टाटा ने स्पेक्ट्रम घोटाले में बीजेपी को घसीटा
९ दिसम्बर २०१०टाटा ने कहा कि (2008 में लाइसेंस के आवंटन की) हालिया नीति ने एक शक्तिशाली गठजोड़ को तोड़ा है जो प्रतियोगिता पर कब्जा जमाए बैठा था और जिसकी वजह से नीतियों को लागू करने में देरी हो रही थी. टाटा ने मौजूदा यूपीए सरकार की संचार नीति का बचाव किया है जो सुप्रीम कोर्ट में कानूनी पचड़ों में फंसी है. वह कहते हैं, "हमें याद रखना चाहिए कि संचार नीतियों की बहुत सी खामियां बीजेपी शासनकाल का नतीजा है."
टाटा का यह सख्त बयान पूर्व संचार उद्योगपति और राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर की तरफ से जारी खुले पत्र के बाद आया है. इस पत्र में चंद्रशेखर ने टाटा समूह पर पारदर्शी न रहने का आरोप लगाया और उसे सरकारी नीतियों का सबसे ज्यादा फायदा उठाने वालों में से एक बताया.
टाटा ने चंद्रशेखर से कहा, "सब जानते हैं कि आप एक खास पार्टी से जुड़े हैं. लगता है कि राजनीतिक महत्वकांक्षा और प्रधानमंत्री व सत्ताधारी पार्टी को शर्मिंदा करने की कोशिश इस पत्र का मकसद हैं." उन्होंने कहा कि पूर्व संचार मंत्री ए राजा या फिर किसी और मंत्री ने टाटा टेलीसर्विसेज समूह को कोई फायदा नहीं पहुंचाया है.
आगे टाटा कहते हैं कि सीएजी ने भी 2004 से 2008 के बीच जारी किए गए 48 नए जीएसएम लाइसेंसों और 65 मेगाहर्ट्ज के अतिरिक्त स्पेक्ट्रम में से किसी के मूल्य का जिक्र नहीं किया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़