1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

क्या इंडोनेशिया चीन के साथ मिलकर मंदी का सामना कर सकता है?

आरती एकावाती
२९ जुलाई २०२२

वैश्विक स्तर पर धीमे आर्थिक विकास की आशंकाओं के बीच इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो की चीन यात्रा पर गये थे. आर्थिक विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीनी निवेश पर इंडोनेशिया की निर्भरता उसे नुकसान भी पहुंचा सकती है.

https://p.dw.com/p/4EnlP
फरवरी में विंटर ओलिंपिक्स के बाद विडोडो चीन जाने वाले पहले विदेशी नेता हैं
फरवरी में विंटर ओलिंपिक्स के बाद विडोडो चीन जाने वाले पहले विदेशी नेता हैंतस्वीर: Pressebüro des indonesischen Präsidenten

आर्थिक मंदी की आशंकाओं के बीच इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो इस हफ्ते चीन, जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा पर थे. उनका मकसद इंडोनेशिया के सबसे करीब आर्थिक सहयोगियों के साथ व्यापार और निवेश साझेदारी को बढ़ाना है. 

इंडोनेशिया दक्षिणपूर्व एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और उसे उम्मीद है कि अगले साल होने वाले आसियान बैठक की अध्यक्षता उसे मिल जाएगी. इंडोनेशिया इसी साल नवंबर में होने वाले जी20 सम्मेलन की मेजबानी भी कर रहा है.

मंगलवार को चीन की यात्रा के दौरान विडोडो ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केकियांग से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से एक संयुक्त बयान जारी किया गया जिसमें कहा कया कि दो बड़े विकासशील देशों ने एकता और सहयोग के बल पर एक नजीर पेश की है.

बुधवार को विडोडो ने जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा से मुलाकात की. विडोडो ने पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की मृत्यु पर अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि शिंजो आबे ने इंडोनेशिया के साथ रणनीतिक रिश्ते मजबूत करने की काफी कोशिशें कीं.

यह भी पढ़ेंः वांग यी का दक्षिणपूर्व एशिया दौरा

गुरुवार को विडोडो ने दक्षिण कोरिया के दौरे के साथ अपनी इस यात्रा को पूरा किया. इस यात्रा के दौरान वह राष्ट्रपति यून सुक-योल से मुलाकात से पहले हुंडई मोटर कंपनी के शोध और विकास केंद्र को देखने गए.

हुंडई ने हाल ही में इंडोनेशिया में अपना पहला निर्माण संयंत्र स्थापित किया है जिसे माना जा रहा है कि वह दक्षिणपूर्व एशियाई बाजार का निर्माण केंद्र बनेगा और इस इलाके में कंपनी इलेक्ट्रिक वाहनों को बनाने की शुरुआत करेगी.

विडोडो के साथ इस यात्रा में इंडोनेशिया के सरकारी इंटरप्राइजेज मंत्री एरिक तोहीर भी थे. एरिक तोहीर के अलावा विडोडो के साथ इंडोनेशिया के इन्वेस्टमेंट कोऑर्डिनेटिंग बोर्ड यानी बीकेपीएम के प्रमुख बहलील लहडालिया और कई बड़े व्यापारी घरानों के प्रतिनिधि भी शामिल थे.

बीजिंग में चीन के अधिकारियों से मिलते विडोडो
बीजिंग में चीन के अधिकारियों से मिलते विडोडोतस्वीर: Laily Rachev/Biro Pers Sekretariat Presiden

चीन सबसे बड़ा साझीदार

जकार्ता स्थित थिंक टैंक, सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज यानी सीएसआईएस के चीन मामलों के जानकार वेरोनिका एस सरस्वती कहते हैं कि इंडोनेशिया चीन के साथ रणनीतिक और आर्थिक भागीदारी को बढ़ाने के बारे में प्राथमिकता के तौर पर सोच रहा है.

उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "इंडोनेशिया और चीन द्विपक्षीय स्तर पर, साथ ही आसियान और चीन लंबी समयावधि की रणनीतिक साझेदारी को बनाने की कोशिश में हैं. चीन के साथ हमारा व्यापार लगातार बढ़ रहा है.”

यह भी पढ़ेंः अच्छी नहीं है चीन की आर्थिक हालत, नीतियों में बदलाव के संकेत

उनका यह भी कहना था कि इंडोनेशिया और चीन के कूटनीतिक और व्यापारिक रिश्तों का एक लंबा इतिहास रहा है और विडोडो चाहते हैं कि मौजूदा आर्थिक संकट के दौर में इस संबंध को और मजबूत बनाया जाए.

चीन इंडोनेशिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है और साल 2021 में दोनों देशों के बीच 110 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. चीन, सिंगापुर और हांगकांग के बाद इंडोनेशिया में निवेश करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है. साल 2021 में इंडोनेशिया में चीन का कुल निवेश करीब 3.2 अरब डॉलर का था.

इंडोनेशिया निर्यात बढ़ाने की कोशिश में है

जकार्ता स्थित थिंक टैंक सेंटर ऑफ इकोनॉमिक्स एंड लॉ स्टडीज यानी सीईएलआईओएस के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और अर्थशास्त्री भीमा युधिस्तिरा कहते हैं कि विडोडो पश्चिमी देशों और चीन के साथ व्यापार का संतुलन बनाए रखना चाहते हैं. वो कहते हैं, "सैन्य उपकरण ज्यादातर हम अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों से खरीदते हैं लेकिन, दूसरी वस्तुओं और चीजों के लिए हम चीन का रुख करते हैं.”

हालांकि युधिस्तिरा का कहना है कि इंडोनेशिया अपने उत्पादों को बेचने के लिए नए बाजार ढूंढ़ रहा है, खासतौर से इसलिये क्योंकि ज्यादातर सामान चीन से आ रहा है और दूसरे बाजार निर्यात के लिहाज से सिकुड़ रहे हैं. 

वो कहते हैं कि विडोडो की यात्रा का मकसद अपने सहयोगी देशों से यह आग्रह करना है कि वो अपने यहां उनके उत्पादों को खरीद लें, खासकर कच्चा पाम ऑयल जो कि एक महीने तक निर्यात पर प्रतिबंध के चलते काफी सस्ता हो गया था. 

युधिस्तिरा कहते हैं, "भारत को कच्चे पॉम ऑयल की आपूर्ति अब मलेशिया से होने लगी है इसलिए हमारा बड़ा नुकसान हो गया है. इसलिए अब हम इसे कहां बेचें? चीन इसे खरीदने के लिए सबसे ज्यादा तैयार है.”

इंडोनेशिया के विदेश मंत्री रेतनो मरसूदी के मुताबिक, इंडोनेशिया से कृषि उत्पादों के आयात को प्राथमिकता देते हुए विडोडो मंगलवार को चीन को दस लाख टन कच्चा पाम ऑयल खरीदने के लिए तैयार करने में सफल रहे.

चीन का सबसे बड़ा साझीदार होने के बावजूद इंडोनेशिया के सामने कई तरह की समस्याएं हैं. चीन की कई आधारभूत परियोजनाओं पर खराब गुणवत्ता और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालने जैसे आरोप लग रहे हैं. युधिस्तिरा चेतावनी देते हैं कि बिना समुचित निगरानी के बड़ी आधारभूत परियोजनाएं इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाल सकती हैं.

युधिस्तिरा ये भी कहते हैं कि दीर्घकालीन दुष्प्रभावों की अनदेखी करना भारी भूल साबित हो सकती है क्योंकि चीन इस वक्त इंडोनेशिया को बड़े पैमाने पर नगदी की पेशकश कर रहा है.

वो कहते हैं, "हमें मलेशिया से कुछ हद तक सबक लेना चाहिए. मलेशिया सभी परियोजनाओं के लिए हामी नहीं भरता, बल्कि वो इस आधार पर परियोजनाओं को मंजूरी देता है कि कौन सी परियोजनाएं सक समाज और पर्यावरण को फायदा पहुंचाने वाली हैं.”