जर्मनी को कोरोना के कारण 550 अरब यूरो की चपत?
२३ मार्च २०२०यह अनुमान ऐसे समय में सामने आया है जब जर्मनी की सरकार कोरोना संकट को देखते हुए एक बड़ा आर्थिक पैकेज तैयार कर रही है. म्यूनिख में स्थित इफो इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष क्लेमेंस फुएस्ट ने एक बयान में कहा, "यह कीमत शायद उससे कहीं ज्यादा होगी जो जर्मनी में हमने हाल के दशकों में आर्थिक संकट या फिर प्राकृतिक आपदाओं के चलते चुकाई है."
अर्थव्यवस्था में मामूली सी वृद्धि के बजाय अब इफो इंस्टीट्यूट ने गिरावट का अंदेशा जताया है. परिस्थितियों के मुताबिक, यह अंतर 7.2 और 20.6 प्रतिशत अंकों के बीच होगा. फुएस्ट के मुताबिक, "इसका मतलब है कि 255 से 729 अरब यूरो." उनके मुताबिक श्रम बाजार पर भी बड़े दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं. इफो का अनुमान है कि सामाजिक बीमा में योगदान करने वाले 18 लाख तक कर्मचारियों को अपनी नौकरियां खोनी पड़ सकती है जबकि अन्य 60 लाख लोगों को शॉर्ट टाइम काम करने पड़ सकते हैं.
कोरोना संकट को देखते हुए जर्मन सरकार व्यापक आर्थिक उपायों को मंजूरी देने जा रही है, जिनमें कंपनियों, कर्मचारियों और क्लीनिकों की मदद करना भी शामिल है. किराए पर रहने वाले लोगों को अगर आर्थिक समस्याएं हो रही हैं तो उन्हें घरों से नहीं निकाला जाएगा. सरकार 2020 के लिए 156 अरब यूरो का एक पूरक बजट लाने के बारे में भी सोच रही है.
उम्मीद है कि इन सब मुद्दों पर होने वाली कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता उप चांसलर ओलाफ शॉल्त्स करेंगे क्योंकि चांसलर अंगेला मैर्केल अपने घर पर क्वारंटीन में हैं. उनका संपर्क एक ऐसे डॉक्टर से हुआ था जो कोरोना के लिए पॉजिटिव पाया गया. इसके बाद रविवार को जर्मन चांसलर ने एहतियात के तौर पर क्वारंटीन में जाने का फैसला किया. लेकिन सरकार के प्रवक्ता कहना है कि मैर्केल फोन के जरिए बैठक का हिस्सा रहेंगी.
एके/एमजे (डीपीए)
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