा माल

बेरिल्स चाइना के प्रबंध निदेशक विली वांग ने लिखा, "मौजूदा समय के चीनी कार खरीदारों की उम्मीदों के लिहाज से ये उत्पाद रणनीति कितनी बासी है, जर्मन ओईएम (मौलिक उपकरण निर्माता) अब इसका पहला स्वाद चख रहे हैं- भविष्य के लिए इसके नतीजे खतरनाक होंगे." वांग के मुताबिक, "चीन उपभोक्ता नई खोजों के लिहाज से अग्रिम मोर्चा संभाल चुका है इसलिए चीनी ग्राहकों के पास ना तो नीचे सरक कर आने वाली प्रौद्योगिकियों को अपनाने का सब्र है और ना ही लेटेस्ट फीचरों के लिए फालतू पैसा देने की इच्छा."

फॉक्सवागेन चीन के प्रमुख राल्फ ब्रांडस्टेटर
चीन में घटते कारोबार ने जर्मन कार कंपनियों की चिंता बढ़ाई हैतस्वीर: Sina Schuldt/dpa/picture alliance

अतीत में, जर्मनी की लग्जरी गाड़ियां चीन के उभरते मध्य और उच्च वर्ग के लिए आदर्श स्टेटस सिंबल मानी जाती थीं. घरेलू ब्रांडों की कोई इज्जत नहीं थी. उन्हे तकनीकी रूप से पिछड़ा और कमतर क्वालिटी का माना जाता था.

डिजिटल खूबियों ने बनाया तुरुप का पत्ता

अब चीन में ही बनी गाड़ियां तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं, खासकर एडवान्स्ड असिस्टेंस और इंफोटेनमेंट सिस्टम जैसी डिजिटल खूबियों की वजह से. चीन की व्यस्त, भीड़ भरी सड़कों में ट्रैफिक के हालात को देखते हुए इसमें कोई हैरानी भी नहीं. अध्ययन के मुताबिक कंफर्ट और क्वालिटी में ग्राहक उन कारों को प्रतिष्ठित और नामीगिरामी कंपनियों की कारों जैसा ही और कई बार तो उनसे बेहतर ही मानते हैं.

मेरिक्स संस्थान में चीनी विशेषज्ञ ग्रेगोर सेबास्टियान कहते हैं, "जर्मन कार उद्योग चीन के कार सेक्टर में वैसा प्रभुत्व तो नहीं रख पाएगा जैसा कि उसका 20 साल पहले था." उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि पारंपरिक खूबियों की जगह प्रौद्योगिकी, चीनी ग्राहकों में कार खरीदने की वजह बन गई है.

टॉप 10 से जर्मन कारों का पत्ता साफ

इस लिहाज से कोई हैरानी नहीं है कि चीन में 80 फीसदी इलेक्ट्रिक गाड़ियां, घरेलू स्तर पर बन रही हैं. टॉप टेन विक्रेताओं में सिर्फ टेस्ला का नाम है. जर्मन ब्रांड इस सूची से गायब हैं. समूचे चीनी कार बाजार को देखें तो चीनी ब्रांड इस साल बिक्री में पहली बार विदेशी ब्रांडो को पीछे छोड़ देंगे.

निर्यात के लिए तैयार फॉक्सवागेन की कारें
घरेलू बाजार के साथ ही चीन इलेक्ट्रिक कारों के निर्यात में भी तेजी से कदम बढ़ा रहा हैतस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Sarbach

इनमें जीवाश्म ईंधन से चलने वाली गाड़ियां भी शामिल हैं, उनका मार्केट शेयर 51 फीसदी हो जाएगा. अलिक्स पार्टनर्स नाम के एक मैनेजमेंट कंसल्टेंट कंपनी ने 2023 की अपनी ग्लोबल ऑटोमेटिव आउटलुक रिपोर्ट में ये शेयर 2030 तक बढ़कर 65 फीसदी हो जाने का अनुमान लगाया है.

निर्यात का चैंपियन बना चीन

यूरोप के बारे में रिपोर्ट का अंदाजा है कि कार की बिक्री महामारी के पहले के स्तरों से करीब 15 फीसदी कम रहेगी. यूरोपीय निर्माताओं को चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं से उनके घरेलू बाजारों में भी और चपत लगेगी. हैरानी नहीं कि 2023 की पहली तिमाही मे चीन, जापान को पछाड़कर दुनिया में ऑटोमोटिव निर्यात का चैंपियन बन गया है. 2020 में वह छठें नंबर पर था. सेल्स मार्केट के रूप मे चीन आगे बढ़ रहा है, निर्यातक के रूप में भी और उत्पादन के ठिकाने के रूप में भी.

अलिक्स पार्टनर्स के कार विशेषज्ञ फाबियान पियोनटेक ने डीडब्ल्यू को बताया, "चीन कार की दुनिया में महाशक्ति बनने की राह पर है." यूरोपीय कार निर्माता अपना घरेलू बाजार ही बचाने में लगे हैं. "जर्मन कार कंपनियों के लिए रिकॉर्ड मुनाफों का दौर अब खत्म हो रहा है."