पाकिस्तानी प्रधानमंत्री: बाढ़ के बाद भोजन की कमी का खतरा
१२ सितम्बर २०२२प्रधानमंत्री शरीफ ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान के साथ टेलीफोन पर बातचीत में यह चिंता जाहिर की है. दूसरी ओर पाकिस्तानी अधिकारी और सहायता एजेंसियां प्रभावित इलाकों में भोजन, तंबू और अन्य सामान पहुंचाने के अभियान में तेजी ला रही हैं.
शरीफ ने तुर्की की ओर से भोजन, तंबू और दवाएं उपलब्ध कराने के लिए तुर्की के राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया है. तुर्की ने अब तक बारह सैन्य विमानों, चार मालवाहक ट्रेनों और तुर्की रेड क्रिसेंट राहत ट्रकों के माध्यम से पाकिस्तानी बाढ़ पीड़ितों को सहायता दी है.
पाकिस्तान: महिलाओं ने कहा "हम पर्दे के पीछे रहते थे, अल्लाह ने उस पर्दे को हटा दिया "
तुर्की से मिली पाकिस्तान को मदद
पाकिस्तानी सरकार के बयान के मुताबिक शरीफ ने राष्ट्रपति एर्दोवान को सरकार की सहायता गतिविधियों का ब्योरा दिया और संभावित भोजन की कमी और प्रभावित लोगों के पुनर्वास के संदर्भ में तुर्की से और मदद मांगी है.
पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित इलाकों में महिलाओं और बच्चों समेत 6,60,000 से अधिक लोग वर्तमान में राहत शिविरोंमें रहने को मजबूर हैं. बाढ़ के कारण उनके घर नष्ट हो गए थे. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां और स्थानीय संस्थाएं भी बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत कार्यों में लगी हुई हैं.
पाकिस्तान और चीन में फसल की बर्बादी से कैसे जूझेगी दुनिया
खाद्य संकट
पाकिस्तान अपने कृषि उत्पादन पर निर्भर है और कभी-कभी अफगानिस्तान और अन्य देशों को अतिरिक्त गेहूं निर्यात करता है, लेकिन मौजूदा समय में पाकिस्तान को गेहूं और सब्जियों की जरूरत है. दूसरी ओर देश में तेजी से सब्जियों के दाम बढ़ रहे हैं.
हाल के मानसून के मौसम के दौरान भीषण बाढ़ के कारण पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा जलमग्न हो गया. बलूचिस्तान और सिंध बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित प्रांत हैं, हालांकि पंजाब प्रांत का दक्षिणी क्षेत्र भी बाढ़ की चपेट में आ गया, इसके अलावा देश के कई उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर तबाही हुई.
पाकिस्तानी सरकार ने बाढ़ से दस अरब डॉलर के नुकसान का अनुमान लगाया है, लेकिन अधिकारियों के मुताबिक इन बाढ़ों से होने वाली वास्तविक क्षति अब तक के अनुमान से कहीं अधिक है. बाढ़ के कारण हुई तबाही ने पाकिस्तान और संयुक्त राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अधिक मदद भेजने के लिए मजबूर कर दिया है.
वहीं संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के मुताबिक करीब छह लाख गर्भवती महिलाओं को चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत है. संस्था की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले ही महीने करीब 73,000 महिलाएं बच्चों को जन्म देंगी और ऐसे में कुशल स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत होगी.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)