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पाकिस्तान का पतन चाहता है अल कायदा: बाइडेन

२० दिसम्बर २०१०

अमेरिका का मानना है कि अल कायदा परमाणु शक्ति से लैस पाकिस्तान का पतन चाहता है. अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बाइडेन ने ये बात कही है. अमेरिका ने हाल ही में आतंकवाद से लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका की समीक्षा की है.

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तस्वीर: picture alliance / dpa

अमेरिकी उप राष्ट्रपति ने एक समाचार चैनल से बातचीत में ये बातें कही.जो बाइडेन का कहना है,"पाकिस्तान में हमारी मौजूदगी का लक्ष्य है अल कायदा के नेटवर्क को खत्म करना और ये तय करना कि आतंकवादी पाकिस्तान को नीचे ना गिरा सकें जो एक परमाणु शक्ति से लैस देश है." इस दौरान बाइडेन पिछले एक साल की रिपोर्ट के आधार पर कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को कामयाबी मिली है लेकिन उन्हें और वक्त चाहिए.

US-Fizepräsident Joe Biden
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

गुरुवार को अमेरिकी नीतियों की समीक्षा रिपोर्ट जारी करते हुए राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पाकिस्तान से आग्रह किया था कि वो अफगान सीमा पर आतंकवादियों पर लगाम कसने में अपनी कोशिशों को और तेज करे. इसके साथ ही पाकिस्तान को बड़ी मदद देने की अमेरिकी सरकार की वचनबद्धता का भी उन्होंने जिक्र किया.

विकीलीक्स पर जारी दस्तावेजों में पाकिस्तान की नीति की आलोचना की बात सामने आने के बाद अमेरिकी फूंक फूंक कर कदम रख रहा है. ज्यादातर जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान आतंकवादियों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई करने के पक्ष में नहीं है क्योंकि वो उन्हें भारत के खिलाफ एक मजबूत हथियार के रूप में देखता है. इसके साथ ही अफगानिस्तान पर अपना असर बनाए रखने में भी ये आतंकवादी उसके लिए कारगर हथियार समझता है.

अमेरिकी समीक्षा रिपोर्ट में पाकिस्तान के साथ रिश्तों को महत्वपूर्ण कहा गया है जबकि विकीलीक्स पर सामने आए दस्तावेजों के मुताबिक अमेरिका पाकिस्तान की नीति पर सवाल उठा रहा था. अमेरिकी नीति में ये एक बड़ा बदलाव है.

बाइडेन ने अल कायदा के खिलाफ सफलता को इस तरह से आंका कि उसने अपनी गतिविधियों कम कर दी हैं. पिछले क्रिसमस पर एक जेटलाइनर को उड़ाने और टाइम्स स्क्वेयर पर बम धमाकी की नाकाम कोशिश के रूप में ही उसकी गतिविधि सामने आई.

बाइडेन ने कहा,"हमने उन्हें रोकने में सफलता है पाई है उनके योजनाकार, नेता और प्रशिक्षण देने वाले लोग पकड़े गए हैं, तो क्या ये मान लिया जाए कि हम सफल हो गए? नहीं, इसका मतलब बस इतना है कि दो तीन साल पहले जो स्थिति थी उसमें सुधार हुआ है."

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः एस गौड़

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