रूस बन गया है सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक
६ सितम्बर २०२३अनाज निर्यात के बाजार में रूस सबसे बड़ा देश है. दुनिया में एक दर्जन ही देश हैं जो पूरी दुनिया को अनाज सप्लाई करते हैं और सबसे मूलभूत जरूरत यानी ब्रेड या रोटी बनाने के लिए जरूरी चीजें उपलब्ध कराते हैं.
हजारों साल पहले मेसापोटामिया में सबसे पहले गेहूं उगायी गई थी और तब से यह पूरी दुनिया के लोगों के लिए मूलभूत अन्न बना हुआ है. ‘फीडिंग ह्यूमैनिटी' किताब के लेखक, फ्रांसीसी अर्थशास्त्री ब्रूनो पारमेंटियर ने पिछले साल कहा था,‘दुनिया में हर कोई गेहूं खाता है लेकिन हर कोई इसे उगा नहीं सकता.'
यही वजह है कि गेहूं अक्सर बड़े अंतरराष्ट्रीय विवादों के केंद्रमें रहता है. हालांकि कई बार इसकी वजह कुदरती कहर या इंसानी गतिविधियां भी होती हैं, जिनके कारण गेहूं का उत्पादन प्रभावित होता है.
अंतरराष्ट्रीय अन्न परिषद (आईजीसी) दुनिया के अधिकतर गेहूं उत्पादक और आयातक देशों को साथ लाने वाली संस्था है. उसका अनुमान है कि 2023-24 में गेहूं का उत्पादन 78.4 करोड़ टन रहेगा, जो पिछले मौसम के मुकाबले 2.4 फीसदी कम है.
गिने-चुने निर्यातक
गिने-चुने देश ही इतना गेहूं पैदा करते हैं कि उसे निर्यात कर सकें. उनमें से चीन पिछले साल सबसे बड़ा उत्पादक रहा. 2022-23 में वहां 13.8 करोड़ टन गेहूं पैदा हुआ. लेकिन अपने 1.4 अरब लोगों की जरूरत पूरी करने के लिए चीन को सालाना करीब एक करोड़ टन गेहूं आयात करना पड़ता है.
भारत भी सबसे बड़े गेहूं उत्पादकों में से है. हाल के सालों में उसने अपना अतिरिक्त उत्पादन निर्यात करना शुरू किया है लेकिन पिछले साल सूखा पड़ने के बाद उसने निर्यात पर रोक लगा दी थी. इसके अलावा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस गेहूं के प्रमुख उत्पादक हैं.
एग्रीटेल कंपनी में विशेषज्ञ के तौर पर काम करने वाले सेबास्टियन पोंसलेट के मुताबिक 2022-23 में रूस ने 9.2 से 10 करोड़ टन गेहूं पैदा किया और इस साल भी उसका उत्पादन 9 करोड़ टन के आसपास रहने का अनुमान है, जो उसका दूसरा सर्वश्रेष्ठ साल होगा.
रूस सबसे ऊपर
पिछले साल रूस दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक रहा. अमेरिका के कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2022-23 में उसने 4.6 करोड़ टन गेहूं निर्यात किया, जो पूरे साल के कुल निर्यात का लगभग एक चौथाई था.
रूस के बाद कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का नंबर आता है. अमेरिका का निर्यात इस साल दो करोड़ टन से भी नीचे रहने का अनुमान है जो पिछले 50 साल में सबसे कम होगा.
फ्रांस और यूक्रेन भी गेहूं निर्यातकों की सूची में शामिल हैं. रूस के हमले से पहले तो यूक्रेन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक था. अमेरिकी कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस साल यूक्रेन एक करोड़ टन गेहूं निर्यात कर सकता है.
फ्रेंच इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एंड स्ट्रैटिजिक रिलेशंस नामक थिंक टैंक में शोधकर्ता सेबास्टियां एबिस कहते हैं कि तुर्की ने रूस से सबसे ज्यादा गेहूं खरीदा है. उसके बाद मिस्र का नंबर है. रूस के कुल निर्यात का 40 फीसदी इन्हीं देशों को गया है. लेकिन एबिस कहते हैं कि रूस को अब पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और सब-सहारा क्षेत्र में भी खरीददार मिल रहे हैं.
अफ्रीका में पांव जमा रहा है रूस
अफ्रीकन इंस्टिट्यूट फॉर सिक्यॉरिटी स्टडीज के मुताबिक 2020 में अफ्रीका और रूस का व्यापार 14 अरब डॉलर का रहा था. अमेरिका और अफ्रीका के बीच 65 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था जबकि चीन ने 254 अरब डॉलर और यूरोपीय संघ ने 295 अरब डॉलर का व्यापार किया.
इस व्यापार में अधिकतर हिस्सा ऊर्जा और हथियार क्षेत्र का था लेकिन कृषि व्यापार भी तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें गेहूं सबसे ऊपर है. अफ्रीका में गेहूं प्रमुख खाद्यान नहीं है लेकिन बहुत से देशों में, खासकर शहरी क्षेत्रों में यह लगातार अपनी जगह बढ़ा रहा है. ये वे क्षेत्र हैं जहां ब्रेड की कमी अक्सर दंगों में बदल जाती है.
सब-सहारा देशों को रूस ने 2022-23 में 39 लाख टन गेहूं निर्यात किया था जो 2020-21 के 45 लाख टन के मुकाबले कम था. रूस ने कई अफ्रीकी देशों को सस्ता अनाज उपलब्ध कराने का वादा किया है लेकिन यूक्रेन का निर्यात कम होने का असर कम नहीं हो पाया है. इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट के मुताबिक 2022-23 में यूक्रेन का निर्यात आधे से भी कम होकर सात लाख टन रह गया था.
वीके/एए (एएफपी)