शरणार्थियों को लेकर कड़ी योजना बनाता जर्मनी
१९ मार्च २०२४ब्यूरोक्रेसी अक्सर धीमी रफ्तार से काम करती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नही है. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और उनके राज्य-स्तरीय राजनेता बीते नवंबर में ही शरणार्थियों के लिए डेबिट कार्ड लाने की योजना पर सहमत हुए थे. कुछ महीनों के भीतर ही नगरपालिकाएं इस योजना को लागू भी करने लगी हैं.
पूर्वी जर्मन राज्य, थुरिंजिया, शरणार्थी आवेदकों के लिए नकद लाभों को बैन करने में सबसे आगे है. यहां भुगतान कार्ड का उपयोग केवल स्थानीय खरीदारी के लिए किया जा सकता है. इससे नकदी निकालना या घरेलू-अंतरराष्ट्रीय बैंक ट्रांसफर करना संभव नहीं है. कई शहर और नगरपालिकाएं भुगतान कार्ड को संचालन में ला चुकी हैं. अधिकारियों का मानना है कि 2024 के अंत तक यह योजना पूरे देश में लागू हो जाएगी.
इसके अलावा, स्थानीय नगरपालिकाएं अब सामूहिक आवास में रह रहे शरणार्थी आवेदकों के लिए कार्य योजना लागू करना चाहती हैं, जिनके पास सामान्य नौकरी करने की अनुमति नहीं है. सामान्य तौर पर नौकरी करने की अनुमति शरण आवेदन सफल होने के छह महीने बाद दी जाती है.
इस योजना के तहत उन्हें प्रतिदिन चार घंटे जनसेवा करनी होगी, जिसके लिए उन्हें 80 सेंट प्रति घंटा दिया जाएगा. इसका उद्देश्य है कि वह क्षेत्र को साफ रखें. ऐसा न करने पर उनके कार्ड से प्रति माह 180 यूरो तक काटे जा सकते है.
यह प्रस्ताव शरणार्थी आवेदन के लिए मौजूदा कानून और रोजगार प्रतिबंधों के अनुरूप है. इस प्रस्ताव के बारे में क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स यूनियन (सीडीयू) के स्थानीय प्रशासक क्रिस्टियान हेरगॉट ने जर्मन समाचार पत्र, डी वेल्ट को बताया कि यह योजना शरण चाहने वाले उन लोगों के लिए एक "दैनिक संरचना" प्रदान करेगी, जिनके पास दिन में करने के लिए कुछ खास काम नहीं होता है. उन्होंने कहा कि इससे शरणार्थी आवेदकों के प्रति समाज की धारणाओं में भी बदलाव आएगा.
शरणार्थी आवेदन संख्या सीमित करेंगे
इस प्रस्तावों को भारी समर्थन मिल रहा है. पोलेस्टर इनसा ने जर्मन अखबार, बिल्ड के लिए सर्वे किया था, जिसमें ऐसी कार्य योजना को 82% समर्थन मिला था और भुगतान कार्ड को भी 77% समर्थन प्राप्त हुआ.
यह धुर-दक्षिणपंथी और आप्रवासी-विरोधी पार्टी, ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के लिए सशक्त समर्थन के रूप में सामने आ रहा है. यह पार्टी थुरिंजिया के सर्वेक्षणों में शीर्ष पर बनी हुई है. प्रांत में इस वर्ष के अंत में चुनाव होने वाले है. मध्यमार्गी दक्षिणपंथी पार्टी सीडीयू को उम्मीद है आप्रवासन से जुड़े कड़े प्रस्तावों से वह मतदाताओं को अपनी तरफ वापस खींच सकती है.
पूर्वी राज्य, सैक्सनी में भी आप्रवासन को सीमित करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इस राज्य में भी शरद ऋतु में चुनाव होने वाले है. इसके अध्यक्ष, सीडीयू के मिषाएल क्रेट्षमर, शरणार्थी आवेदनों की वार्षिक सीमा 60,000 पर प्रतिबंधित करना चाहते हैं. फिलहाल उनकी पार्टी ने 2,00,000 आवेदनों की वार्षिक सीमा प्रस्तावित किया है.
जर्मनी, यूरोपीय संघ में आप्रवासी शरणार्थियों के लिए पसंदीदा ठिकाना बना हुआ है. यूरोपीय संघ शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, पिछले वर्ष यूरोपीय संघ के सभी शरणार्थी आवेदनों के लगभग एक-तिहाई, यानी 3,30,000 से भी अधिक आवेदन जर्मनी में दाखिल किए गए थे.
सख्त सीमा सुरक्षा और यूरोपीय संघ की नई नीतियां भी शरणार्थी प्रवाह को रोकने में असफल नजर आ रहे हैं. जर्मनी में स्थानीय प्रशासन को आने वाले लोगों की देखभाल को लेकर नाराजगी भुगतनी पड़ रही है. अधिकारियों का कहना है कि उनके पास संसाधनों की कमी है, खासकर जब बात आवास और बच्चों की देखभाल की आती है.
शरणार्थियों के लिए काम करना आसान बनाएगा जर्मनी
इस विषय को लेकर जनता के बीच गहरी चिंता है. बेर्टेल्समन फाउंडेशन के एक अध्ययन में पता चला है कि आप्रवासियो को लेकर संदेह और इसके नकारात्मक परिणामों के प्रति लोगों की चिंता में काफी वृद्धि हुई है.
शरणार्थी संख्या को घटाने के लिए अन्य कदम
चांसलर शॉल्त्स, शरणार्थी संख्या को कम करने की आवश्यकता से सहमत है, जबकि जर्मनी में शरण पाना एक संवैधानिक अधिकार है. साल के आखिर में होने वाले प्रांतीय चुनावों और जून में होने वाले यूरोपीय चुनावों से पहले धुर-दक्षिणपंथ की मजबूती को देखकर यह साफ है कि आप्रवासन और शरण से जुड़े मुद्दे इन चुनाव में खास भूमिका निभाएंगे.
जर्मनी के 16 राज्यों ने इस बोझ को कम करने के लिए सरकार से नए प्रस्ताव लाने का अनुरोध किया है. आप्रवासन और सीमा से जुड़े मुद्दों को देखने वाला मंत्रालय, शरणार्थी आवेदनों की प्रक्रिया को यूरोपीय संघ के बाहर प्रोसेस करने की संभावना पर विचार कर रहा है.
जून तक मंत्रालय अपने नतीजे पेश करेगा, उस दौरान चांसलर अपने राज्य-स्तरीय राजनेताओं से मिलेंगे.