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एएफडी: धुर दक्षिणपंथियों ने कैसे रिझाया युवा वोटरों को

हंस फाइफर
११ जून २०२४

जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) ने सोशल मीडिया पर जैसे प्रचार अभियान चलाए, यूरोपीय संसद के चुनाव में पहली बार वोट देने वाले किशोरों पर उसका असर साफ दिखा है.

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एएफडी नेता एलिस विडेल और टीनो श्रुपला
तस्वीर: Jörg Carstensen/dpa/picture alliance

एएफडी ने 2024 के यूरोपीय संसद चुनावों में लगभग सभी उम्र के वोटरों में अपनी पैठ बनाई है लेकिन उसे सबसे ज्यादा सफलता मिली है कम उम्र के मतदाताओं के बीच. 2019 के ईयू चुनावों में हर तीन में से एक वोटर ने जिसकी उम्र 24 साल से कम थी, उसने ग्रीन पार्टी को वोट दिया था. उस वक्त युवाओं के मतों में एएफडी की हिस्सेदारी सिर्फ 5 प्रतिशत थी. 2024 में यह तस्वीर बहुत बदल गई है. पार्टी को युवाओं के 16 फीसदी मत मिले हैं जो पिछली बार का तीन गुना है और यह विपक्षी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन और क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीडीयू-सीएसयू) गठबंधन के लगभग बराबरी पर है. 

यह तब है जब एएफडी, ईयू इलेक्शन के लिए जर्मनी में वोटिंग की उम्र घटाने को लेकर संदेह में थी. 2018 में तो वह इस मुद्दे को थुरिंजिया राज्य में अदालत ले गई थी. पार्टी का कहना था कि वाम दल, मध्यमार्गी-वाम सोशल डेमोक्रैट्स (एसपीडी) और ग्रीन पार्टी केवल अपनी हाथ मजबूत करने के लिए वोटिंग की उम्र 18 से घटाकर 16 करना चाहते हैं क्योंकि ज्यादातर युवा उन्हीं के लिए वोट करेंगे. कोर्ट ने इस केस को खारिज कर दिया था.

हाथ में लिए मोबाइल फोन पर एएफडी नेता माक्सिमिलियाने क्राह एक टिकटॉक वीडियो में नजर आ रहे हैं.
एएफडी नेता माक्सिमिलियाने क्राह टिकटॉक वीडियो में चुटीले अंदाज में लगातार युवाओं को संदेश देते रहते हैंतस्वीर: Guido Schiefer/IMAGO

एएफडी की टिकटॉक पार्टी

एएफडी ने जर्मनी को युवाओं को जैसे रिझाने की कोशिश की है, वह कोई और पार्टी नहीं कर पाई. इसका फायदा बिल्कुल साफ नजर आ रहा है. आखिर धुर दक्षिणपंथी राजनीति में ऐसा क्या तड़का लगाया गया है कि किशोर और युवा आकर्षित हो रहे हैं. दरअसल सोशल मीडिया, खासकर टिकटॉक और इंस्टाग्राम पर युवाओं को ध्यान में रखकर कैंपेन तैयार किए गए. पार्टी ने जैसे किशोरों और युवाओं की नब्ज पर हाथ रख दिया. भावनात्मक और आसानी से समझ में आने वाले शब्दों में संदेश दिए गए.

एएफडी के विवादास्पद लेकिन अहम नेता माक्सीमिलियाने क्राह तो टिकटॉक पर बराबर पोस्ट करते हैं और बिल्कुल सीधे शब्दों में अपना संदेश देने के लिए जाने जाते हैं. जैसे अपने एक पोस्ट में वह कहते हैं, जर्मनी में तीन में से एक युवा पुरुष की कभी गर्लफ्रेंड नहीं रही. क्या आप उनमें से एक हैं? फिर वह सलाह देते हैं "पॉर्न मत देखिए, ग्रीन को वोट मत करिए, बाहर ताजी हवा में सांस लीजिए. आत्मविश्वास रखिए और सबसे बड़ी बात, यह मत सोचिए कि आपको अच्छा और नर्म होने की जरूरत है. असली मर्द धुर दक्षिण में डटे रहते हैं. असली मर्द देशभक्त होते हैं. यही रास्ता है गर्लफ्रेंड ढूंढने का."

शानदार सूट और उसपर लगे रूमाल के साथ पोस्ट में नजर आने वाले क्राह अपनी धारदार पंचलाइनों और हास्य की वजह से पहचाने जाते हैं और बेहद सफल रहे हैं. लेकिन वह महज टिकटॉक इंफ्लुएंसर नहीं हैं. इस बात का शक है कि यूरोपीय संसद में एएफडी के इस प्रमुख नेता ने रूसी प्रोपैगैंडा चैनलों से पैसा लिया और एक चीनी जासूस को काम पर रखा. चुनावों से कुछ वक्त पहले, क्राह ने एक इतालवी अखबार से कहा कि दूसरे विश्व युद्द के दौरान जर्मन एसएस गुट के लोग उतने भी बुरे नहीं थे. एसएस वह गुट था जिसने सोशलिस्ट शासन के दौरान 1933 से 1945 के बीच यूरोपीय यहूदी समुदाय का बड़े पैमाने पर नरसंहार किया. क्राह के इस बयान के खिलाफ पूरे यूरोप में आवाजें उठीं. एएफडी ने क्राह के कैंपेन करने पर बैन लगा दिया लेकिन युवा वोटरों ने या तो विवादों में दिलचस्पी नहीं दिखाई या फिर बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया.

बर्लिन में धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के विरोध में प्रदर्शन करते लोग
एक तरफ एएफडी की ताकत बढ़ रही है तो दूसरी ओर लोग जर्मनी में उसके विरोध में आवाज भी उठा रहे हैं. तस्वीर: CLEMENS BILAN/EPA

सोशल मीडिया पर कमजोर डेमोक्रैट्स

टिकटॉक पर जितने युवाओं तक एएफडी की पहुंच है, वह बाकी सारी पार्टियों की सम्मिलित संख्या से भी ज्यादा है. जर्मनी की परंपरागत पार्टियों ने एएफडी की सोशल मीडिया रणनीति का काट ढूंढने के लिए अब तक कुछ खास नहीं किया है. इस साल जब चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने अपने नए टिकटॉक चैनल पर पहली बार चेहरा दिखाया तो उसमें वह अपना टूटा हुआ ब्रीफकेस दिखाते नजर आए. इस कदम ने चांसलर को टिकटॉक की दिखावटी दुनिया में अपनी वास्तविक स्थितियों से कटा हुआ दिखाया.

पांच साल पहले, जलवायु परिवर्तन से निपटना युवा वोटरों के लिए केंद्रीय मुद्दा था. 2014 में यह मुद्दा कहीं पीछे छूट गया. बर्टल्समान फाउंडेशन की एक ताजा स्टडी के मुताबिक, युवाओं के लिए बड़ा मसला यूरोप की शांति है. सर्वे में 16-25 साल के युवाओं ने शांति कायम करने को सबसे अहम मुद्दा कहा. ऐसा लगता है कि माक्सीमिलियने क्राह एक बार फिर अपने एक टिकटॉक वीडियो में तीर निशाने पर लगा गए हैं जिसमें वह कहते हैं, "यूक्रेन युद्ध आपका युद्ध नहीं है. जेलेंस्की आपके राष्ट्रपति नहीं हैं. लेकिन यह आपसे कीमत वसूल रहा है और यह जोखिम बना हुआ है कि जर्मनी को इस युद्ध में घसीट लिया जाए. वरना आपको पूर्वी मोर्चे पर जाकर लड़ना होगा जहां आपके परदादाओं के भाइयों और रिश्तेदारों ने जान गंवाई थीं."

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