जर्मनी: जोलिंगन हमले के बाद तेज हुई इमिग्रेशन विरोधी बहस
२६ अगस्त २०२४जर्मनी के जोलिंगन शहर में 23 अगस्त को एक उत्सव के दौरान चाकू से हुए हमले में तीन लोगों की मौत हो गई और आठ लोग घायल हो गए. 'फेस्टिवल ऑफ डायवर्सिटी' नाम का यह उत्सव जोलिंगन की 650वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा था.
संदिग्ध हमलावर खुद ही पुलिस के पास पहुंचा और हमले की जिम्मेदारी कबूल की. जर्मन पत्रिका श्पीगल के मुताबिक, संदिग्ध 26 साल का सीरियाई युवक है. वह 2022 में जर्मनी आया और असाइलम के लिए आवेदन दिया.
आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने भी इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया कि यह "फलस्तीन और अन्य जगहों के मुसलमानों के लिए बदला है." आईएस की अमाक न्यूज एजेंसी ने टेलिग्राम मेसेजिंग ऐप पर जारी अपने बयान में दावा किया कि जोलिंगन में हुई घटना में शामिल हमलावर "इस्लामिक स्टेट का एक सैनिक था."
सीरिया और अफगानी शरणार्थियों पर सख्ती की मांग
इस घटना ने जर्मनी में इमिग्रेशन पर चली आ रही बहस को और तेज कर दिया है. विपक्षी दल क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) ने सीरिया और अफगानिस्तान से आने वाले शरणार्थियों को प्रवेश देने पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है.
सीडीयू के नेता फ्रीडरिष मेर्त्स ने चांसलर शॉल्त्स से अपील की कि वह जर्मनी में आतंकी हमलों को रोकने के लिए तेजी से और ठोस कदम उठाएं. अपने न्यूजलेटर में मेर्त्स ने लिखा, "समस्या चाकू नहीं, बल्कि वे लोग हैं जो उन्हें लेकर चल रहे हैं. ऐसे ज्यादातर मामलों में ये लोग रिफ्यूजी हैं. ज्यादातर अपराधों के पीछे इस्लामिक मकसद हैं."
जोलिंगन में हुए हमले के बाद एएफडी ने भी पिछली सरकारों पर आरोप लगाया कि उन्होंने बहुत सारे प्रवासियों को आने दिया और अराजकता की स्थिति पैदा की.
बढ़ते अपराध के बीच उठते सवाल
पिछले साल एआरडी के एक सर्वेक्षण में 64 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें माइग्रेशन, समाज के लिए अपेक्षाकृत नुकसानदेह लगता है. बीते दिनों कई हिंसक हमले हुए, जिनसे जर्मनी में प्रवासियों और कट्टर इस्लाम को लेकर बहस ने जोर पकड़ा. हालिया समय में जर्मनी में चाकू से होने वाले हमलों में भी तेजी आई है. इसके मद्देनजर हथियारों से जुड़े कड़े कानून लाने और माइग्रेशन पॉलिसी सख्त करने की मांग जोर पकड़ रही है.
नेताओं पर हमले से तिलमिलाया जर्मनी
यूरोपीय संसद के चुनाव से पहले मई में जर्मनी के मानहाइम शहर में एक रैली के दौरान चाकू से हुए हमले में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई. हमलावर 25 साल का एक अफगान युवक था. इसके बाद सत्तारूढ़ एसपीडी के सदस्यों ने भी डिपोर्टेशन नियमों को सख्त बनाने की मांग की.
ऐसी घटनाओं ने भी जर्मनी में माग्रेशन को लेकर विरोध बढ़ाया है. इसे देखते हुए जून में सरकार ने बताया कि ऐसे अफगान और सीरियाई प्रवासियों को डिपोर्ट करने पर विचार किया जा रहा है, जो सुरक्षा के लिए खतरा हैं.
घटती जा रही है गठबंधन सरकार की लोकप्रियता
जानकारों के मुताबिक, माइग्रेशन पर नीतियों में बदलाव की मांग का एक कारण राजनीति से जुड़े समीकरण भी हैं. जर्मनी की मौजूदा गठबंधन सरकार के घटक दलों एसपीडी, ग्रीन्स और एफपीडी की लोकप्रियता कम हुई है.
वहीं, माइग्रेशन नीति पर बेहद सख्त रवैया अपनाने की समर्थक और धुर-दक्षिणपंथी राजनीति से जुड़ी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) ने यूरोपीय संघ (ईयू) के संसदीय चुनाव में काफी अच्छा प्रदर्शन किया. वोटों के मामले में एएफडी 16 फीसदी मत पाकर जर्मनी में दूसरे नंबर पर रही.
एक ओर जहां एएफडी के जनाधार में बढोतरी हुई, वहीं गठबंधन सरकार की तीनों पार्टियों को बड़ा झटका लगा. चांसलर शॉल्त्स की एसपीडी को 14 प्रतिशत से भी कम वोट मिले. घटती लोकप्रियता और दक्षिणपंथ के बढ़ते जनाधार के मद्देनजर भी जर्मन सरकार पर माइग्रेशन को लेकर सख्त रवैया बरतने का दवाब बढ़ा है.
तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव की तस्वीर
जर्मनी के तीन राज्यों सैक्सनी, थुरिंजिया और ब्रांडनबुर्ग में हो रहे आगामी विधानसभा चुनाव का भी राष्ट्रीय राजनीति पर खासा असर पड़ने की संभावना है. सेक्सनी और थुरिंजिया में 1 सितंबर को विधानसभा चुनाव होना है. ब्रांडनबुर्ग में 22 सितंबर को मतदान है.
एएफडी: धुर दक्षिणपंथियों ने कैसे रिझाया युवा वोटरों को
सर्वेक्षणों में धुर-दक्षिणपंथी एएफडी थुरिंजिया में लगातार बढ़त बनाए हुए है. सेक्सनी और थुरिंजिया से जुड़े जेडडीएफ के हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक, सेक्सनी में 30 प्रतिशत वोटों के साथ एएफडी दूसरे स्थान पर रह सकती है. यहां 33 प्रतिशत वोटों के साथ सत्तारूढ़ सीडीयू पहले स्थान पर बनी हुई है. पॉप्युलिस्ट पार्टी बीएसडब्ल्यू (सारा वागनक्नेष्ट अलायंस) वोटों के मामले में तीसरे स्थान पर रह सकती है.
जर्मनी की मौजूदा गठबंधन सरकार के तीनों दल सेक्सनी और थुरिंजिया में संघर्ष करते दिख रहे हैं. शॉल्त्स की पार्टी एसपीडी को सेक्सनी में 7 फीसदी और थुरिंजिया में 6 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.
क्या जल्द ही जर्मनी के एक राज्य में बन सकती है "फासिस्ट" सरकार
गठबंधन के दूसरे दल, अनालेना बेयरबॉक की ग्रीन्स को सेक्सनी में 6 प्रतिशत और थुरिंजिया में केवल चार प्रतिशत मत मिलने का अनुमान है. क्रिस्टियान लिंडनर की एफडीपी को दोनों राज्यों में इतने कम वोट मिल रहे हैं कि सर्वेक्षण कराने वालों ने उसे 'अन्य' की श्रेणी में डाल दिया है.
एसएम/सीके (डीपीए, एएफपी)