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कश्मीर बयान पर पाकिस्तान को भारत का जवाब

१८ सितम्बर २०१०

भारत ने जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान के बयान को 'बेवजह' बताते हुए इसे देश के अंदरूनी मामले में दखल करार दिया है. भारत ने पाकिस्तान को नियंत्रण रेखा के पार से घुसपैठ रोकने और आतंकवादी ढांचे को खत्म करने के लिए कहा है.

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तस्वीर: AP

भारत का कहना है कि सीमापार से घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियों की वजह से ही से कश्मीर की जनता परेशान है. एक दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री एस एम कुरैशी ने भारत से कश्मीर में संयम बरतने के लिए कहा था. कुरैशी के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने कहा, "भारत जम्मू कश्मीर पर दिए पाकिस्तान के बेवजह बयान को सिरे से खारिज करता है ये देश के अंदरूनी मामले में दखल है."

UN Pakistan Außenminister Shah Mahmood Qureshi zu Hilfe aus Indien
पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बयान पर तीखी प्रतिक्रियातस्वीर: AP

विष्णु प्रकाश ने ये भी कहा कि पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर के लोगों का जीवन बेहतर बनाने के लिए सीमापार से घुसपैठ और आतंकवादी ढांचे को खत्म करना चाहिए. ये रुक गया तो जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन की सारी मुश्किलें खत्म हो जाएंगी. विष्णु प्रकाश ने पाकिस्तान से यह भी कहा कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और देश के किसी भी हिस्से में रह रहे लोगों की दिक्कतों को दूर करने में सक्षम है.

पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने दावा किया था कि उनका देश कश्मीरियों के हक की लड़ाई में उनका साथ देगा. इसके साथ ही कुरैशी ने कहा, "कश्मीर में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों की अवहेलना हो रही है और इसे रोका जाना चाहिए. पाकिस्तान भारत सरकार से कश्मीर में संयम बरतने की मांग करता है." कुरैशी ने ये भी कहा कि पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर की बिगड़ती हालत को गंभीरता से लिया है. कुरैशी के शब्दों में, "जम्मू कश्मीर के घरेलू आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है. कश्मीरी आत्मनिर्णय के अधिकार के मसले पर अब एक हैं."

पाकिस्तान के इस बयान को संयुक्त राष्ट्र की आमसभा से पहले भारत पर दबाव बढ़ाने की एक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. पाकिस्तान की कोशिश है कि वो इस कदम के जरिए इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठा सके. हालांकि बाद में पाकिस्तान ने ये भी कहा कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल दूसरे देश में आतंकवादी गतिविधियों की लिए नहीं होने देगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः महेश झा

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