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पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर आरबीआई ने क्यों की कार्रवाई

आमिर अंसारी
२ फ़रवरी २०२४

आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर कार्रवाई करते हुए मार्च से दी जाने वाली सेवाओं पर रोक लगा दी है. आरबीआई की कार्रवाई के कारण कंपनी के शेयर का बुरा हाल है. जानिए आरबीआई ने क्यों की कार्रवाई.

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पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर आरबीआई की सख्ती के बाद ग्राहक और दुकानदार परेशान
पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर आरबीआई की सख्ती के बाद ग्राहक और दुकानदार परेशानतस्वीर: Indranil Aditya/NurPhoto/picture alliance

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए ग्राहक खाते, वॉलेट और फास्टैग आदि में जमा या टॉप-अप स्वीकार करने से रोक दिया है. आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को 29 फरवरी से किसी भी तरह का जमा स्वीकार करने और लेनदेन पर रोक लगा दी है. आरबीआई ने यह कार्रवाई बैंक द्वारा लगातार नियमों की अनदेखी के चलते की है.

इस आदेश के बाद अब पेटीएम पेमेंट्स बैंक में ट्रांजेक्शन नहीं होगा. बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के तहत आरबीआई ने ये कार्रवाई की है. पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर हुई कार्रवाई का सीधा असर पेटीएम के शेयरों में दिखने को मिल रहा है. 1 फरवरी को पेटीएम का शेयर 20 फीसदी टूट गया था और गुरुवार को शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर 20 फीसदी की गिरावट के साथ 608.80 रुपये पर बंद हुए जबकि नेशनल स्टॉक एक्स्चेंज पर यह 19.99 प्रतिशत गिरकर 609 रुपये पर बंद हुए.

पेटीएम के शेयरों में गिरावट का सिलसिला सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन में भी देखने को मिला. शुक्रवार को पेटीएम का शेयर 20 फीसदी टूटकर लोअर सर्किट को छू गया था. लोअर सर्किट का मतलब है कि इसके शेयरों का मार्केट में कोई खरीदार ही नहीं है. बीते दो दिनों में कंपनी का शेयर 40 फीसदी टूट चुका है.

पेटीएम पेमेंट्स बैंक क्या है

पेटीएम पेमेंट्स बैंक एक विशेष बैंकिंग इकाई है, जिसने 2015 में अपना लाइसेंस प्राप्त किया था, जिस वर्ष भारत में भुगतान बैंक पेश किए गए थे और नवंबर 2017 में उसने अपना ऑपरेशंस शुरू किया. भुगतान बैंक दो लाख रुपये तक की छोटी जमा स्वीकार कर सकता है लेकिन उसे उधार देने की अनुमति नहीं है. इस बैंक में हुए डिपॉजिट को सरकारी बॉन्ड्स में या अन्य बैंकों में रखा जाना चाहिए.

पेटीएम पेमेंट्स बैंक का 49 प्रतिशत स्वामित्व पेटीएम के पास है, जिसे वन 97 कम्युनिकेशंस के नाम से भी जाना जाता है. बाकी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी पेटीएम के मुख्य कार्यकारी और संस्थापक विजय शेखर शर्मा के पास है.

पेटीएम पेमेंट्स बैंक पेटीएम के लिए एक प्रमुख बैंकिंग भागीदार के रूप में काम करता है. उदाहरण के लिए पेटीएम के लोकप्रिय डिजिटल वॉलेट में जमा धनराशि पेटीएम पेमेंट्स बैंक के पास रखी जाती है.

मैक्वेरी कैपिटल के मुताबिक बैंक में 33 करोड़ वॉलेट खाते हैं, जिसका मतलब है कि उनमें रखा गया पैसा भुगतान बैंक में जमा किया जाता है. डिजिटल वॉलेट जो ग्राहकों को छोटे खुदरा भुगतान के लिए पैसे जमा करने की सुविधा देते हैं, भारत में रोजमर्रा के भुगतान के लिए लोकप्रिय हैं.

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आरबीआई ने कार्रवाई क्यों की

आरबीआई ने बुधवार को कहा कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक 29 फरवरी के बाद जमा नहीं ले सकता है, क्रेडिट सेवाएं नहीं दे सकता या फंड ट्रांसफर की सुविधा नहीं दे सकता. हालांकि पेमेंट्स बैंक सीधे उधार नहीं देता है. यह तीसरे पक्ष की संस्थाओं से क्रेडिट उत्पाद पेश करता है.

केंद्रीय बैंक का कहना है कि उसने यह कार्रवाई पेटीएम पेमेंट्स बैंक द्वारा लगातार नियमों का अनुपालन में चूक करने और पर्यवेक्षण से जुड़ी चिंता को देखते हुए की है. आरबीआई ने यह रोक केवल पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर ही लगाई है. इसी तरह की चिंताओं के कारण मार्च 2022 में पेटीएम पेमेंट्स बैंक को ग्राहक जोड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन उसने मौजूदा ग्राहकों के साथ व्यापार करना जारी रखा.

पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा
पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मातस्वीर: Tomohiro Ohsumi/Getty Images

पेटीएम ने क्या कहा

पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा ने आरबीआई की कार्रवाई के बाद कहा है कि कंपनी अपने सहयोगी बैंक-पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर निर्भरता कम करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. शर्मा ने कहा कि वह अन्य बैंकों के साथ साझेदारी लाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि पेटीएम करीब दो साल पहले से ही अन्य बैंकों के साथ साझेदारी की दिशा में प्रयास शुरू कर चुकी है.

हालांकि, जिन यूजर्स के वॉलेट में बैलेंस मौजूद है, वो मुफ्त में अपना पैसा बैंक अकाउंट में ट्रांफसर कर सकते हैं. इसके अलावा यूजर्स इन पैसों का इस्तेमाल बिजली, फोन और दूसरे बिलों के भुगतान में इस्तेमाल कर सकते हैं.

पेटीएम के शेयर आईपीओ निवेशकों को 2,150 रुपये के भाव पर जारी हुए थे लेकिन लिस्टिंग के बाद से इस भाव तक ही यह कभी पहुंच ही नहीं पाया मतलब आईपीओ के निवेशक कभी मुनाफे में नहीं आ पाए. पेटीएम का प्लेटफॉर्म 2010 में लॉन्च किया गया था और पारंपरिक रूप से नकद लेनदेन के प्रभुत्व वाले देश में जल्द ही यह डिजिटल भुगतान का पर्याय बन गया.